नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, भारत की कुल स्थापित विद्युत क्षमता 484.82 गीगावाट तक पहुंच गई है। इसमें 50.08% विद्युत का उत्पादन गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से किया गया है।
- भारत ने पेरिस समझौते के तहत अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs) लक्ष्य से पांच साल पहले ही 50% गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता का लक्ष्य हासिल कर लिया है।
भारत की नवीकरणीय ऊर्जा आधारित विद्युत क्षमता में वृद्धि को संभव करने वाली प्रमुख पहलें

- प्रधान मंत्री सूर्य घर योजना: इसके तहत लगभग 7 लाख सोलर रूफटॉप की स्थापना की जा चुकी है।
- पीएम-कुसुम/ PM-KUSUM: इसके तहत किसानों को सौर ऊर्जा से चलने वाले पंप उपलब्ध कराए गए हैं, जिससे कृषि हेतु ऊर्जा सुरक्षा संभव हुई है।
- विनिर्माण का विस्तार: उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं के माध्यम से घरेलू स्तर पर सोलर फोटोवोल्टिक और विंड टरबाइन के उत्पादन में वृद्धि हुई है।
- बेहतर होती ट्रांसमिशन अवसंरचना: नवीकरणीय ऊर्जा समृद्ध राज्यों से बिजली को दूसरे राज्यों में भेजने के लिए अंतर्राज्यीय ट्रांसमिशन प्रणालियों में काफी निवेश किया गया है।
- ग्रीन एनर्जी ओपन एक्सेस नियम 2022: ये उपभोक्ताओं के लिए नवीकरणीय ऊर्जा की उपलब्धता को बढ़ावा देते हैं।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नीति: नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रक में स्वचालित मार्ग के तहत 100% FDI की अनुमति है।
- वायबिलिटी गैप फंडिंग (VGF): अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए VGF योजना शुरू की गई है।
इस उपलब्धि का महत्त्व
- वैश्विक स्तर पर अग्रणी: भारत ने सिद्ध कर दिया है कि विकासशील देश आर्थिक संवृद्धि से समझौता किए बिना स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने में भी अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं।
- आयात पर निर्भरता में कमी: इससे ऊर्जा के मामले में संप्रभुता में वृद्धि होती है तथा वैश्विक स्तर पर ईंधन के मूल्य में अस्थिरता के प्रति सुभेद्यता में भी कमी आती है।
- ऊर्जा के स्रोतों में विविधता: विविध नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के साथ एक मजबूत और सक्षम एनर्जी मिक्स संभव होता है।
- रोजगार सृजन और औद्योगिक विकास: इससे नवीकरणीय ऊर्जा मूल्य श्रृंखला में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन होता है।