सुर्ख़ियों में क्यों?
हाल ही में, केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार (A&N) द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजय पुरम कर दिया गया।
अन्य संबंधित तथ्य

- हाल ही में, केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजय पुरम करने की घोषणा की है।
- ज्ञातव्य है कि राज्यों के गांवों, कस्बों/ शहरों, रेलवे स्टेशनों आदि का नाम बदलने से संबंधित प्रक्रिया के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
- उपर्युक्त दिशा-निर्देशों के अनुसार यदि कोई राज्य किसी स्थान का नाम बदलने से संबंधित प्रस्ताव केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजता है, तो मंत्रालय प्रस्तावित नाम पर अपनी 'अनापत्ति' प्रदान करता है। इसके बाद राज्य सरकार नाम बदलने को लेकर गजट नोटिफिकेशन जारी करती है।
- ज्ञातव्य है कि राज्यों के गांवों, कस्बों/ शहरों, रेलवे स्टेशनों आदि का नाम बदलने से संबंधित प्रक्रिया के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
- नाम बदलने का उद्देश्य: भारत को औपनिवेशिक प्रतीकों से मुक्त करने के लिए यह निर्णय लिया गया है।
- जहां 'पोर्ट ब्लेयर' नाम औपनिवेशिक विरासत से जुड़ा हुआ है, वहीं श्री विजय पुरम नाम भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हासिल की गई जीत तथा इसमें अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की विशिष्ट भूमिका का प्रतीक है।
श्री विजय पुरम और इसका सांस्कृतिक महत्त्व
- श्रीविजय एक साम्राज्य का प्राचीन नाम था, जिसका केंद्र सुमात्रा में था। इस साम्राज्य का प्रभाव संपूर्ण दक्षिण-पूर्व एशिया में था।
- बौद्ध धर्म के विस्तार में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान था।
- ऐसा माना जाता है कि चोल शासकों द्वारा इसके बंदरगाहों पर नौसैनिक हमलों के बाद 11वीं शताब्दी ईस्वी के आस-पास इस साम्राज्य का पतन हो गया था।
- श्रीविजय पर चोल आक्रमण भारत के इतिहास की एक अनोखी घटना थी क्योंकि "इसके पहले दक्षिण-पूर्व एशियाई साम्राज्यों के साथ भारत के शांतिपूर्ण संबंध थे, जो लगभग एक सहस्राब्दी तक भारत के मजबूत सांस्कृतिक प्रभाव में रहे थे।"

पोर्ट ब्लेयर की औपनिवेशिक विरासत
- पोर्ट ब्लेयर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का प्रवेश बिंदु है। इस जगह का पोर्ट ब्लेयर नाम ब्रिटिश नौसैनिक सर्वेक्षक और बॉम्बे मरीन में लेफ्टिनेंट आर्चीबाल्ड ब्लेयर के नाम पर रखा गया था।
- पोर्ट ब्लेयर में ही सेलुलर जेल स्थित है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कई स्वतंत्रता सेनानियों को यहां कैद में रखा गया था।
- वर्तमान में, सेलुलर जेल को राष्ट्रीय स्मारक और संग्रहालय में बदल दिया गया है। वर्तमान में यह जेल इसमें कैद रहे वीर नायकों की कहानियों और उनके द्वारा सहन की गई यातनाओं को प्रदर्शित करती है। सेलुलर जेल से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण प्रमुख घटनाएं इस प्रकार हैं:
- शौर्यपूर्ण स्वतंत्रता संग्राम की गाथा: बटुकेश्वर दत्त, बरीन्द्र कुमार घोष, सचिन्द्र नाथ सान्याल और विनायक दामोदर सावरकर जैसे कई स्वतंत्रता सेनानियों को सेलुलर जेल में कैद करके रखा गया था।
- विनायक दामोदर सावरकर ने सेल्युलर जेल में ही 'द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस, 1857' लिखी थी।
- महावीर सिंह, मोहन किशोर नामदास और मोहित मोइत्रा ने जेल के भीतर की बदतर जीवन स्थितियों में सुधार की मांग को लेकर 1933 में जेल के भीतर भूख हड़ताल शुरू कर दी थी।
- लॉर्ड मेयो की हत्या: शेर अली ने 1872 में इसी जेल में वायसराय लॉर्ड मेयो की हत्या कर दी थी। इस अपराध के लिए शेर अली को फांसी की सजा दी गई थी।
- शौर्यपूर्ण स्वतंत्रता संग्राम की गाथा: बटुकेश्वर दत्त, बरीन्द्र कुमार घोष, सचिन्द्र नाथ सान्याल और विनायक दामोदर सावरकर जैसे कई स्वतंत्रता सेनानियों को सेलुलर जेल में कैद करके रखा गया था।
- नेता जी सुभाष चंद्र बोस द्वारा राष्ट्रीय तिरंगा फहराना: द्वितीय विश्व युद्ध (1942 से 1945) के दौरान पोर्ट ब्लेयर पर जापान का नियंत्रण हो गया था। इसके बाद जापानियों ने इसे सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाली भारत की अस्थाई सरकार को सौंप दिया था।
- 30 दिसंबर, 1943 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सेल्युलर जेल के पास भारत की धरती पर पहली बार भारतीय तिरंगा फहराकर स्वतंत्रता की घोषणा की थी।
अंडमान व निकोबार द्वीप समूह
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