क्वाड समूह में संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। क्वाड ने इस पहल की शुरुआत निम्नलिखित उद्देश्यों से की है-
- विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित और विविधतापूर्ण बनाना;
- इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट (ई-वेस्ट) से महत्वपूर्ण खनिजों को फिर से प्राप्त करना; तथा
- प्रसंस्करण जैसी प्राथमिकताओं पर सहयोग मजबूत करना।
यह पहल क्रिटिकल मिनरल्स यानी महत्वपूर्ण खनिजों के लिए आपूर्ति श्रृंखला लचीलेपन उपायों पर क्वाड के सहयोग का विस्तार करेगी।
क्रिटिकल मिनरल्स इनिशिएटिव की आवश्यकता क्यों है?
- आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाना: कई क्रिटिकल मिनरल्स का उत्पादन और प्रोसेसिंग कुछ ही देशों तक सीमित है। इससे राजनीतिक अस्थिरता जैसे जोखिमों से इनकी वैश्विक आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।
- उदाहरण के लिए- डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो दुनिया के लगभग 70% कोबाल्ट की आपूर्ति करता है।
- चीन दुनिया के 68% कोबाल्ट, 65% निकल और 60% लिथियम को रिफाइन करता है।
- आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा: उदाहरण के लिए- 2024 में चीन ने गैलियम, जर्मेनियम जैसे खनिजों का अमेरिका को निर्यात प्रतिबंधित कर दिया था। चीन के इस कदम से ये साफ हो गया कि क्रिटिकल मिनरल्स का उपयोग रणनीतिक हथियार के रूप में भी किया जा सकता है।
- अन्य: अपर्याप्त रीसाइक्लिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर, आदि।
क्रिटिकल मिनरल्स यानी महत्वपूर्ण खनिज क्या है?
- परिचय: क्रिटिकल मिनरल्स प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले तत्व या यौगिक हैं। लिथियम, कोबाल्ट, निकल आदि महत्वपूर्ण खनिज के उदाहरण हैं।
- इन्हें उच्च मांग (विविध उपयोग), आपूर्ति जोखिम आदि के कारण अति महत्वपूर्ण माना जाता है।
- उपयोग: उद्योग (इलेक्ट्रिक वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स); रक्षा (रडार, मिसाइल); स्वच्छ ऊर्जा (बैटरी स्टोरेज, सौर मॉड्यूल), आदि।
क्रिटिकल मिनरल्स की आपूर्ति सुरक्षित करने के लिए शुरू की गई अन्य पहलेंभारत द्वारा शुरू की गई पहलें:
अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समझौते:
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