जीनोमइंडिया प्रोजेक्ट के प्रारंभिक निष्कर्षों में भारत के 9,772 व्यक्तियों में 180 मिलियन आनुवंशिक वेरिएंट का पता चला है।
- जीन वेरिएंट DNA अनुक्रम में एक स्थायी परिवर्तन है, जो एक जीन निर्मित करता है।
- जीनोम एक व्यक्ति या प्रजाति में मौजूद आनुवंशिक सामग्री (कुछ में DNA या RNA) का संपूर्ण सेट है।
अध्ययन के बारे में
- कवरेज: तिब्बती-बर्मन, इंडो-यूरोपियन, द्रविड़ियन और ऑस्ट्रो-एशियाटिक तथा मिश्रित आबादी सहित अन्य जनजातीय समूहों के जनजातीय एवं गैर-जनजातीय समूह।
- अध्ययन किए गए गुणसूत्रों के प्रकार: गैर-लैंगिक गुणसूत्र (ऑटोसोम) और लैंगिक गुणसूत्र (X व Y)।
यह अध्ययन क्यों महत्वपूर्ण है?

- विशिष्ट आनुवंशिक स्वरूप को समझना: किन्हीं भी दो व्यक्तियों के बीच संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण में लगभग 0.1% का ही अंतर होता है।
- व्यक्तियों के बीच ये आनुवंशिक विविधताएं हमारी रोग पूर्ववृत्तियों (Predisposition) और दुर्लभ वंशानुगत विकारों को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।
- यह इन समुदायों के इतिहास, प्राकृतिक चयन और अनुकूलन को समझने में मदद करेगा।
- एक संदर्भ पैनल का निर्माण: यह भविष्य में किए जाने वाले छोटे पैमाने के अध्ययनों के लिए उपयोगी एक वेरिएंट पैनल बनाने में मदद करेगा। इससे भारतीय आबादी में जीन और बीमारियों के बीच संबंध जोड़ने में आसानी होगी।
- स्वास्थ्य सेवा में अनुप्रयोग: यह कम लागत वाली डायग्नोस्टिक किट विकसित करेगा। साथ ही, रोग निदान और दवा प्रतिक्रियाओं आदि के आनुवंशिक आधार का पूर्वानुमान लगाकर सटीक चिकित्सा प्रयासों को आगे बढ़ाएगा।
- यह लोक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों को आगे बढ़ाने में भी मदद करेगा।