C-FLOOD राष्ट्रीय और क्षेत्रीय एजेंसियों से बाढ़ मॉडलिंग आउटपुट को समेकित करने वाली एक एकीकृत प्रणाली के रूप में कार्य करेगा। यह आपदा प्रबंधन अधिकारियों के लिए एक व्यापक निर्णय-समर्थन उपकरण प्रदान करेगा।
- भारत के कुल 329 मिलियन हेक्टेयर (mha) क्षेत्र में से लगभग 40 मिलियन हेक्टेयर (कुल क्षेत्रफल का लगभग 12% हिस्सा), बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है।
C-FLOOD के बारे में

- यह एक वेब-आधारित प्लेटफ़ॉर्म है, जो बाढ़ के मानचित्रों और जल स्तर की भविष्यवाणियों के रूप में गांव स्तर तक दो दिन पहले बाढ़ का पूर्वानुमान प्रदान करेगा।
- यह बाढ़ परिदृश्यों का अनुकरण करने के लिए उन्नत 2-डी हाइड्रोडायनेमिक मॉडलिंग का उपयोग करता है।
- यह बाढ़ जलप्लावन के नक्शे और जल स्तर की भविष्यवाणियां प्रदान करेगा, ताकि आपदा-पूर्व तैयारी की जा सके।
- इसे निम्नलिखित संस्थाओं ने मिलकर विकसित किया है:
- सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (C-DAC), पुणे;
- केंद्रीय जल आयोग (CWC) (जो देश में बाढ़ पूर्वानुमान और समय रहते चेतावनी देने वाला नोडल संगठन है); तथा
- जल शक्ति मंत्रालय के तहत जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग।
- राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (NRSC) ने भी इसके विकास में सहयोग किया है।
- कार्यान्वयन: इस परियोजना का राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (NSM) के तहत कार्यान्वयन किया जा रहा है।
- NSM की शुरुआत 2015 में हुई थी, जिसका उद्देश्य भारत को सुपरकंप्यूटिंग क्षमताओं में सशक्त बनाना है।
- NSM को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा मिलकर संचालित किया जा रहा है।
- वर्तमान कवरेज: फिलहाल यह प्रणाली महानदी, गोदावरी और तापी नदी घाटियों को कवर करेगी।भविष्य में सभी नदी घाटियों को इसमें शामिल किया जाएगा।
- पूर्वानुमानों को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन आपातकालीन प्रतिक्रिया पोर्टल (NDEM) से जोड़ा जाएगा।