इस सूचकांक में मिजोरम के हनथियाल जिले को उत्तर-पूर्व का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला जिला बताया गया है। साथ ही मिजोरम, सिक्किम और त्रिपुरा के सभी जिलों को "फ्रंट रनर" (अग्रणी) श्रेणी में रखा गया है।
- यह वैश्विक लक्ष्यों को स्थानीय स्तर पर लागू करने की दिशा में एक अहम कदम है, जिसमें निचले स्तर से ऊपर की ओर विकास की नीति को अपनाया गया है।
SDGs को स्थानीय स्तर पर लागू करने का महत्त्व:
- मुख्य कार्यस्थल के रूप में स्थानीय क्षेत्र: राज्य स्तर पर तैयार किए गए विज़न और एजेंडा दस्तावेजों के माध्यम से लक्ष्य तय किए जाते हैं तथा गाँव स्तर की निगरानी समिति के जरिए इनकी निगरानी की जाती है। जैसे – मिजोरम का उदाहरण।
- नीचे से ऊपर की ओर दृष्टिकोण (Bottom Up Approach): राज्य सरकारें, राष्ट्रीय सरकार और स्थानीय समुदायों के बीच सेतु का काम करती हैं। इससे सिविल सोसाइटी, शैक्षणिक जगत और निजी क्षेत्रक की भागीदारी को बढ़ावा मिलता है।
- स्थानीय संसाधनों का उपयोग: राज्य बजट को SDGs लक्ष्यों के अनुरूप बनाकर संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल किया जाता है।
- विविध क्षेत्रों के बीच असमानता को दूर करना: स्थानीय स्तर पर जब लक्ष्य पूरे होंगे, तो क्षेत्र के भीतर व जिलों के बीच की असमानता भी कम होगी तथा राष्ट्रीय औसत के साथ तालमेल स्थापित होगा।
SDGs को स्थानीय स्तर पर लागू करने में मुख्य चुनौतियां:
- वित्त की कमी: नगर पालिकाओं के बजट में कई जरूरी प्राथमिकताएं होती हैं, जैसे- स्वास्थ्य व शिक्षा, सफाई आदि। इसके कारण सतत विकास से जुड़ी परियोजनाओं को पर्याप्त फंड नहीं मिल पाता है।
- पर्यावरण को ध्यान में रखना: स्थानीय सरकारों को आर्थिक संवृद्धि और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाना मुश्किल होता है।
- डेटा की गुणवत्ता और उपलब्धता: अप-टू-डेट सामाजिक-आर्थिक आंकड़ों के अभाव के कारण सही जानकारी के आधार पर निर्णय लेना कठिन हो जाता है।
स्थानीय शासन को मजबूत करके और नवीन वित्तीय उपायों को अपनाकर, SDGs को स्थानीय स्तर पर लागू करने में मदद मिल सकती है। इससे हर क्षेत्र की अपनी सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जरूरतों के अनुसार रणनीतियां बनाई जा सकती हैं।
भारत और SDGs का स्थानीयकरण:
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