हाल ही में, ईरान ने इजरायल और अमेरिका के साथ टकराव के बाद अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) से सहयोग को निलंबित करने वाला एक कानून बनाया है।
- ध्यातव्य है कि IAEA बोर्ड ने मतदान करके ईरान को परमाणु अप्रसार संधि (NPT) के तहत अपने दायित्वों के उल्लंघन का दोषी ठहराया था। इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए थे।
- IAEA को NPT के तहत एक विशेष भूमिका सौंपी गई है। यह परमाणु केंद्रों की ‘अंतर्राष्ट्रीय निरीक्षण संस्था (safeguards inspectorate)’ के रूप में कार्य करता है।
- IAEA परमाणु हथियार नहीं रखने वाले NPT-पक्षकार देशों की परमाणु अप्रसार संबंधी प्रतिबद्धता की पुष्टि हेतु अंतर्राष्ट्रीय निरीक्षण व्यवस्था लागू करता है।
- IAEA परमाणु हथियार नहीं रखने वाले सदस्य देशों में शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा के उपयोग के विकास को भी सुविधाजनक बनाता है।
ईरान की कार्रवाई का प्रभाव: IAEA के साथ ईरान का सहयोग निलंबित करना वास्तव में अंतर्राष्ट्रीय या अंतर-सरकारी संगठनों की भूमिका में हो रही गिरावट का एक और उदाहरण है। यह गिरावट निम्नलिखित रूपों में स्पष्ट होती है:
- अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के अधिकार कम होना: अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के पालन में कमी और राष्ट्रों द्वारा इनके प्रति दायित्वों से पीछे हटने जैसे उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं शक्तिहीन हो रही हैं। उदाहरण के लिए- संयुक्त राज्य अमेरिका का पेरिस जलवायु समझौते से बाहर होना।
- विश्वसनीयता का संकट: आम सहमति की कमी के कारण अंतर्राष्ट्रीय संगठन विभिन्न मुद्दों पर निर्णय नहीं ले पाते। अक्सर इन संगठनों के निर्णय विकसित देशों से प्रभावित होते हैं, जिससे उनकी स्वतंत्र कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगते हैं।
- अप्रभावी होना: इन संगठनों के पास संधियों व दायित्वों को लागू करने का अधिकार नहीं होता। साथ ही, संसाधनों की कमी और अप्रासंगिक गवर्नेंस संरचनाएं जैसे मुद्दे भी विद्यमान हैं।
- निर्णय की वैधता पर सवाल उठना: उदाहरण के लिए- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वर्तमान विश्व की स्थिति के अनुसार प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है और वीटो शक्ति केवल पांच स्थायी सदस्यों को ही प्राप्त है। इससे सुरक्षा परिषद के निर्णयों पर सवाल उठते रहे हैं।