यह चेतावनी उस संदर्भ में भी आई है, जब पिछले माह डूम्सडे क्लॉक आधी रात के एक सेकंड और करीब आ गई।
- डूम्सडे क्लॉक को 1947 में बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स द्वारा पेश किया गया था। यह प्रतीकात्मक रूप से यह दर्शाती है कि मानवता आत्म-विनाश के कितने करीब है।
परमाणु हथियारों के कारण उत्पन्न वर्तमान जोखिम
- वैश्विक सुरक्षा चिंताओं में वृद्धि: भू-राजनीतिक तनाव, राष्ट्रों के बीच विश्वास में कमी, और सैन्य खर्चों में वृद्धि से परमाणु संघर्ष की संभावना बढ़ रही है।
- निरस्त्रीकरण फ्रेमवर्क्स का क्षरण: परमाणु परीक्षण और प्रसार के खिलाफ प्रमुख संधियों एवं मानदंडों को कमजोर किया जा रहा है।
- परमाणु ब्लैकमेल: विरोधी देशों को भयभीत करने के लिए परमाणु हथियारों के उपयोग की धमकी वैश्विक अस्थिरता को बढ़ावा देती है।
- आविष्कारों का विस्तार: देश अपने परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ा रहे हैं और बाह्य अंतरिक्ष में हथियारों की तैनाती जैसी नए हथियारों की दौड़ शुरू हो गई है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को हथियार बनाना: यह मानव नियंत्रण को कम कर सकता है, जिससे बिना उद्देश्य के ही परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का खतरा बढ़ सकता है।
अप्रसार प्रयास
- निःशस्त्रीकरण सम्मेलन: इसका एजेंडा परमाणु निरस्त्रीकरण, बाह्य अंतरिक्ष में हथियारों की दौड़ को रोकना, और नए प्रकार के व्यापक विनाशकारी हथियारों की समस्या का समाधान खोजना है।
- परमाणु अप्रसार संधि (NPT): इसका उद्देश्य परमाणु हथियारों और उनकी तकनीक के प्रसार को रोकना तथा परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना है।
- व्यापक परमाणु परीक्षण-प्रतिबंध संधि (CTBT): यह सैन्य या शांतिपूर्ण किसी भी उद्देश्य से किए गए सभी परमाणु विस्फोटों पर प्रतिबंध लगाती है।
- अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA): यह परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग के लिए दुनिया के अग्रणी अंतर-सरकारी मंच के रूप में कार्य करती है।