यह अभियान राष्ट्रीय गैर-संचारी रोग रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम (NP-NCD) का एक हिस्सा है।
- कार्यक्रम की योजना, कार्यान्वयन, निगरानी और मूल्यांकन सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय, राज्य तथा जिला स्तर पर NCD प्रभाग स्थापित किए गए हैं।
- राष्ट्रीय NCD प्रभाग का नेतृत्व स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव (NCD) द्वारा किया जाता है। साथ ही, उप महानिदेशक (DDG) स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय में तकनीकी प्रमुख है।
- उद्देश्य: 30 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों की 100% स्क्रीनिंग सुनिश्चित करना।
- कवरेज: प्रचलित NCDs, जिनमें मधुमेह, उच्च रक्तचाप और तीन सामान्य कैंसर (मुंह, स्तन एवं सर्वाइकल कैंसर) शामिल हैं।
- अपनाई गई रणनीतियां: घर-घर तक पहुंच बनाना, आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति की उपलब्धता सुनिश्चित करना, रियल टाइम निगरानी करना, बहु-स्तरीय (ब्लॉक, जिला व राज्य स्तर पर) समन्वय करना आदि।
गैर-संचारी रोग और उनकी स्थिति
- NCDs वे चिरकालिक रोग हैं, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संचारित नहीं होते हैं।
- स्थिति: WHO, 2018 के अनुसार, भारत में सभी मौतों में से 63% गैर-संचारी रोगों के कारण होती हैं।
- वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 74% तक पहुंच चुका है।
- अधिक जोखिम वाले रोग: हृदय रोग (27%), दीर्घकालिक श्वसन रोग (11%), कैंसर (9%), मधुमेह (3%) आदि।
NCDs की बढ़ती प्रवृत्ति के पीछे उत्तरदायी कारक
- व्यवहार संबंधी कारक: तंबाकू का उपयोग (धूम्रपान व धुआं रहित), शराब का उपयोग, अस्वास्थ्यकर आहार, शारीरिक निष्क्रियता, वायु प्रदूषण (इंडोर एवं आउटडोर)।
- जैविक और शारीरिक कारक: अधिक वजन/ मोटापा, उच्च रक्तचाप या ब्लड सुगर, उच्च कोलेस्ट्रॉल आदि।
- अन्य: तनाव, वंशानुगत कारक आदि।
NCDs को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदम
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