इन्हें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अधिसूचित किया है। ये 1 अप्रैल, 2026 से लागू होंगे।
- ये अलौह धातुओं (जैसे एल्यूमीनियम, तांबा एवं जस्ता और इनकी मिश्र धातुओं सहित) के स्क्रैप के लिए एक व्यापक विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) फ्रेमवर्क प्रस्तुत करता है ।
अलौह धातुओं (Non-Ferrous Metals) के स्क्रैप के लिए EPR के बारे में

- लक्ष्य: प्रत्येक उत्पादक की पुनर्चक्रण संबंधी लक्ष्य को पूरा करने की जिम्मेदारी होगी, जो 2026-2027 में 10% से शुरू होकर 2032-2033 तक बढ़कर 75% हो जाएगा।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड: यह पोर्टल के माध्यम से EPR प्रमाण-पत्र जारी करेगा।
- EPR प्रमाण-पत्र की वैधता: यह अवधि इसके जारी होने वाले वित्तीय वर्ष के समाप्त होने के बाद दो वर्षों तक होगी।
अलौह धातुओं के स्क्रैप के लिए EPR का महत्त्व:
- यह उद्योग जगत द्वारा नियमों को अपनाने के लिए लगने वाले अनिवार्य समय को स्वीकार करता है,
- यह चक्रीय अर्थव्यवस्था की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है (इन्फोग्राफिक देखें),
- इसके तहत उत्पादों की एक विस्तृत श्रेणी को शामिल किया गया है, आदि।
EPR फ्रेमवर्क के बारे में
- यह एक नीतिगत दृष्टिकोण है, जो उत्पादकों पर उनके उत्पादों और पैकेजिंग की उपयोग अवधि (End-of-life) समाप्त होने के बाद प्रबंधन का दायित्व तय करता है।
- भारत में EPR की अवधारणा की शुरुआत ई-अपशिष्ट (प्रबंधन एवं हैंडलिंग) नियम, 2011 से हुई थी।