वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंटरटेनमेंट समिट (वेव्स) एक वैश्विक शिखर सम्मेलन है। यह मनोरंजन, क्रिएटिविटी और संस्कृति की दुनिया को एकीकृत करता है।
- प्रधान मंत्री ने कहा कि क्रिएटिव इकोनॉमी भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करेगी।
क्रिएटिव इकोनॉमी के बारे में
- क्रिएटिव इकोनॉमी को ऑरेंज इकोनॉमी भी कहा जाता है। UNCTAD के अनुसार, क्रिएटिव इंडस्ट्री उन प्रक्रियाओं का समूह है जो क्रिएशन, प्रोडक्शन एवं डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़े होते हैं। ये उद्योग क्रिएटिविटी और बौद्धिक संपदा का उपयोग करके आर्थिक मूल्य उत्पन्न करते हैं।
- क्रिएटिव इकोनॉमी में संस्कृति और विरासत से जुड़ी ज्ञान-आधारित गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया जाता है। इसमें आर्थिक मूल्य वाले मूर्त और अमूर्त क्रिएटिव प्रोडक्ट शामिल होते हैं, जैसे- विज्ञापन, वास्तुकला, कला, संगीत, फिल्म निर्माण, आदि।
क्रिएटिव इकोनॉमी का महत्त्व
- आर्थिक संवृद्धि: वैश्विक GDP में क्रिएटिव इकोनॉमी की हिस्सेदारी 3% के आस-पास है। साथ ही, यह दुनिया भर में प्रतिवर्ष 2 ट्रिलियन डॉलर से भी अधिक का वार्षिक राजस्व उत्पन्न करती है।
- एक्ज़िम बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में भारत का क्रिएटिव वस्तुओं और सेवाओं का कुल निर्यात लगभग 121 बिलियन डॉलर था।
- रोजगार: एशियाई विकास बैंक के अनुसार, यह क्षेत्रक भारत की लगभग 8% कार्यशील जनसंख्या को रोजगार प्रदान करता है।
- सतत विकास: यह सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) जैसे कि SDG-5 (लैंगिक समानता), SDG-8 (बेहतर कार्य और आर्थिक समृद्धि) आदि को बढ़ावा देती है।
- सॉफ्ट पावर: यह संगीत, नृत्य आदि के माध्यम से परस्पर जुड़ाव को बढ़ावा देकर तथा सीमा-पार संपर्क स्थापित कर सॉफ्ट पावर का विस्तार करने में योगदान देती है।
