इस मिशन को वस्त्र मंत्रालय ने शुरू किया था। इसका उद्देश्य भारत को तकनीकी वस्त्र में वैश्विक लीडर के रूप में स्थापित करना है।
- NTTM में 4 घटक शामिल हैं- अनुसंधान, नवाचार और विकास; संवर्धन एवं बाजार विकास; निर्यात संवर्धन; तथा शिक्षा, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास।
तकनीकी वस्त्र (Technical Textiles) के बारे में
- परिभाषा: तकनीकी वस्त्र को दरअसल ऐसी वस्त्र सामग्री और उत्पादों के रूप में परिभाषित किया जाता है जिनका उपयोग उनके सौंदर्य या सजावटी विशेषताओं की बजाय उनके तकनीकी प्रदर्शन और कार्यात्मक यानी फंक्शनल गुणों के आधार पर किया जाता है।
- इन उत्पादों को सामान्य तौर पर 12 अलग-अलग श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है (इन्फोग्राफिक देखें)।

मिशन के प्रमुख लाभ
- वस्त्र क्षेत्रक को बढ़ावा: भारत वैश्विक स्तर पर वस्त्रों का छठा सबसे बड़ा निर्यात करने वाला देश है। वस्त्र क्षेत्रक भारत की GDP में लगभग 2% का योगदान देता है।
- मजबूत अवसंरचनाओं का विकास: राजमार्गों आदि में जियो-टेक्सटाइल्स के उपयोग से उनके रखरखाव संबंधी लागत कम होती है। साथ ही, मिट्टी को स्थिर करने, कटाव को रोकने और जल निकासी में सुधार करने की जियो-टेक्सटाइल्स की क्षमता के कारण राजमार्गों का जीवनकाल लंबा हो जाता है।
- निर्यात संवर्धन: सिंथेटिक और रेयान वस्त्र निर्यात संवर्धन परिषद (SRTEPC) (अब MATEXIL) तकनीकी वस्त्र के निर्यात को बढ़ावा देती है।
- पर्यावरणीय रूप से संधारणीय: विशेष रूप से एग्रो-टेक्सटाइल, जियो-टेक्सटाइल एवं मेडिकल-टेक्सटाइल के लिए बायोडिग्रेडेबल तकनीकी वस्त्र सामग्री का विकास पर्यावरण हेतु एक महत्वपूर्ण कदम है।
- नवाचार: आराम और कार्यक्षमता दोनों में उन्नति को बढ़ावा देना।
- उदाहरण के लिए- भारत के पहले बॉन्डेड लीक-प्रूफ मासिक धर्म अंडरगारमेंट ‘महीना’ का विकास किया गया है।
NTTM के तहत शुरू की गई अन्य महत्वपूर्ण पहलें
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