यह विधेयक भारतीय रेलवे बोर्ड अधिनियम, 1905 को निरस्त करने और रेलवे बोर्ड से जुड़े इसके प्रावधानों को भारतीय रेलवे अधिनियम, 1989 में समाहित करने के लिए प्रस्तुत किया गया है। इससे रेलवे बोर्ड को वैधानिक समर्थन प्रदान किया जाएगा।
- भारतीय रेलवे बोर्ड अधिनियम, 1905 में प्रावधान किया गया है कि केंद्र सरकार रेलवे के संबंध में अपनी शक्तियों और कार्यों को रेलवे बोर्ड को सौंप सकती है।
विधेयक के प्रमुख प्रावधानों पर एक नजर
- एक वैधानिक संस्था के रूप में रेलवे बोर्ड का गठन किया जाएगा।
- केंद्र सरकार बोर्ड के सदस्यों की संख्या, उनकी योग्यता, अनुभव, सेवा के नियम और शर्तें निर्धारित करेगी। साथ ही, बोर्ड के अध्यक्ष एवं सदस्यों के लिए नियुक्ति की पद्धति तय करेगी।
- रेलवे बोर्ड कुशल प्रबंधन और नीतिगत कार्यान्वयन सुनिश्चित करते हुए भारतीय रेलवे के लिए शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था के रूप में कार्य करेगा।
- रेलवे जोनों को अधिक स्वायत्तता: परिचालन दक्षता में सुधार करने और शक्तियों के विकेंद्रीकरण पर बल देने का प्रावधान किया गया है।
- स्वतंत्र विनियामक: विधेयक में प्रशुल्क, सुरक्षा और निजी क्षेत्रक की भागीदारी सहित भारतीय रेलवे के अलग-अलग पहलुओं की निगरानी हेतु एक स्वतंत्र विनियामक निकाय के गठन का प्रावधान किया गया है।
- हालांकि, विधेयक भारतीय रेलवे की वर्तमान संगठनात्मक संरचना को बरकरार रखता है।
संभावित प्रभाव:
- इस विधेयक से रेलवे बोर्ड की कार्यप्रणाली और स्वतंत्रता में वृद्धि होगी।
- रेलवे जोनों के विकेंद्रीकरण और सशक्तीकरण से निर्णय लेने में तेजी आएगी।
- स्वतंत्र विनियामक निकाय रेलवे क्षेत्रक में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देगा।
- यह रेलवे में निजी क्षेत्रक की भागीदारी बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करेगा। इससे किराए में बढ़ोतरी हो सकती है और सरकारी सब्सिडी कम हो सकती है।