उच्चतम न्यायालय ने यह निर्णय दिया है कि जब किसी महिला का कार्यस्थल पर किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा यौन उत्पीड़न किया जाता है, जो उसके अपने संगठन का हिस्सा नहीं है, तो वह अपनी शिकायत अपने ही कार्यस्थल की आंतरिक शिकायत समिति (ICC) के समक्ष दर्ज कराने की हकदार है।
- इस निर्णय (सोहैल मलिक मामले) का महत्त्व: यह फैसला पीड़ित महिला के कार्यस्थल पर गठित ICC को किसी दूसरे कार्यस्थल के कर्मचारी पर भी क्षेत्राधिकार का प्रयोग करने में सक्षम बनाता है।
महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, निषेध और रोकथाम) अधिनियम, 2013 (PoSH 2013) के बारे में
- PoSH अधिनियम कार्यस्थल पर महिलाओं के खिलाफ लैंगिक उत्पीड़न के कृत्यों को रोकने, प्रतिबंधित करने और उनका निवारण करने पर केंद्रित है।
- यह अधिनियम 1997 में उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित विशाखा दिशा-निर्देशों पर आधारित है।
- दायरा: इसके दायरे में सभी पीड़ित महिलाओं को शामिल किया गया है, भले ही उनकी आयु या रोजगार की स्थिति कुछ भी हो तथा चाहे वे संगठित या असंगठित क्षेत्र में कार्यरत हों या सार्वजनिक या निजी क्षेत्र में। इसके अलावा क्लाइंट, कस्टमर और घरेलू सेविकाओं को भी शामिल किया गया है।
- यौन उत्पीड़न: इसमें यौन रूप से अवांछित कृत्यों या व्यवहारों को यौन-उत्पीड़न माना गया है। ऐसे कृत्य या व्यवहार प्रतिकूल या भय उत्पन्न करने वाला कामकाजी परिवेश निर्मित करते हैं।
- विस्तारित 'कार्यस्थल' की परिभाषा: यह सभी कार्यस्थलों पर लागू होता है, जिनमें सरकारी, निजी और गैर-सरकारी संगठन शामिल हैं। साथ ही कोई भी संगठन, संस्था, उपक्रम, प्रतिष्ठान, अस्पताल, घर, या नियोजन के दौरान कर्मचारी द्वारा दौरा किया गया कोई भी स्थान, जिसमें परिवहन भी शामिल है।
- आंतरिक शिकायत समिति (ICC): अधिनियम में 10 या अधिक कर्मचारियों वाले प्रत्येक निजी या सार्वजनिक संगठन में एक ICC को अनिवार्य किया गया है।
- स्थानीय समिति (LC): 10 से कम कर्मचारियों वाले संगठनों या स्वयं नियोक्ता के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए जिलाधिकारी द्वारा स्थानीय समिति का गठन किया जाएगा।
- दंड: अपराध की गंभीरता के आधार पर दंड में आर्थिक जुर्माना या नियोजन समाप्त करना शामिल हो सकता है।