रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत को 2047 तक उच्च आय वाला देश (HIC) बनने के लिए अगले 22 वर्षों में औसतन 7.8% की दर से विकास करना होगा।
- भारत 2007-08 में निम्न-मध्यम आय वाला देश (LMIC) बन गया था। उल्लेखनीय है कि भारत वर्तमान में 2032 तक उच्च-मध्यम आय वाला देश (UMIC) बनने की राह पर है।

2047 तक उच्च आय वाले देशों (HIC) के समूह में शामिल होने की राह में मौजूद प्रमुख चुनौतियां
- मंद संरचनात्मक परिवर्तन: आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार, भारत में कार्यबल का 45% हिस्सा कृषि क्षेत्रक में नियोजित है। इसके अलावा, पारंपरिक बाजार आधारित सेवाएं और निर्माण कार्य (कम उत्पादकता) मिलकर लगभग 30% का योगदान देती हैं।
- इसके विपरीत, कुल रोजगार में विनिर्माण क्षेत्रक की हिस्सेदारी लगभग 11% थी और आधुनिक बाजार सेवाओं की हिस्सेदारी केवल 7% थी।
- निजी निवेश में गिरावट: 1990 के दशक के सुधारों के बाद देश में निजी निवेश में वृद्धि हुई। लेकिन 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से सकल घरेलू उत्पाद के हिस्से के रूप में इसमें गिरावट देखी गई।
- जनसांख्यिकीय लाभांश का कम उपयोग: वर्ष 2000-19 के दौरान, कार्यशील आयु वर्ग की आबादी में 37.4% की वृद्धि हुई थी, लेकिन रोजगार में केवल 15.7% की वृद्धि हुई थी।
- इस अवधि के दौरान, श्रम बल भागीदारी दर 58% से घटकर 49% हो गई, जो कि मध्यम आय वाले देशों के मानकों से कम है।
संवृद्धि को बढ़ावा देने हेतु अपनाई जाने वाली मुख्य रणनीतियां
- निवेश को बढ़ावा देना: बेहतर वित्तीय विनियमों द्वारा, MSME क्षेत्रक को आसानी से ऋण उपलब्ध कराकर और सरलीकृत FDI नीतियों के माध्यम से 2035 तक निवेश को GDP के 33.5% से बढ़ाकर 40% करना।
- रोजगार उत्पन्न करना: एग्रो-प्रोसेसिंग, विनिर्माण, परिवहन और केयर इकॉनमी जैसे रोजगार-समृद्ध क्षेत्रों में निजी निवेश को प्रोत्साहित करना।
- संतुलित क्षेत्रीय विकास पर फोकस करना: कम विकसित राज्य मूलभूत आवश्यकताओं (स्वास्थ्य, शिक्षा एवं अवसंरचनाओं के विकास) पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि विकसित राज्य अगली पीढ़ी के सुधारों को आगे बढ़ाते हैं।