ये दिशा-निर्देश महाराष्ट्र राज्य बनाम प्रदीप यशवंत कोकड़े केस में जारी किए गए हैं। इन दिशा-निर्देशों के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:
- दया याचिका और मृत्युदंड की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना; तथा
- अनावश्यक देरी को रोकते हुए दोषियों के कानूनी अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करना।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी मुख्य दिशा-निर्देशों पर एक नजर
- दया याचिकाओं के लिए समर्पित प्रकोष्ठ: राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा दया याचिकाओं को संभालने और निर्धारित समय सीमा में प्रक्रिया पूरी करने के लिए समर्पित प्रकोष्ठ स्थापित किए जाएंगे।
- न्यायिक अधिकारी की नियुक्ति: विधि और न्याय विभाग के एक अधिकारी को समर्पित प्रकोष्ठ का प्रभारी बनाया जाएगा।
- सूचना साझा करना और दस्तावेजीकरण: जेल प्राधिकरण दया याचिकाओं को समर्पित प्रकोष्ठ में भेजेंगे तथा पुलिस थानों व जांच एजेंसियों से आवश्यक जानकारी मांगेंगे।
- राज्यपाल और राष्ट्रपति सचिवालयों के साथ समन्वय: दया याचिकाओं को आगे की कार्रवाई के लिए इन सचिवालयों को भेजना होगा।
- इलेक्ट्रॉनिक संचार: गोपनीयता की आवश्यकता वाले मामलों को छोड़कर, दक्षता सुनिश्चित करने के लिए सभी संचार ईमेल के माध्यम से किए जाएंगे।
- दिशा-निर्देश और रिपोर्टिंग: राज्य सरकारें दया याचिकाओं से निपटने की प्रक्रियाओं के विवरण वाले कार्यकारी आदेश जारी करेंगी।
- कार्यान्वयन: राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को तीन महीने के भीतर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के पालन के संबंध में रिपोर्ट देनी होगी।
- सत्र न्यायालयों के लिए दिशा-निर्देश: इन्हें ऐसे केसों का रिकॉर्ड रखना होगा और लंबित अपीलों के लिए सरकारी अभियोजकों या जांच एजेंसियों को नोटिस जारी करना होगा।
- एक्सेक्यूशन वारंट: मृत्युदंड के प्रवर्तनीय होने के तुरंत बाद संबंधित राज्य को एक्सेक्यूशन वारंट के लिए आवेदन करना होगा।

दया याचिका के बारे में
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