UNCCD के COP-16 में मरुस्थलीकरण की रोकथाम में देशज समुदायों की भूमिका स्वीकार की गई | Current Affairs | Vision IAS
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    UNCCD के COP-16 में मरुस्थलीकरण की रोकथाम में देशज समुदायों की भूमिका स्वीकार की गई

    Posted 10 Dec 2024

    15 min read

    संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम अभिसमय (UNCCD) के पक्षकारों का 16वां सम्मेलन (COP-16) रियाद में आयोजित हो रहा है। इस सम्मेलन में पहली बार ‘UNCCD में देशज लोगों का फोरम’ भी आयोजित किया गया। 

    • इसमें भूमि संरक्षण और संसाधनों के संधारणीय प्रबंधन में देशज लोगों के अमूल्य योगदान को रेखांकित किया गया।

    देशज लोग (Indigenous Peoples) कौन हैं?

    • ये अनूठी परंपराओं का पालन करने वाले आदिवासी समुदाय हैं। ये अपनी अनूठी सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक परंपराओं को संरक्षित रखे हुए हैं। ये परम्पराएं उन प्रभावशाली समाजों से भिन्न हैं, जिनमें वे रहते हैं। 
      • देशज समुदायों के उदाहरण हैं- ऑस्ट्रेलिया के एबोर्जिन्स, न्यूजीलैंड के माओरी, भारत की जनजातियां (जैसे संथाल, गारो) आदि।  
    • ये विश्व की आबादी का केवल 5% हैं, इसके बावजूद उन्हें "हरित क्षेत्रों के रक्षक" (Gatekeepers of green areas) के रूप में मान्यता दी गई है। गौरतलब है कि विश्व के 22% हिस्से पर हरित क्षेत्र का आवरण है।

    मरुस्थलीकरण से निपटने में देशज समुदायों की भूमिका

    • रिजेनरेटिव एग्रीकल्चर और कृषि वानिकी में: उदाहरण के तौर पर- माया समुदाय के लोगों द्वारा मिलपा नामक पॉलीकल्चर तकनीक का उपयोग किया जाता है।
    • संरक्षित क्षेत्रों के प्रबंधन में: उदाहरण के लिए- बिलिगिरी रंगास्वामी मंदिर वन्यजीव अभयारण्य (BRTWS) के प्रबंधन में सोलिगा जनजाति प्रमुख भूमिका निभाती है।
    • पुनर्वनीकरण में: उदाहरण के लिए- भारत की खासी और गारो जनजातियां मेघालय में पवित्र माने जाने वाले वृक्षों (Sacred groves) का प्रबंधन करती हैं। इससे वनों का संरक्षण होता है।
    • जल प्रबंधन: उदाहरण के लिए- बीदर क्षेत्र में वर्षा जल संचयन के लिए करेज या 'सुरंग बावी' प्रणाली अपनाई जाती है।

    देशज लोगों के समक्ष चुनौतियां

    • मुख्य चुनौतियां अग्रलिखित हैं- चरम गरीबी, जबरन विस्थापन, लैंगिक भेदभाव, संसद या विधान मंडलों में कम प्रतिनिधित्व, सामाजिक सेवाओं का पर्याप्त लाभ नहीं मिलना, जलवायु परिवर्तन, आदि।

    देशज समुदाय के उद्धार के लिए की गई मुख्य सिफारिशें

    • हरित क्षेत्रों के संरक्षण से जुड़ी वैश्विक निर्णय प्रणाली में देशज लोगों को भी शामिल करना चाहिए।
    • देशज लोगों को भूमि अधिकार दिया जाना चाहिए और आसानी से वित्त-पोषण प्रदान करना चाहिए।
    • राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नीतियों में देशज लोगों के पारंपरिक ज्ञान को शामिल करने के लिए एक तंत्र विकसित करना चाहिए। 

    देशज समुदाय के ज्ञान का उपयोग करके हरित क्षेत्रकों के संरक्षण के लिए उठाए गए कदम

    • संयुक्त वन प्रबंधन (JFM): इसके तहत सरकारी नियंत्रण वाली निम्नीकृत वन भूमि के प्रबंधन में स्थानीय समुदायों को शामिल किया जाता है।
    • ग्रीन इंडिया मिशन (GIM): इसके उद्देश्य हैं- भारत के कम होते वन क्षेत्र की रक्षा करना, पुनर्वनीकरण करना और हरित क्षेत्र बढ़ाना।
    • पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (TKDL): यह पारंपरिक ज्ञान का डिजिटल संग्रह है। इसका उद्देश्य बायो-पाइरेसी और गलत तरीके से पारंपरिक ज्ञान के पेटेंट को रोकना है। 
    • वन अधिकार अधिनियम (FRA) 2006: इसमें वन संसाधनों और वनवासियों की पारंपरिक प्रथाओं पर सामुदायिक अधिकारों को मान्यता देने संबंधी प्रावधान किए गए हैं।
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    • ग्रीन इंडिया मिशन (GIM)
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