‘ब्रिक्स भूमि पुनर्बहाली साझेदारी (BRICS Land Restoration Partnership)’ की घोषणा ब्राजील में आयोजित 15वीं ब्रिक्स कृषि बैठक के दौरान की गई।
- इस बैठक में भारत ने समावेशी, न्यायसंगत और संधारणीय कृषि के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की।
- ब्रिक्स के अन्य सदस्य देशों ने भी संधारणीय कृषि-खाद्य प्रणाली (एग्री-फ़ूड सिस्टम) के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
ब्रिक्स भूमि पुनर्बहाली साझेदारी के बारे में
- यह साझेदारी भूमि निम्नीकरण, मरुस्थलीकरण और मृदा-उर्वरता ह्रास की समस्या को दूर करने के लिए कार्य करेगी।
- यह साझेदारी पारंपरिक ज्ञान और वैज्ञानिक इनोवेशन के समन्वय के माध्यम से लघु कृषकों, आदिवासी समुदायों और स्थानीय कृषकों को लाभ प्रदान करेगी।
- भूमि पुनर्बहाली साझेदारी की आवश्यकता क्यों? पूरे विश्व में तेजी से भूमि का निम्नीकरण हो रहा है। उदाहरण के लिए- खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, भारत में लगभग 32% भूमि निम्नीकृत हो चुकी है और 25% भूमि मरुस्थल में परिवर्तित होती जा रही है।
संधारणीय कृषि के बारे में
- यह कृषि प्रणाली मानव आबादी की वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा करते हुए और भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पृथ्वी की संसाधन क्षमता को संरक्षित करने का प्रयास करती है।
- भारत द्वारा उठाए गए प्रमुख कदम:
- सरकारी योजनाएं और पहलें: राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA), और शून्य बजट प्राकृतिक कृषि (ZBNF) जैसी पहलें शुरू की गई हैं।
- जल और भूमि संसाधन प्रबंधन से जुड़ी पहलें: इसमें प्रति बूंद अधिक फसल, जलसंभर विकास कार्यक्रम इत्यादि शामिल हैं।
- गौरतबल है कि जलसंभर विकास कार्यक्रम, प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) का घटक है।
- प्रौद्योगिकी और डिजिटल उपाय: जलवायु-अनुकूल फसलों की खेती, परिशुद्ध खेती (Precision farming), एग्रीस्टैक, आदि को बढ़ावा दिया जा रहा है।
