यह रिपोर्ट युवाओं और कृषि-खाद्य प्रणालियों के बीच तालमेल बिठाने का आकलन करती है, ताकि युवाओं (15-29 वर्ष आयु वर्ग) में बेरोजगारी को खत्म किया जा सके।
- यह रिपोर्ट इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि दुनिया के 1.3 बिलियन युवाओं में से लगभग 85% कम आय वाले देशों में रहते हैं, और लगभग आधे (46%) युवा अभी भी ग्रामीण इलाकों में निवास करते हैं।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- आर्थिक संवृद्धि: युवाओं की कृषि-खाद्य प्रणालियों में भागीदारी बढ़ने से वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 1.4% की वृद्धि हो सकती है। इससे लगभग 45% योगदान युवाओं की भागीदारी से आने की संभावना है।
- युवाओं की भागीदारी: 44% कामकाजी युवा रोजगार के लिए कृषि-खाद्य प्रणालियों पर निर्भर हैं, जबकि कामकाजी वयस्कों के लिए यह आंकड़ा 38% है।
- कृषि-खाद्य प्रणालियों में कामकाजी युवाओं की कमी: वर्ष 2005 में कामकाजी युवाओं की 54% भागीदारी थी, जो 2021 में घटकर 44% रह गई।
- खाद्य असुरक्षा: यह वर्ष 2014-16 के 16.7% से बढ़कर 2021-23 में 24.4% हो गई।
कृषि में युवाओं की भागीदारी के समक्ष चुनौतियां
- सामाजिक दर्जा: उदाहरण के लिए- किसानों को अक्सर निम्न सामाजिक दर्जे वाला माना जाता है।
- जलवायु परिवर्तन: उदाहरण के लिए- इससे जुड़े जोखिम युवाओं को हतोत्साहित करते हैं।
- असंतुलित आंतरिक प्रवासन: उदाहरण के लिए- भारत में 16-40 वर्ष के अनुसूचित जाति/ जनजाति (SC/ST) के व्यक्ति अल्पकालिक प्रवासन में अधिक होते हैं।
- महिलाओं से संबंधित असमानता: उदाहरण के लिए- महिलाएं अक्सर विरासत में मिली भूमि का अपना हिस्सा अपने भाइयों के पक्ष में छोड़ देती हैं।
- भूमिहीनता: उदाहरण के लिए- अधिकांश युवा भूमिहीन हैं और किराए की भूमि पर खेती करते हैं।
कृषि-खाद्य प्रणालियों को युवाओं के लिए कार्यक्षम बनाना
