भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था पांच गुना वृद्धि के साथ विकसित भारत 2047 के विज़न में महत्वपूर्ण योगदान देगी।
भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था
- वर्तमान स्थिति: भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का मूल्य 8.4 बिलियन डॉलर है, जो वैश्विक अंतरिक्ष बाजार का 2% है।
- अर्थव्यवस्था में योगदान: पिछले दशक में GDP में 20,000 करोड़ रुपये के योगदान के साथ इसने 96,000 लोगों को नौकरियां भी प्रदान की थी।
- अंतरिक्ष क्षेत्रक में प्रत्येक डॉलर का निवेश 2.54 डॉलर का आर्थिक प्रभाव उत्पन्न करता है। इस प्रकार, यह भारत के व्यापक उद्योग की तुलना में 2.5 गुना अधिक उत्पादक बन जाता है।
- विज़न: सरकार का लक्ष्य 2033 तक वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में 8% हिस्सेदारी प्राप्त करना है। इससे अंतरिक्ष क्षेत्रक की अर्थव्यवस्था 44 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकेगी।
राष्ट्र निर्माण में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की भूमिका
- भूमि डिजिटलीकरण: उदाहरण के लिए स्वामित्व योजना के तहत उपग्रहों की मदद से भूमि रिकॉर्ड में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाती है।
- संसाधन मानचित्रण: अंतरिक्ष आधारित तकनीक हिमालयी और समुद्री संसाधनों के दोहन में सहायता करती है।
- अंतरिक्ष क्षेत्रक में महिलाएं: इसरो के कार्यबल में 20-25% महिलाएं हैं, जो चंद्रयान जैसे प्रमुख मिशनों में योगदान देती हैं।
- नेविगेशन और संचार: इसरो का नाविक (NavIC) नेशनल पोजिशनिंग और कनेक्टिविटी को बढ़ाता है।
अंतरिक्ष क्षेत्रक के लिए शुरू की गई महत्वपूर्ण पहलें
- अंतरिक्ष बजट: यह 2013-14 में 5,615 करोड़ रुपये से लगभग तीन गुना बढ़कर 2025-2026 में 13,416 करोड़ रुपये हो गया है।
- भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe): इसे अंतरिक्ष आधारित गतिविधियों में निजी क्षेत्रक की भागीदारी को बढ़ावा देने और उसके पर्यवेक्षण के लिए 2020 में स्थापित किया गया था।
- अन्य: इसमें भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023, 100% FDI की अनुमति, 1,000 करोड़ वेंचर कैपिटल (VC) फंड आदि शामिल हैं।
