केंद्रीय वित्त मंत्री ने बीमा क्षेत्रक में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा 74% से बढ़ाकर 100% करने का प्रस्ताव किया | Current Affairs | Vision IAS
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केंद्रीय वित्त मंत्री ने बीमा क्षेत्रक में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा 74% से बढ़ाकर 100% करने का प्रस्ताव किया

Posted 03 Feb 2025

12 min read

विदेशी निवेश की यह बढ़ी हुई सीमा उन बीमा कंपनियों के लिए उपलब्ध होगी जो अपना पूरा प्रीमियम भारत में निवेश करेंगी

  • बीमा क्षेत्रक में FDI की सीमा बढ़ाने के लिए बीमा अधिनियम 1938जीवन बीमा निगम अधिनियम 1956 और बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम 1999 में संशोधन करना होगा।

बीमा क्षेत्रक में 100% FDI का महत्त्व 

  • निवेश में वृद्धि: बीमा क्षेत्रक की संवृद्धि और विस्तार के लिए अधिक विदेशी पूंजी उपलब्ध होगी।
  • प्रतिस्पर्धा में वृद्धि: विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए बीमा कंपनियों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। इससे लोगों के लिए बेहतर बीमा उत्पाद, बेहतर बीमा सेवाएं और कम प्रीमियम पर बीमा योजनाएं उपलब्ध होंगी।  
  • तकनीकी सुधार: विदेशी निवेश आने से बीमा कंपनियां अत्याधुनिक तकनीक अपना सकेंगी और बाजार में नए बीमा उत्पाद भी लॉन्च कर सकेंगी।
  • बीमा की पैठ का विस्तार: विदेशी निवेश बढ़ने से अधिक लोगों को बीमा कवरेज के दायरे में लाया जा सकेगा। इससे ‘2047 तक सभी के लिए बीमा’ के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। 

भारत के बीमा क्षेत्रक की स्थिति (आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार)

  • कुल बीमा प्रीमियम वित्त वर्ष 24 में 7.7% की वृद्धि के साथ 11.2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
  • बीमा की पैठ (Insurance Penetration) वित्त वर्ष 23 के 4% से घटकर वित्त वर्ष 24 में 3.7% हो गया है।
  • बीमा घनत्व (Insurance Density) वित्त वर्ष 23 के 92 डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 24 में 95 डॉलर हो गया है।
    • बीमा की पैठ वास्तव में यह बताती है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का कितना प्रतिशत बीमा प्रीमियम संग्रह किया गया है।  
    • बीमा घनत्व का मतलब है कि किसी देश में प्रति व्यक्ति औसतन कितना बीमा प्रीमियम संग्रह किया जाता है।

भारत में बीमा क्षेत्रक के समक्ष चुनौतियां

  • भारत में विश्व की बड़ी बीमा कंपनियों का न होना: विश्व की 25 शीर्ष बीमा कम्पनियों में से 20 कंपनियां भारत में बीमा सेवाएं नहीं प्रदान कर रही हैं।
  • आर्थिक बाधाएं: बीमा प्रीमियम अधिक होने के कारण बड़ी संख्या में लोग बीमा नहीं करवाते हैं।
  • भारतीय समाज में बीमा को अधिक प्राथमिकता नहीं देना: भारत में लोग बीमा कराने की बजाय अन्य पारंपरिक निवेश (जैसे- सोना खरीदना) को प्राथमिकता देते हैं।

भारत में बीमा क्षेत्रक के विकास के लिए उठाए गए कदम

  • बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) का गठन: इसका उद्देश्य बीमा उद्योग का संगठित और सुव्यवस्थित विकास सुनिश्चित करना है।
  • बीमा लोकपाल नियम, 2017: इसका उद्देश्य बीमा सेवाओं में मौजूद कमियों से संबंधित शिकायतों का त्वरित, वहनीय तरीके से और निष्पक्ष समाधान सुनिश्चित करना है।
  • Tags :
  • FDI
  • बीमा क्षेत्रक
  • बीमा की पैठ
  • बीमा घनत्व
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