चीनी राष्ट्रपति ने भारत और चीन को "प्राचीन सभ्यताएं, प्रमुख विकासशील देश और ग्लोबल साउथ के महत्वपूर्ण सदस्य" बताया। गौरतलब है कि दोनों देश अपने द्विपक्षीय संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।
भारत-चीन संबंधों में प्रमुख मुद्दे

- अस्पष्ट सीमा: दोनों देशों के बीच स्पष्ट आपसी समझौते के अभाव में 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को लेकर तनाव की स्थिति है। इस वजह से कई बार सैन्य झड़पें भी होती रहती हैं।
- भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता: भारत को चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) से रणनीतिक खतरा महसूस होता है। ज्ञातव्य है कि CPEC कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान के क्षेत्र से होकर गुजरता है।
- आर्थिक असंतुलन: भारत चीन से बड़े पैमाने पर आयात करता है। इस वजह से वित्त वर्ष 2024 में भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 85.1 अरब डॉलर तक पहुंच गया था।
- चीन का पाकिस्तान को समर्थन: चीन द्वारा पाकिस्तान को उन्नत सैन्य प्रौद्योगिकी और आर्थिक सहायता प्रदान करना भारत की सुरक्षा के लिए चुनौती पैदा करता है।
आगे की राह
- बॉर्डर-पर्सनल मीटिंग्स, परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (WMCC) जैसे राजनयिक उपायों के जरिए सीमा विवादों का शीघ्र समाधान करना चाहिए।
- संतुलित व्यापार और निवेश अवसरों के साथ आर्थिक अंतर-निर्भरता को मजबूत करने की आवश्यकता है।
- दोनों देशों को परस्पर सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हित के त्रिस्तरीय सूत्र के आधार पर संबंधों के पुनर्निर्माण हेतु एक "सतत आधार" की आवश्यकता है।