संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (USTR) की स्पेशल 301 रिपोर्ट में 8 देशों को प्राथमिकता निगरानी सूची (Priority Watch List) में रखा गया है। यह कदम बौद्धिक संपदा (IP) संरक्षण और प्रवर्तन के बारे में चिंताओं को दर्शाता है।
- विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) के अनुसार बौद्धिक संपदा संपत्ति की एक श्रेणी है, जिसमें मानव बुद्धि की अमूर्त रचनाएं शामिल हैं। जैसे कि आविष्कार, औद्योगिक उत्पादों के लिए डिजाइन, साहित्यिक व कलात्मक कार्य, प्रतीक जिनका अंततः वाणिज्यिक रूप में उपयोग किया जाता है, वाणिज्यिक नाम और चित्र आदि।
भारत में बौद्धिक संपदा इकोसिस्टम से जुड़ी समस्याएं
- पेटेंट पात्रता संबंधी मानदंड: भारतीय पेटेंट अधिनियम में निर्धारित मानदंडों को कई बार विवेकाधीन और प्रक्रियात्मक तरीके से लागू किया जाता है।
- उदाहरण के लिए- पेटेंट अधिनियम, 1970 की धारा 3(D) के अनुसार, किसी ज्ञात पदार्थ के नए रूप की खोज, यदि वह उस पदार्थ की ज्ञात प्रभावशीलता को नहीं बढ़ाती, तो उसे पेटेंट योग्य नहीं माना जाता है।
- अप्रभावी बौद्धिक संपदा प्रवर्तन: कमजोर कानून प्रवर्तन; राष्ट्रीय और राज्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों में प्रभावी समन्वय का अभाव; बौद्धिक संपदा उल्लंघनों के लिए कठोर दंड का अभाव; पाइरेसी एवं जालसाजी आदि।
- उदाहरण के लिए- भारत 2024 की नोटोरियस मार्केट लिस्ट में शामिल है।
- ट्रेडमार्क से संबंधित मुद्दे: जालसाजी का उच्च स्तर; खराब जांच गुणवत्ता आदि।
- उदाहरण के लिए- भारत "सिंगापुर ट्रीटी ऑन लॉ ऑफ ट्रेडमार्क्स" का पक्षकार नहीं है।
- विदेशी संस्थाओं पर नई बाधाएं: जैव विविधता नियम, 2024 के तहत विदेशी संस्थाओं को भारतीय जैविक संसाधनों पर बौद्धिक संपदा संरक्षण के लिए अनुमोदन प्राप्त करना अनिवार्य है।
- अन्य समस्याएं:
- बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) स्वीकृति में देरी और लंबित मामलों की अधिकता;
- IPR के बारे में जागरूकता और शिक्षा की कमी;
- डिजिटलीकरण के कारण ऑनलाइन पाइरेसी में वृद्धि आदि।
भारत में IP इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए की गई पहलें
|