गुजरात की बन्नी घासभूमि साल के अंत तक चीतों के स्थान-परिवर्तन (Translocation) के लिए तैयार है | Current Affairs | Vision IAS
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गुजरात की बन्नी घासभूमि साल के अंत तक चीतों के स्थान-परिवर्तन (Translocation) के लिए तैयार है

Posted 17 Jul 2025

12 min read

वन विभाग ने इस क्षेत्र में शिकार प्रजातियों की संख्या बढ़ा दी है और एक बाड़ा भी स्थापित किया है।

  • इससे पहले, चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान से मध्य प्रदेश के गांधी सागर अभयारण्य में स्थानांतरित किया गया था।
  • चीता बसावट कार्य योजना में सूचीबद्ध अन्य संभावित स्थलों में शामिल हैं: छत्तीसगढ़ में गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान; मध्य प्रदेश में डुबरी वन्यजीव अभयारण्य, संजय राष्ट्रीय उद्यान, बगदारा वन्यजीव अभयारण्य, वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व; राजस्थान में डेजर्ट राष्ट्रीय उद्यान और शाहगढ़ घास के मैदान; तथा उत्तर प्रदेश में कैमूर वन्यजीव अभयारण्य।

बन्नी घासभूमि के बारे में

  • स्थान: यह गुजरात के कच्छ जिले में स्थित है। यह एक विशिष्ट लवण-सहनशील घासभूमि पारिस्थितिकी-तंत्र है।
  • विशेषता: यह एशिया की सबसे बड़ी उष्णकटिबंधीय घासभूमि है। इसकी उत्पत्ति विवर्तनिक गतिविधियों के कारण समुद्र से हुई है।
  • निवासी: यहां मालधारी, रबारी, मुतवा और मेघवाल जैसे अलग-अलग पशुचारक समुदाय निवास करते हैं।

प्रोजेक्ट चीता के बारे में

  • परिचय: इस प्रोजेक्ट की शुरुआत 2022 में हुई थी। इसके तहत नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से अफ्रीकी चीतों को भारत में (कूनो राष्ट्रीय उद्यान में) स्थानांतरित किया गया है।
    • यह किसी जंगली और बड़े मांसाहारी जीव का पहला महाद्वीपीय स्थान-परिवर्तन है।
  • कार्यान्वयन एजेंसी: राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA)।
  • चीता परियोजना संचालन समिति: इसका गठन NTCA द्वारा 2023 में प्रोजेक्ट चीता के कार्यान्वयन की देखरेख, मूल्यांकन और सलाह देने के लिए किया गया था।
    • NTCA पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय है। इसका गठन वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के अंतर्गत किया गया है। इस अधिनियम को 2006 में संशोधित किया गया था।

चीते के बारे में

  • चीता दुनिया का सबसे तेज दौड़ने वाला स्तनपायी है। यह भारत से विलुप्त (1952 में) होने वाला एकमात्र बड़ा मांसाहारी प्राणी है
  • अन्य बिग कैट्स प्रजातियों जैसे- शेर, बाघ, तेंदुए और जगुआर के विपरीत, चीते दहाड़ते नहीं हैं।
  • चीते की दो प्रजातियां मौजूद हैं:
    • अफ्रीकी चीता: IUCN स्थिति - वल्नरेबल।
    • एशियाई चीता: IUCN स्थिति - क्रिटिकली एंडेंजर्ड।
  • एशियाई चीते केवल पूर्वी ईरान के शुष्क क्षेत्रों में ही पाए जाते हैं, जबकि अफ्रीकी चीते संपूर्ण अफ्रीका में मिलते हैं।
  • Tags :
  • प्रोजेक्ट चीता
  • बन्नी घासभूमि
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