इससे पहले, इसरो ने जनवरी 2025 में SDX01 (चेजर) और SDX02 (टारगेट) नामक दो उपग्रहों की सफलतापूर्वक डॉकिंग की थी।
- इस उपलब्धि के साथ भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक प्रदर्शित करने वाला चौथा देश बन गया।
स्पेडेक्स (SpaDeX) मिशन के बारे में
- इसका उद्देश्य:
- अंतरिक्ष में दो छोटे उपग्रहों SDX01 (चेजर) और SDX02 (टारगेट) की डॉकिंग;
- स्वतः संचालित तरीके से दूसरे उपग्रह (टारगेट) के पास आना एवं उससे सटीकता के साथ जुड़ जाना; तथा
- अनडॉकिंग क्षमताओं को विकसित और प्रदर्शित करना है।
- इन उपग्रहों को PSLV-C60 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया था।
- स्पेडेक्स अंतरिक्ष यान को यू.आर. राव सैटेलाइट सेंटर (URSC), बेंगलुरु द्वारा इसरो के अन्य केंद्रों (VSSC, LPSC, SAC, IISU, और LEOS) के सहयोग से डिजाइन एवं निर्मित किया गया है।
- URSC वर्ष 1976 में स्थापित इसरो का प्रमुख केंद्र है। यह संचार, नेविगेशन, रिमोट सेंसिंग और वैज्ञानिक परीक्षण संबंधी छोटे उपग्रहों को डिजाइन, विकसित, असेम्बल व एकीकृत करने का कार्य करता है।
स्पेडेक्स में तकनीकी नवाचार पर एक नजर

- डॉकिंग मैकेनिज्म: इसमें अंतरिक्ष यान के बीच सुचारू कनेक्शन के लिए कम-से-कम झटकों के साथ एंड्रोजिनस डॉकिंग प्रणाली शामिल है।
- इंटर-सैटेलाइट कम्युनिकेशन लिंक (ISL): यह उपग्रहों के बीच वास्तविक समय में डेटा हस्तांतरण को सक्षम बनाता है ।
- GNSS-आधारित सापेक्ष कक्षा निर्धारण: यह डॉकिंग के दौरान सटीक नेविगेशन और नियंत्रण सुनिश्चित करता है।
- पावर ट्रांसफर टेक्नोलॉजी: यह डॉक किए गए उपग्रहों के बीच पावर या ऊर्जा के ट्रांसफर को संभव बनाती है।
- ऑटोनोमस रेंडेज़वस और डॉकिंग एल्गोरिदम: इसका उपयोग कक्षा में उपग्रहों के मध्य सटीक सापेक्ष अवस्थिति और वेग निर्धारित करने के लिए किया जाता है।
डॉकिंग के बाद के किए जाने वाले कार्य
- डॉकिंग और अनडॉकिंग के बाद, उपग्रह स्वतंत्र पेलोड के रूप में अपने निम्नलिखित कार्यों को जारी रखेंगे:
- हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेजिंग (SDX01 या चेंजर): पृथ्वी के पर्यवेक्षण के लिए इमेज को कैप्चर करना।
- मल्टी-स्पेक्ट्रल पेलोड (SDX02 या टारगेट): प्राकृतिक संसाधनों और वनस्पति की निगरानी करना।
- रेडिएशन मॉनिटरिंग (SDX02): भविष्य के मानव युक्त मिशनों के लिए अंतरिक्ष संबंधी विकिरण का अध्ययन करना।