अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, वित्त वर्ष 24 में चाबहार बंदरगाह और INSTC के माध्यम से पोत एवं कंटेनर यातायात में वृद्धि दर्ज की गई है।

INSTC के बारे में
- यह 7,200 किलोमीटर लंबा मल्टी-मॉडल परिवहन मार्ग है। यह मार्ग हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को, फिर आगे ईरान से होते हुए कैस्पियन सागर से जोड़ता है। आगे यह मार्ग सेंट पीटर्सबर्ग से होते हुए उत्तरी यूरोप तक जाता है।
- इस कॉरिडोर की स्थापना 2000 में ईरान, रूस और भारत के मध्य सेंट पीटर्सबर्ग में आपसी सहमति से हुई थी। इसका उद्देश्य शामिल देशों के बीच व्यापार और परिवहन संपर्क बढ़ाना है।
- वर्तमान में, INSTC परियोजना में 13 सदस्य देश शामिल हैं। ये देश हैं; भारत, ईरान, रूस, अजरबैजान, आर्मेनिया, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्किये, यूक्रेन, बेलारूस, ओमान और सीरिया।
- इस परियोजना में बुल्गारिया पर्यवेक्षक देश के रूप में शामिल हुआ है।
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वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम
DRDO ने ओडिशा के तट पर स्थित चांदीपुर से VSHORADS के लगातार तीन उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक पूर्ण किए हैं।
वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORADS) के बारे में
- यह एक ह्यूमन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम है। इसे स्वदेशी रूप से हैदराबाद स्थित अनुसंधान केंद्र इमारत ने अन्य DRDO प्रयोगशालाओं के सहयोग से विकसित किया है।
- यह एक डबल थ्रस्ट सॉलिड मोटर द्वारा संचालित होता है। यह कम दूरी पर कम ऊंचाई वाले हवाई खतरों को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है।
- यह अपनी पोर्टेबिलिटी और तेजी से तैनात होने की क्षमता के चलते भारत की वायु रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती है।
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इलायची
हाल ही में, केरल के पश्चिमी घाट में हरी इलायची की दो नई किस्मों; एलेटारिया फेसिफ़ेरा (Elettaria facifera) और एलेटारिया ट्यूलिपिफ़ेरा (Elettaria tulipifera) की खोज की गई है।
इलायची के बारे में
- इसे "मसालों की रानी" (Queen of spices) कहा जाता है। यह जिंजिबेरेसी (अदरक/Ginger) कुल से संबंधित है।
- यह दुनिया का तीसरा सबसे महंगा मसाला (स्पाइस) है। वेनिला और केसर दुनिया के दो सबसे महंगे मसालें हैं।
- खेती के लिए अनुकूल मौसम: जून-दिसंबर सबसे अनुकूल मौसम माना जाता है।
- आदर्श मृदा और जलवायु दशाएं:
- बेहतर जल निकासी वाली दोमट मिट्टी और घने छायादार क्षेत्र।
- आमतौर पर यह वन क्षेत्र में अम्लीय गुण वाली दोमट मिट्टी में उगती है, जिसका pH मान 5.0 – 6.5 के बीच होना चाहिए।
- इसे समुद्र तल से 600 से 1500 मीटर तक की ऊंचाई पर उगाया जाता है।
- इसके लिए गर्म आर्द्र जलवायु और वर्षा के समान वितरण के साथ 1500 - 4000 मिलीमीटर की वार्षिक वर्षा अनुकूल मानी जाती है।
- विश्व बैंक के अनुसार, 2021 में भारत इलायची का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक था। ग्वाटेमाला सबसे बड़ा निर्यातक देश था।
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समुद्रयान परियोजना
समुद्रयान परियोजना के लिए केंद्रीय बजट 2025-26 में 600 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इस परियोजना की शुरुआत डीप ओशन मिशन के तहत की गई है।
समुद्रयान परियोजना के बारे में
- मंत्रालय: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय।
- उद्देश्य: डीप सी एक्स्प्लोरेशन के लिए 3 मनुष्यों को 6000 मीटर की गहराई तक ले जाने के लिए सेल्फ-प्रोपेल्ड पनडुब्बी विकसित करना।
- यह पनडुब्बी 12 घंटे की परिचालन अवधि और आपातकालीन स्थिति में 96 घंटे तक कार्य कर सकती है।
- अवधि: 2020-2021 से 2025-2026 तक।
- महत्त्व:
- अन्वेषण: इससे जैव विविधता का आकलन, मैंगनीज, कोबाल्ट, तांबा, निकल और गहरे समुद्र के अन्य निक्षेप जैसे खनिज संसाधनों का अन्वेषण किया जा सकेगा। इससे भारत की ब्लू इकोनॉमी को बढ़ावा मिलेगा।
- अनुसंधान: इससे हाइड्रोथर्मल वेंट और मीथेन सीप्स में रसायन संश्लेषित जैव विविधता को समझने में मदद मिलेगी।
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- समुद्रयान परियोजना
- डीप सी एक्स्प्लोरेशन
अंतर-सरकारी महासागरीय आयोग
हाल ही में, यूनेस्को के अंतर-सरकारी महासागरीय आयोग (UNESCO-IOC) ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
- इस समझौता ज्ञापन के तहत ‘व्यापक कैरेबियन क्षेत्र (Wider Caribbean region)’ के लिए महासागर समन्वय तंत्र स्थापित किया जाएगा।
अंतर-सरकारी महासागरीय आयोग (OCM) के बारे में:
- उद्देश्य: व्यापक कैरेबियन क्षेत्र के समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए संधारणीय भविष्य सुनिश्चित करना।
- वित्त-पोषण: इसे वैश्विक पर्यावरण सुविधा (Global Environment Facility: GEF) से वित्त-पोषण प्राप्त होगा।
- मुख्य कार्य:
- समुद्री संसाधनों के संधारणीय तरीके से उपयोग के लिए हस्ताक्षरकर्ता देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
- ब्लू इकोनॉमी का संधारणीय विकास सुनिश्चित करना तथा समुद्री और तटीय विकास के लिए सीमित संसाधनों का प्रभावी तरीके से उपयोग करना।
- इस आयोग के एग्जीक्यूटिव ग्रुप के सदस्य में कई अंतर्राष्ट्रीय संगठन शामिल हैं। साथ ही, इसकी स्टीयरिंग कमेटी के
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- अंतर-सरकारी महासागरीय आयोग
- UNESCO-IOC
- OCM
भारतीय भाषा पुस्तक योजना
वित्त मंत्री ने केंद्रीय बजट 2025-26 में भारतीय भाषा पुस्तक योजना शुरू करने की घोषणा की है।
भारतीय भाषा पुस्तक योजना के बारे में
- उद्देश्य: इसका उद्देश्य स्कूली और उच्चतर शिक्षा के स्तर पर भारतीय भाषाओं की पुस्तकों को डिजिटल रूप में उपलब्ध कराना है। इससे विद्यार्थियों को अपने विषयों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।
- यह योजना राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 के अनुरूप है। इस योजना के तहत स्कूलों और विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों को डिजिटल फॉर्मेट में पाठ्य-पुस्तकें और अध्ययन सामग्री मिलेंगी।
- यह योजना ‘अस्मिता (ASMITA) पहल के उद्देश्यों को पूरा करने में भी सहायता करेगी। अस्मिता (ASMITA) से तात्पर्य है; ऑग्मेंटिंग स्टडी मटेरियल्स इन इंडियन लैंग्वेजेज थ्रू ट्रांसलेशन एंड एकेडमिक राइटिंग।
- केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और UGC ने 2024 में अस्मिता पहल की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य अगले पांच वर्षों में 22 भारतीय भाषाओं में 22,000 पुस्तकें प्रकाशित करना है।
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- भारतीय भाषा पुस्तक योजना
- अस्मिता (ASMITA) पहल
फसलों के जर्मप्लाज्म भंडारण के लिए जीन बैंक
फसलों के जर्मप्लाज्म भंडारण के लिए जीन बैंक इसमें फसलों के लाखों जर्मप्लाज्म भंडारित होंगे जिससे भविष्य में खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
- जीन बैंक वास्तव में फसल आनुवंशिक सामग्रियों का भंडार होता है। इन आनुवंशिक सामग्रियों में बीज, पराग या ऊतक के सैंपल्स शामिल होते हैं। ये जीन बैंक फसल किस्मों को विलुप्त होने से बचाते हैं।
भारत के प्रथम राष्ट्रीय जीन बैंक के बारे में
- भारत के पहले राष्ट्रीय जीन बैंक की स्थापना 1996 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (ICAR-NBPGR) द्वारा नई दिल्ली में की गई थी।
- इस जीन बैंक के देश भर में 12 क्षेत्रीय स्टेशन हैं। ये फसलों के महत्वपूर्ण जर्मप्लाज्म का संग्रह और भंडारण करते हैं।
- ये जर्मप्लाज्म पादपों या प्राणियों के आनुवंशिक घटक होते हैं। इनका उपयोग अनुसंधान, संरक्षण और क्रॉप ब्रीडिंग में किया जाता है।
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- जर्मप्लाज्म भंडारण
- राष्ट्रीय जीन बैंक
- ICAR-NBPGR
आक्रामक मछली प्रजातियां
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) ने मच्छरों को नियंत्रित करने के लिए जैविक एजेंट के रूप में इस्तेमाल की जा रही दो आक्रामक मछली प्रजातियों पर केंद्र से जवाब मांगा है।
- दोनों आक्रामक मछली प्रजातियां IUCN की लीस्ट कंसर्न श्रेणी में शामिल हैं।
- दोनों लवणीय जल, उच्च लवणता और तापमान को भी सहन कर सकती हैं।
गम्बूसिया एफिनिस (पश्चिमी मच्छर मछली) के बारे में
- प्राकृतिक पर्यावास: यह मछली सेन्ट्रल इंडियाना और इलिनोइस से लेकर मिसिसिपी नदी बेसिन और दक्षिण में मैक्सिको की खाड़ी तक पाई जाती हैं।
- विशेषताएं:
- यह ताजे जल में पाई जाती है। यह अत्यंत कम ऑक्सीजन की मात्रा वाले जल में भी जीवित रह सकती है।
- यह विविपेरस (अंडे देने के बजाय सीधे बच्चे को जन्म देना) होती है और गर्मियों के पूरे मौसम में प्रजनन करती हैं।
- यह IUCN द्वारा दुनिया की 100 "सबसे अधिक आक्रामक विदेशी प्रजातियों" में से एक थी।
पोसीलिया रेटिकुलाटा (गप्पी, मिलियनफिश और रेनबो मछली) के बारे में
- प्राकृतिक पर्यावास: उत्तरी दक्षिण अमेरिका और कैरेबियाई द्वीप।
- विशेषताएं: तालाबों और जलधाराओं के उथले क्षेत्र में पायी जाती है।
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- IUCN
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