सरकार हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में लवणीय जलीय कृषि केंद्रों की स्थापना पर जोर दे रही है | Current Affairs | Vision IAS
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सरकार हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में लवणीय जलीय कृषि केंद्रों की स्थापना पर जोर दे रही है

Posted 08 Apr 2025

9 min read

लवणीय जलीय कृषि (Saline Aquaculture) के बारे में

  • अर्थ: इसके तहत अंतर्देशीय लवणीय जलीय कृषि के लिए लवणता प्रभावित भूमि (जो प्रायः पारंपरिक कृषि के लिए अनुपयुक्त होती है) का उपयोग किया जाता है।
    • जलीय कृषि: इसमें जलीय सजीवों जैसे मछली, घोंघे, क्रस्टेशियंस आदि का पालन किया जाता है और जलीय पादपों की खेती की जाती है, ताकि उनका उत्पादन बढ़ाया जा सके।
  • महत्त्व: जलीय कृषि के लिए लवणीय भूमि संसाधनों की क्षमता का उपयोग करके रोजगार और आजीविका के अवसर उत्पन्न होगें; जलीय कृषि संबंधी उत्पादकता को बढ़ावा मिलेगा आदि।
  • भारत में संभावनाएं: 
    • उपर्युक्त 4 राज्यों के 58,000 हेक्टेयर चिन्हित लवणीय क्षेत्रों में से केवल 2,608 हेक्टेयर का ही वर्तमान में उपयोग किया जा रहा है।
    • भारत विश्व स्तर पर संवर्धित झींगों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। साथ ही, समुद्री खाद्य निर्यात मूल्य में 65% हिस्सेदारी अकेले झींगों की है, जिसे लवणीय जल-कृषि के माध्यम से और बढ़ाया जा सकता है।

लवणीय जलीय कृषि की क्षमता का उपयोग करने हेतु किए जाने वाले उपाय

  • नीतिगत सुधार: क्षेत्र संबंधी सीमा को 2 हेक्टेयर से बढ़ाकर 5 हेक्टेयर किया जाना चाहिए। साथ ही, उत्तर भारतीय राज्यों में लवणीय जलीय कृषि के संधारणीय विकास के लिए रोडमैप तैयार करने हेतु एक राष्ट्रीय स्तर की समिति का भी गठन किया जाना चाहिए।
  • बेहतर विपणन माध्यम: सिरसा में एक इंटीग्रेटेड एक्वा पार्क स्थापित करने की सिफारिश की गई है, ताकि विपणन माध्यमों को बेहतर किए जा सके।
  • तकनीकी ज्ञान का प्रसार: राज्यों द्वारा लवणीय जलीय कृषि के लिए नए क्षेत्रों की पहचान करने तथा आउटरीच आधारित अनुसंधान करने हेतु कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) का उपयोग किया जाना चाहिए।
  • Tags :
  • लवणीय
  • जलीय कृषि
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