यह घोषणा केंद्रीय बजट 2025-26 में की गयी है। प्रधान-मंत्री जन आरोग्य योजना भारत में सार्वजनिक और निजी सूचीबद्ध अस्पतालों में द्वितीयक और तृतीयक स्वास्थ्य सेवा देखभाल के लिए प्रति लाभार्थी परिवार को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये का कवर प्रदान करती है।
- गिग वर्कर्स के लिए बजट में कई अन्य घोषणाएं भी की गई हैं। जैसे कि केंद्र सरकार गिग वर्कर्स के लिए पहचान-पत्र जारी करेगी और ई-श्रम पोर्टल पर उनकी पंजीकरण प्रक्रिया को सुगम बनाएगी।
गिग वर्कर्स के बारे में
- सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के अनुसार, गिग वर्कर वह व्यक्ति होता है जो पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध के बिना अपनी सेवाएं प्रदान करके आय अर्जित करता है।
- नीति आयोग के अनुसार, 2020-21 में 7.7 मिलियन (77 लाख) लोग गिग इकॉनमी में कार्यरत थे। इस संख्या के 2029-30 तक बढ़कर 2.35 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है।
गिग वर्कर्स के समक्ष चुनौतियां
- सीमित अवसर: गिग इकॉनमी इंटरनेट और डिजिटल तकनीक पर निर्भर है। इस वजह से यह शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित है।
- नौकरी और आय की असुरक्षा: गिग या प्लेटफॉर्म वर्कर्स को प्रत्येक कार्य या सेवा के लिए भुगतान किया जाता है। इससे उन्हें श्रम कानूनों के तहत न्यूनतम वेतन और निश्चित दैनिक या साप्ताहिक कार्य-घण्टे का लाभ नहीं मिल पाता है।
- सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ नहीं मिलना: गिग वर्कर्स को न तो स्वास्थ्य बीमा का कवरेज प्राप्त है, न ही भविष्य निधि (EPF) का लाभ प्राप्त हो रहा है।
- एल्गोरिद्म प्रबंधन: डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रेटिंग और प्रदर्शन मूल्यांकन के आधार पर गिग वर्कर्स को कार्य मिलता है, जिससे उन पर भारी मानसिक दबाव रहता है।
भारत में गिग वर्कर्स के कल्याण के लिए मुख्य पहलें
|