इसे अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) द्वारा UNCCD के COP-16 में जारी किया गया है।
- यह रिपोर्ट प्रकृति-आधारित समाधान (NbS) और रोजगार के बीच संबंध को तथा सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को हासिल करने में NbS की भूमिका को गहराई से समझने का प्रयास करती है।
इस रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- रोजगार: वर्तमान में वैश्विक स्तर पर 60.5-63 मिलियन लोग (कुल वैश्विक रोजगार का 1.8%) NbS में काम करते हैं।
- इनमें से 95% लोग एशिया और प्रशांत क्षेत्र में कार्यरत हैं। अधिकतर लोग महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) द्वारा संचालित NbS रोजगार में संलग्न हैं।
- युवा रोजगार: NbS श्रमिकों में युवाओं (15-29 वर्ष) की भागीदारी लगभग 14% है।
- महिला रोजगार: NbS कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी वैश्विक स्तर पर 1/3 है।
- सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में योगदान: वैश्विक GDP में NbS का योगदान केवल 0.3% है।
- अवसर: "ग्रीन-ग्रे" अवसंरचना (मानव निर्मित और प्रकृति आधारित दोनों अवसंरचना) से 2030 तक 20-32 मिलियन नए रोजगार उत्पन्न होने की संभावना है।
NbS को अपनाने में तेजी लाने के लिए रिपोर्ट में की गई मुख्य सिफारिशें
- राष्ट्रीय NbS नीतिगत फ्रेमवर्क को मजबूत करना: NbS को अवसंरचना, कृषि और अन्य क्षेत्रकों में शामिल किया जाना चाहिए।
- विविध कौशल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम: ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में शिक्षा एवं प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के अंतर्गत NbS को शामिल किया जाना चाहिए।
- NbS कार्यबल में समावेशिता को बढ़ावा देना: NbS परियोजनाओं में हाशिए पर रहने वाले समुदायों को शामिल करने के साथ-साथ उचित वेतन, सुरक्षित कार्य दशाएं, सामाजिक संवाद और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।
- अनुसंधान और डेटा संग्रहण: साक्ष्य आधारित निर्णय लेने के लिए NbS संबंधी रोजगार, कौशल एवं परियोजना आधारित परिणामों पर डेटा संग्रह को बेहतर बनाना चाहिए।
प्रकृति आधारित समाधान (NbS) के बारे में
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