यह जानकारी एसोचैम-PwC की एक रिपोर्ट में दी गई है। इसमें बताया गया है कि वैश्विक खाद्य प्रसंस्करण बाजार का मूल्य 10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर (2025) होने के बावजूद भी फसल कटाई के बाद होने वाले अत्यधिक नुकसान, प्रसंस्करण संबंधी सीमित अवसंरचना आदि के कारण खाद्यान्न की कमी बनी हुई है।
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रक के समक्ष प्रमुख चुनौतियां
- खाद्यान्न की बर्बादी और खाद्य-जनित बीमारियां: इससे लगभग क्रमशः 936 बिलियन अमेरिकी डॉलर और 110 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान होता है।
- आपूर्ति श्रृंखला की खामियां: भारत में फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान के कारण प्रतिवर्ष लगभग 1.53 ट्रिलियन रुपए मूल्य की कृषि उपज का नुकसान होता है।
- उच्च परिचालन और पर्यावरणीय लागत: खाद्य प्रसंस्करण के लिए अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा और जल की आवश्यकता होती है।
खाद्य प्रसंस्करण में अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों से लाभ
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग की भूमिका: इससे प्रत्यक्ष हसक्षेप के बिना खाद्य निरीक्षण, पैकेजिंग, लेबलिंग आदि जैसे बार-बार किए जाने वाले कार्यों को स्वचालित तरीके से किया जा सकता है।
- उपभोक्ता बाजार के रुझान: नवीन प्रसंस्करण तकनीकों का उपयोग करके विकसित अधिक शेल्फ लाइफ और पोषण युक्त स्मार्ट खाद्य पदार्थों की मांग बढ़ रही है।
- आपूर्ति श्रृंखला में पारदर्शिता: ब्लॉकचेन का उपयोग करके हितधारक रियल टाइम में लेन-देन को सत्यापित कर सकते हैं, जिससे डेटा की सटीकता सुनिश्चित होती है।
- बढ़ती जनसंख्या की मांग को पूरा करना: संयुक्त राष्ट्र के अनुसार विश्व की जनसंख्या 2050 तक बढ़कर लगभग 9.8 बिलियन तक हो सकती है।
इन तकनीकों के लाभों के बावजूद इन्हें अपनाने से जुड़ी परिचालन संबंधी और विनियामकीय चुनौतियां कठिनाइयां उत्पन्न कर सकती हैं। इसलिए, ऐसे में बेहतर कानून जैसे डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 और कुशल कार्यबल आदि के माध्यम से इन चुनौतियों को दूर किया जा सकता है।
भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रक
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