इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण योजना को अधिसूचित किया | Current Affairs | Vision IAS
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    इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण योजना को अधिसूचित किया

    Posted 09 Apr 2025

    10 min read

    यह योजना उद्योगों द्वारा सामना की जा रही अलग-अलग चुनौतियों के आधार पर लक्षित सेगमेंट उत्पादों पर विभेदित राजकोषीय प्रोत्साहन प्रदान करती है: 

    • योजना के तहत मूल्य श्रृंखला में निवेश (वैश्विक/ घरेलू) को आकर्षित करके एक मजबूत घटक विनिर्माण इकोसिस्टम विकसित किया जाएगा। इससे घरेलू मूल्य संवर्धन (DVA) में वृद्धि होने की संभावना है। 
    • भारत के निर्यात का वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक व्यापार में हिस्सा बढ़ाया जाएगा। इसके लिए देश के घरेलू इलेक्ट्रॉनिक उद्योग को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (GVCs) से जोड़ा जाएगा।

    भारत को इलेक्ट्रॉनिक घटकों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने की आवश्यकता क्यों है?

    • राष्ट्रीय सुरक्षा: विशेष रूप से रक्षा और महत्वपूर्ण अवसंरचना मे विदेश निर्मित इलेक्ट्रॉनिक घटकों पर निर्भरता डेटा उल्लंघन तथा आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान जैसे जोखिम पैदा करती है।
      • GTRI के अनुसार, चीन और हांगकांग भारत के कुल इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम और इलेक्ट्रिकल उत्पादों के 56% आयात के लिए जिम्मेदार हैं। 
    • तैयार उत्पादों (End Products) के घरेलू उत्पादन के बावजूद आयात में वृद्धि: MeitY की पिछली पहलों के कारण, भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन वित्त वर्ष 2015 के 1.90 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 9.52 लाख करोड़ रुपये हो गया था।
      • हालांकि, घटकों के आयात में भी वृद्धि हुई है, क्योंकि घटक विनिर्माण के लिए स्थानीय क्षमता अब भी अपर्याप्त है।
    • रणनीतिक अवसर: चीन+1 शिफ्ट: दुनिया की कई कंपनियां अब चीन से बाहर वैकल्पिक विनिर्माण स्थानों की तलाश कर रही हैं। ऐसे में भारत के पास घटक और सब-असेंबली निर्माण में निवेश आकर्षित करने का सुनहरा अवसर है।
    • इलेक्ट्रॉनिक्स का बढ़ता महत्त्व: डिजिटलीकरण के कारण इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ने वाले क्षेत्रों में से एक बन गया है।

    नवीनतम योजना से इस क्षेत्रक में संरचनात्मक चुनौतियों का समाधान होने की उम्मीद है। इन चुनौतियों में नीति आयोग द्वारा वर्णित की गई उच्च पूंजीगत लागत, लंबी अवधि का जेस्टेशन (Gestation), कम लाभ मार्जिन, विस्तार की कमी आदि शामिल हैं।

    • Tags :
    • नीति आयोग
    • GVC
    • इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र
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