चीन के अलावा भारत एकमात्र ऐसा देश है, जिसने वार्षिक कोयला उत्पादन में 1 बिलियन टन का आंकड़ा पार कर लिया है।
इस उपलब्धि को हासिल करने का महत्त्व
- ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देना: कोयला एनर्जी मिक्स में लगभग 55% और बिजली उत्पादन में लगभग 74% का योगदान देता है।
- अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना: उत्पादन में वृद्धि से कोयले का आयात कम होगा और विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
भारत ने यह महत्वपूर्ण उपलब्धि कैसे हासिल की?
- प्रमुख सुधार:
- कोयला खान (विशेष प्रावधान) (CMSP) अधिनियम, 2015 ने निजी कंपनियों द्वारा कोयला खदानों में कोयले के वाणिज्यिक खनन का मार्ग प्रशस्त किया।
- खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2021 विशेष रूप से कोयले के लिए कंपोजिट प्रॉस्पेक्टिंग लाइसेंस-कम-माइनिंग लीज (PL-cum-ML) की अनुमति देता है।
- पहलें
- एकीकृत कोयला लॉजिस्टिक नीति और योजना, 2024 आरंभ की गई है।
- कोयला क्षेत्रक के लिए पी.एम. गति शक्ति-राष्ट्रीय मास्टर प्लान शुरू किया गया है।
- अन्य: मिशन कोकिंग कोल, राष्ट्रीय कोयला सूचकांक (NCI), आदि।
- FDI नीति: कोयला खनन में स्वचालित मार्ग के तहत 100% FDI की अनुमति दी गई है। इससे वैश्विक विशेषज्ञता और उन्नत प्रौद्योगिकियां हासिल हुई हैं।

कोयला क्षेत्रक के समक्ष मौजूदा चुनौतियां/ चिंताएं
- कोयले के खिलाफ वैश्विक प्रतिरोध: विकसित देश कोयले के उत्पादन एवं उपयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने पर जोर दे रहे हैं।
- आयात पर निर्भरता: भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में लगभग 260 मिलियन टन कोयले का आयात किया था। इसमें गैर-कोकिंग कोयले का प्रभुत्व था (कुल आयात का लगभग 77%)।
- अन्य मुद्दे: भूमि अधिग्रहण, ओपन कास्ट माइनिंग के कारण पर्यावरण का क्षरण आदि।