भारत में पेटेंट आवेदनों की संख्या एक दशक में दोगुनी से अधिक हो गई है। इसके अंतर्गत ट्रेडमार्क आवेदनों में 2.5 गुना तथा डिजाइन फाइलिंग में 3 गुना से अधिक वृद्धि दर्ज की गई है।
बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPRs)के प्रकार
- पेटेंट: यह किसी आविष्कार के लिए एक अनन्य अधिकार है, जो आमतौर पर 20 वर्षों की सीमित अवधि के लिए दिया जाता है।
- ट्रेडमार्क: ट्रेडमार्क एक विशिष्ट चिन्ह या संकेतक होता है। इसका उपयोग किसी व्यवसाय संगठन द्वारा अपने उत्पादों या सेवाओं को अन्य संस्थाओं के उत्पादों या सेवाओं से अलग दर्शाने के लिए किया जाता है।
- औद्योगिक डिजाइन: यह किसी उत्पाद के बाहरी रूप, डिजाइन या सजावटी पहलू को व्यक्त करता है।
- भौगोलिक संकेतक (GI): GI टैग का इस्तेमाल ऐसे उत्पादों पर किया जाता है, जिनकी एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति होती है। इसी उत्पत्ति के कारण इन उत्पादों में विशिष्ट गुण या प्रतिष्ठा होती है।
- कॉपीराइट: यह अधिकार साहित्यिक, कलात्मक और वैज्ञानिक कृतियों के रचनाकारों को प्रदान किया जाता है।
IPR फाइलिंग के लिए वैश्विक संधियां और प्रोटोकॉल्स
- पेटेंट सहयोग संधि (PCT), 1970: यह WIPO के तहत एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है। इसमें भारत सहित 158 सदस्य देश शामिल हैं।
- यह एकल अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट आवेदन के माध्यम से एक साथ कई देशों में आविष्कार हेतु पेटेंट संरक्षण का प्रयास करती है।
- ट्रेडमार्क पंजीकरण के लिए मैड्रिड प्रोटोकॉल, 1989: इसने WIPO द्वारा प्रशासित मैड्रिड सिस्टम स्थापित किया है। यह सिस्टम वैश्विक स्तर पर ट्रेडमार्क्स को पंजीकृत और प्रबंधित करने का प्रावधान करता है।
- इसमें 115 सदस्य हैं, जो भारत सहित 131 देशों को कवर करते हैं।
- औद्योगिक डिजाइनों के अंतर्राष्ट्रीय पंजीकरण के संबंध में हेग समझौता 1925: इसके जरिए हेग सिस्टम की स्थापना की गई है। इसका उद्देश्य औद्योगिक डिजाइनों को कई देशों या क्षेत्रों में संरक्षित करना है।
- भारत इसका सदस्य नहीं है।