इस रिपोर्ट का शीर्षक है- "सार्वजनिक वित्त पोषित अनुसंधान एवं विकास संगठनों के नवाचार संबंधी उत्कृष्टता संकेतकों का मूल्यांकन"। इसका उद्देश्य भारत के सार्वजनिक रूप से वित्त-पोषित अनुसंधान इकोसिस्टम में नवाचार प्रदर्शन को मापना और सुधारना है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- R&D पर भारत का सकल व्यय (GERD): यह 2010-11 के 60,200 करोड़ रुपये से दोगुना होकर 2020-21 में 1,27,400 करोड़ रुपये हो गया था।
- प्रमुख योगदान: केंद्र सरकार (43.7%), उसके बाद निजी क्षेत्रक, उच्चतर शिक्षा और राज्य सरकारों का स्थान है।
- सामाजिक-आर्थिक प्रभाव: सार्वजनिक R&D प्रयोगशालाएं व संस्थान समाधान विकसित करने के लिए डिजिटल तकनीकों (जैसे- IoT सेंसर, ड्रोन और बिग डेटा एनालिटिक्स) का उपयोग कर रहे हैं।
- उदाहरण के लिए- ऐसे नए जीनोटाइप्स (अंतर्निहित आनुवंशिक ब्लूप्रिंट) विकसित किए गए हैं, जो किसानों की आय बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
- स्टार्ट-अप इकोसिस्टम के साथ जुड़ाव: स्टार्ट-अप्स को इनक्यूबेशन समर्थन देने वाली प्रयोगशालाओं की संख्या कम है।
- उदाहरण के लिए- चार में से केवल एक सार्वजनिक वित्त-पोषित R&D संगठन स्टार्ट-अप्स को इनक्यूबेशन समर्थन प्रदान करता है और छह में से केवल एक 'डीप टेक' स्टार्ट-अप्स को समर्थन प्रदान करता है।
- सीमित सहयोग और सुविधाओं तक पहुंच: उदाहरण के लिए- केवल 15% संस्थानों ने विदेशी उद्योगों के साथ सहयोग किया और इनमें से केवल आधे ही अपनी सुविधाएं बाहरी शोधकर्ताओं के लिए खोलते हैं
सिफारिशें
- प्रयोगशालाओं को महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों पर ध्यान देते हुए अपने प्रमुख कार्यों को विकसित भारत के लक्ष्यों के अनुरूप बनाने की जरूरत है।
- नवाचार को बढ़ाने के लिए उद्योगों के साथ सहयोग को प्रोत्साहित करने पर बल देना चाहिए।
- बाहरी शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए अनुसंधान सुविधाएं स्थापित की जानी चाहिए।
- कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत कंपनियों की स्थापना करने सहित डीप-टेक स्टार्ट-अप्स का अधिक समर्थन करने की भी आवश्यकता है।
भारत के R&D इकोसिस्टम के बारे में
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