वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि वर्तमान में चल रही चौथी वैश्विक प्रवाल विरंजन यानी कोरल ब्लीचिंग घटना अब तक की सबसे तीव्र और व्यापक घटना है। यह घटना 2023 में शुरू हुई थी तथा मार्च 2025 तक जारी रही।
- इस विरंजन-स्तर के हीट स्ट्रेस (गर्मी से हुआ तनाव) ने दुनिया की 84% प्रवाल भित्तियों को प्रभावित किया है। यद्यपि इससे पहले की घटना (1998) ने 21%, दूसरी घटना (2010) ने 37% तथा तीसरी घटना (2014-17) ने 68% भित्तियों को प्रभावित किया था।
प्रवाल (कोरल/ मूंगा) और प्रवाल विरंजन के बारे में
- प्रवाल अकशेरुकी यानी रीढ़-विहीन जीव हैं, जो बडिंग नामक प्रक्रिया द्वारा निर्मित पॉलिप्स के समूह में रहते हैं। बडिंग की प्रक्रिया में मूल पॉलिप स्वयं की प्रतियां बनाता है।
- प्रवालों को आम तौर पर या तो कठोर प्रवाल (रीफ-बिल्डिंग कोरल) और मुलायम प्रवाल के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
- कठोर प्रवाल कैल्शियम कार्बोनेट स्राव के माध्यम से विशाल रीफ संरचनाएं बनाते हैं।
- प्रवाल का ज़ूज़ैंथेली नामक शैवाल के साथ सहजीवी संबंध होता है। शैवाल प्रकाश संश्लेषण के जरिए प्रवालों को पोषण प्रदान करते हैं।
- प्रवाल विरंजन की घटना तब होती है, जब समुद्री सतह के तापमान (SST) में निरंतर वृद्धि के कारण जूजैंथिली अपने पोषक/ होस्ट को छोड़ देता है। इसके परिणामस्वरूप, प्रवाल रंगहीन या सफेद हो जाते हैं, जिसे ‘प्रवाल विरंजन/ कोरल ब्लीचिंग’ के नाम से जाना जाता है।
- यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है, तो इससे प्रवालों की बड़े पैमाने पर मृत्यु हो सकती है।
प्रवाल भित्तियों का महत्व
- जैव विविधता हॉटस्पॉट: प्रवाल भित्तियां समुद्री प्रजातियों के लगभग 25% को आश्रय और भोजन प्रदान करती हैं।
- तटीय संरक्षण: वे प्राकृतिक ब्रेकवाटर के रूप में कार्य करती हैं, जो तटीय क्षेत्रों को तूफान, अपरदन व और बाढ़ से बचाता है।
- आर्थिक मूल्य: पर्यटन, मत्स्यन और तटीय संरक्षण के जरिए प्रवाल भित्तियों से वैश्विक स्तर पर अनुमानित 10 ट्रिलियन डॉलर का आर्थिक लाभ होता है।
प्रवाल संरक्षण प्रौद्योगिकियां
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