यह आउटलुक राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर कृषि आधारित उत्पादों (मछली सहित) तथा उनके बाजारों के लिए दस साल की संभावनाओं का व्यापक आकलन प्रदान करता है।
इस आउटलुक के अनुसार वैश्विक बाजार रुझानों (2024) पर एक नजर
- जैव ईंधन: इसकी मांग में प्रतिवर्ष 0.9% की वृद्धि होने का अनुमान है, जिसका नेतृत्व भारत, ब्राजील और इंडोनेशिया कर रहे हैं।
- कपास: वैश्विक स्तर पर कपास के उपयोग में वृद्धि हुई है। साथ ही, भारत चीन को पछाड़कर कपास का शीर्ष उत्पादक बनने की ओर अग्रसर है।
इस संदर्भ में देखें तो भारत की कृषि विपणन प्रणाली यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कि कृषि उपज को उपभोक्ताओं तक कुशलतापूर्वक पहुँचाया जा सके।
भारत में कृषि विपणन
- इसमें उन सभी गतिविधियों और संगठनों को शामिल किया जाता है, जो कृषि उपज, कच्चे माल और उनसे निर्मित उत्पादों (जैसे वस्त्रों) को खेतों से ग्राहकों तक पहुंचाने का काम करते हैं।
भारत में कृषि बाजारों से संबंधित मुद्दे
- कमजोर अवसंरचना: केंद्रीय कटाई उपरांत अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के अनुसार अपर्याप्त शीत भंडारण और परिवहन के कारण फसल की कटाई के बाद 92,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है।
- राष्ट्रीय एकीकृत बाजार का अभाव: कृषि उपज मंडी समितियों (APMCs) का बाजार बिखरा हुआ है।
- कृषि विपणन राज्य सूची का विषय है। साथ ही, इसे संबंधित राज्य के APMC अधिनियमों के तहत स्थापित APMC द्वारा विनियमित किया जाता है।
- बाजार तक सीमित पहुंच: दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों में लघु किसानों की बाजार तक पहुंच नहीं है या वे अपनी उपज एवं उत्पादों के लिए स्थानीय व्यापारियों पर निर्भर हैं, जो उनसे कम कीमत पर खरीदारी करते हैं।
कृषि-विपणन में सुधार के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम
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