वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, 2014 से भारत ने लगभग 667 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2014-24) का संचयी FDI प्राप्त किया है। यह निवेश 2004-14 के पिछले दशक की तुलना में 119 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।
भारत में FDI से संबंधित मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- भारत में FDI करने वाले मुख्य देश:
- भारत में सबसे अधिक 25% FDI मॉरीशस से प्राप्त हुआ है। इसके बाद सिंगापुर (24%) और संयुक्त राज्य अमेरिका (10%) का स्थान है। भारत में FDI के अन्य प्रमुख स्रोत देश हैं- नीदरलैंड, जापान, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त अरब अमीरात, जर्मनी, साइप्रस और केमैन आइलैंड्स।
- भारत में FDI आकर्षित करने वाले प्रमुख क्षेत्रक:
- सर्वाधिक 16% FDI सेवा क्षेत्रक को प्राप्त हुआ है। इसके बाद कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर (15%); ट्रेडिंग (7%) तथा दूरसंचार (6%) क्षेत्रकों का स्थान है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) क्या है?
- इसका अर्थ है भारत के बाहर रहने वाले किसी व्यक्ति द्वारा किसी गैर-सूचीबद्ध भारतीय कंपनी में पूंजीगत साधनों के माध्यम से निवेश करना; अथवा किसी सूचीबद्ध भारतीय कंपनी के फुली डाइल्यूटेड आधार पर ‘शेयर जारी होने के बाद पेड-अप इक्विटी पूंजी’ के 10 प्रतिशत के बराबर या उससे अधिक निवेश करना।
- यह पूंजी प्रवाह मुख्य रूप से गैर-ऋण श्रेणी का होता है।
FDI का महत्त्व:
- FDI के माध्यम से प्रौद्योगिकियां भी आती हैं, विशेष रूप से नए प्रकार के पूंजीगत इनपुट प्राप्त होते हैं।
- ये प्रौद्योगिकियां वित्तीय निवेश या वस्तुओं और सेवाओं में व्यापार के माध्यम से प्राप्त नहीं की जा सकती हैं।
- FDI प्राप्त करने वाली कंपनियों को नए व्यवसायों के संचालन के दौरान अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षण सुविधा भी प्राप्त होती है। इससे FDI प्राप्त करने वाले देश में मानव पूंजी का विकास होता है।
- FDI से प्राप्त होने वाले लाभ से किसी देश के कॉर्पोरेट कर राजस्व में वृद्धि होती है।
- FDI भुगतान संतुलन को स्थिर बनाए रखती है और मुद्रा विनियम बाजार में रुपये के मूल्य को समर्थन प्रदान करती है।
भारत में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने हेतु सरकारी नीतियां
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