हैश्ड इमर्जेंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, वेब-3 क्षेत्र में प्रवेश करने वाले सभी नए डेवलपर्स में से 17% भारत से हैं, जो किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे अधिक है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- भारत का बढ़ता हुआ वेब-3 क्षेत्र
- वर्ष 2024 में 4.7 मिलियन से अधिक डेवलपर्स गिटहब (GitHub) से जुड़े हुए थे। यह एक साल में 28% की वृद्धि दर्शाता है।
- चुनौतियां:
- वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDAs) एक ‘समानांतर मुद्रा’ के रूप में कार्य कर रही हैं, जिनसे निपटना चुनौती साबित हो रही है।
- वेब का समर्थन करने वाले नीतिगत एजेंडे की कमी है।
- वेब-3 के लिए अलग विनियामक संस्था मौजूद नहीं है।
- आगे की राह
- वेब गतिविधियों के प्रशासन और निगरानी के लिए प्रतिबंधात्मक नियम की बजाय इसे बढ़ावा देने वाले सरल नियम बनाने की आवश्यकता है।
- भारत में भी G-20 और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) के वैश्विक मानदंडों के अनुरूप नियम बनाने की आवश्यकता है।
वेब-3 क्या है?
- वेब-3 वास्तव में इंटरनेट की नेक्स्ट जनरेशन की प्रौद्योगिकियों को समाहित करने वाली शब्दावली है। इसमें ब्लॉकचेन जैसी तकनीकें शामिल हैं।
- वेब-3 का उद्देश्य डेटा के स्वामित्व का विकेंद्रीकरण करना और मध्यवर्तियों पर निर्भरता को कम करना है। इस तरह वेब पर उपलब्ध सूचनाओं पर व्यक्ति यानी यूजर का स्वयं का नियंत्रण होता है।
- ब्लॉकचेन विकेन्द्रीकृत और वितरित खाता-बही (लेजर) है। ब्लॉकचेन में डेटा को विकेन्द्रीकृत तरीके से कम्प्यूटर्स या नोड्स के नेटवर्क पर संग्रहित किया जाता है, जहां ब्लॉक एक साथ श्रृंखला से जुड़े होते हैं।
- ब्लॉकचेन की विशेषताएं:
- स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स (Smart Contracts): इसमें डिजिटल अनुबंध अपने आप लागू हो जाते हैं।
- वितरित (Distributed): सभी विश्वस्त भागीदारों के पास खाता-बही (लेजर) की एक कॉपी होती है, जिससे पूरी पारदर्शिता बनी रहती है।
- सुरक्षित (Secured): सभी रिकॉर्ड व्यक्तिगत रूप से एन्क्रिप्टेड होते हैं।
- अपरिवर्तनीय (Immutable): एक बार वैध ठहराया गया रिकॉर्ड बदला नहीं जा सकता।
- विश्वसनीय (Trusted): डेटा विकेंद्रीकृत होता है और इसे कई भागीदारों द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
- सर्व-सहमति (Consensus): नेटवर्क में शामिल सभी भागीदार प्रत्येक रिकॉर्ड की वैधता पर सहमत होते हैं।
- लेन-देन के समय-का उल्लेख (Time-stamped): प्रत्येक लेन-देन का समय ब्लॉक पर दर्ज किया जाता है।
- वेब-3 के उपयोग:
- NFTs (नॉन-फंजिबल टोकन्स) बनाने में;
- विकेंद्रीकृत वित्त-पोषण (DeFi - Decentralized Finance) में;
- वास्तविक परिसंपत्तियों के टोकेनाइज़ेशन में;
- स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स लागू करने में आदि।
