ये आंकड़ें विश्व में टीकाकरण से जुड़ी सबसे बड़ी और सबसे विस्तृत जानकारी प्रदान करते हैं। साथ ही, 14 बीमारियों के खिलाफ टीकों के रुझानों को प्रदर्शित करते हैं।
मुख्य बिंदु
- वैश्विक स्तर पर: 2024 में विश्व के 89% शिशुओं को डिप्थीरिया, टिटनेस और पर्टुसिस (काली खांसी) (DTP) वाला टीका कम-से-कम एक बार दिया गया था।
- भारत: भारत ने 2024 में अपने जीरो-डोज बच्चों की संख्या 43% तक कम कर दी थी। भारत में जीरो-डोज वाले बच्चों की संख्या 2023 की 16 लाख से घटकर 2024 में 9 लाख तक रह गई थी।
- जीरो-डोज़ बच्चे वे होते हैं, जिन्हें एक भी टीका नहीं लगा होता है।
भारत के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) के बारे में
- शुरुआत: इसे 1978 में विस्तारित टीकाकरण कार्यक्रम के रूप में शुरू किया गया था। 1985 में इसका नाम बदलकर सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) कर दिया गया था।
- कवरेज: यह 12 बीमारियों के खिलाफ मुफ्त टीकाकरण प्रदान करता है –
- पूरे देश में 9 बीमारियों के खिलाफ टीकाकरण किया जाता है। ये हैं- डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटनेस, पोलियो, खसरा, रूबेला, बचपन की टीबी, हेपेटाइटिस-बी और मेनिन्जाइटिस व निमोनिया।
- कुछ विशेष क्षेत्रों में 3 बीमारियों के लिए: रोटावायरस डायरिया, न्यूमोकोकल निमोनिया और जापानी इंसेफेलाइटिस।
- राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत, UIP भारत के लोक स्वास्थ्य प्रयासों का एक मुख्य हिस्सा बन गया है।
- इसके तहत, किसी बच्चे को तब पूरी तरह टीकाकृत माना जाता है, जब उसे राष्ट्रीय समय-सारणी के अनुसार जीवन के पहले वर्ष में सभी टीके लग चुके हों।
- उपलब्धियां: पोलियो-मुक्त भारत (2014), नवजात शिशु टिटनेस का उन्मूलन (2015) आदि।
- मुख्य पहलें:
- गहन मिशन इंद्रधनुष 5.0 (IMI 5.0) अभियान – खसरा और रूबेला के टीकाकरण कवरेज में सुधार पर विशेष ध्यान;
- यू-विन (U-WIN) पोर्टल आदि।