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यूरोपीय आयोग प्रमुख ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) का विकल्प बनाने का आह्वान किया | Current Affairs | Vision IAS
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यूरोपीय आयोग प्रमुख ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) का विकल्प बनाने का आह्वान किया

Posted 11 Jul 2025

Updated 12 Jul 2025

12 min read

यूरोपीय आयोग की प्रमुख ने सुझाव दिया कि यूरोप और एशियाई देशों के बीच एक नया व्यापार सहयोग फ्रेमवर्क बनाया जाना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि विश्व व्यापार संगठन (WTO) अपनी भूमिका नहीं निभा पा रहा है।

विश्व व्यापार संगठन (WTO) के बारे में

  • उत्पत्ति: इसे 1995 में स्थापित किया गया था। इसने 1947 के तत्कालीन GATT (प्रशुल्क और व्यापार पर सामान्य समझौता) का स्थान लिया है।
  • GATT केवल एक अस्थायी व्यवस्था थी, जबकि WTO एक पूर्ण संगठन है।
  • सौंपे गए कार्य: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के विविध पहलुओं जैसे वस्तुओं, सेवाओं और बौद्धिक संपदा को विनियमित करना।
  • सदस्य: भारत सहित 164 सदस्य।  
  • निर्णय लेना: इसके तहत निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाते हैं।

WTO के समक्ष मुख्य चुनौतियां क्या हैं?

  • विवाद समाधान प्रणाली में ठहराव: 2016 से संयुक्त राज्य अमेरिका ने WTO के अपीलीय बोर्ड में नियुक्तियों को रोक रखा है। 
    • इससे WTO की विवाद समाधान प्रणाली (इन्फोग्राफिक देखें) काम नहीं कर रही है। इससे वैश्विक नियमों को लागू करना नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रहा है।
  • व्यवस्था में असमानता: WTO को अक्सर विकसित देशों का पक्षधर माना जाता है। विकासशील देशों को उच्च व्यापार बाधाओं, खराब अवसंरचना और सीमित संसाधनों के कारण अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अपनी पूरी क्षमता से भाग लेने में कठिनाई होती है।
    • इस तरह के संघर्ष के कारण WTO के सदस्य कृषि जिंसों को लेकर नए नियमों पर सहमत नहीं हो पाए हैं।
  • निर्णय प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी: पारदर्शिता का अभाव और विकासशील देशों की सीमित भागीदारी अविश्वास उत्पन्न करती है और WTO की वैधता पर सवाल उठाती है।
  • क्षेत्रीय और द्विपक्षीय व्यापार समूहों का उदय: अधिकाधिक देश यूरोपीय संघ, CPTPP, AfCFTA जैसे क्षेत्रीय और द्विपक्षीय व्यापार समझौतों को संपन्न कर रहे हैं।
    • ये समझौते WTO की भूमिका को कमजोर कर रहे हैं तथा वैश्विक व्यापार संबंधी नियमों में एकरूपता को कम करने का जोखिम उत्पन्न कर रहे हैं।
  • अमेरिका-चीन व्यापार संघर्ष: एकतरफा कार्रवाई (जैसे- स्टील पर अमेरिकी टैरिफ) और दोनों देशों के बीच वर्तमान तनाव से WTO की कार्यप्रणाली पर दबाव पड़ता है।

भारत को ग्लोबल साउथ के लीडर के रूप में देखा जाता है। ऐसे में भारत के पास WTO में सुधारों को आगे बढ़ाने तथा ग्लोबल साउथ की दीर्घकालिक चिंताओं का समाधान करने का महत्वपूर्ण अवसर है।

  • Tags :
  • विश्व व्यापार संगठन (WTO)
  • GATT
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