RBI ने सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, लघु वित्त बैंकों, भुगतान बैंकों और सहकारी बैंकों को निर्देश दिया है कि वे वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (FRI) को अपनी प्रणालियों में शामिल करें। FRI को दूरसंचार विभाग ने विकसित किया है।
- यह एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) आधारित एकीकरण के माध्यम से बैंकों और दूरसंचार विभाग के डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (DIP) के बीच स्वचालित रूप से डेटा का आदान-प्रदान करता है। इससे रियल टाइम में कार्रवाई करना संभव हो जाता है।
- DIP एक ऑनलाइन सुरक्षित फ्लॅटफॉर्म है। इसके तहत साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए हितधारकों के बीच दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग से संबंधित जानकारी साझा की जाती है।
वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (Fraud Risk Indicator: FRI) क्या है?
- इसे मई 2025 में दूरसंचार विभाग की डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट (DIU) द्वारा लॉन्च किया गया है।
- यह एक जोखिम-आधारित पैमाना है, जो किसी मोबाइल नंबर को वित्तीय धोखाधड़ी के मामले में मध्यम, उच्च या बहुत उच्च जोखिम के आधार पर वर्गीकृत करता है।
- यह भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP), दूरसंचार विभाग के चक्षु मंच (Chakshu platform) तथा बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों द्वारा साझा की गई महत्वपूर्ण जानकारी सहित विविध हितधारकों से प्राप्त इनपुट का परिणाम है।
इससे बैंकों को साइबर धोखाधड़ी रोकने में किस प्रकार मदद मिलेगी?
- बैंक और वित्तीय संस्थाएं रियल टाइम में FRI का उपयोग संदिग्ध लेन-देन को रोकने, ग्राहकों को अलर्ट या चेतावनी जारी करने आदि के लिए कर सकते हैं।
- DIU नियमित तौर पर हितधारकों के साथ मोबाइल नंबर निरस्तीकरण सूची (MNRL) साझा करता है। इसमें साइबर अपराध से जुड़े होने, असफल पुन: सत्यापन आदि के कारण डिस्कनेक्ट किए गए नंबरों का विवरण होता है।