पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजय पुरम किया गया (Port Blair Renamed as Sri Vijaya Puram) | Current Affairs | Vision IAS
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    पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजय पुरम किया गया (Port Blair Renamed as Sri Vijaya Puram)

    Posted 01 Jan 2025

    Updated 27 Nov 2025

    1 min read

    सुर्ख़ियों में क्यों? 

    हाल ही में, केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार (A&N) द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजय पुरम कर दिया गया। 

    अन्य संबंधित तथ्य

    • हाल ही में, केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजय पुरम करने की घोषणा की है। 
      • ज्ञातव्य है कि राज्यों के गांवों, कस्बों/ शहरों, रेलवे स्टेशनों आदि का नाम बदलने से संबंधित प्रक्रिया के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
        • उपर्युक्त दिशा-निर्देशों के अनुसार यदि कोई राज्य किसी स्थान का नाम बदलने से संबंधित प्रस्ताव केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजता है, तो मंत्रालय प्रस्तावित नाम पर अपनी 'अनापत्ति' प्रदान करता है। इसके बाद राज्य सरकार नाम बदलने को लेकर गजट नोटिफिकेशन जारी करती है।
    • नाम बदलने का उद्देश्य: भारत को औपनिवेशिक प्रतीकों से मुक्त करने के लिए यह निर्णय लिया गया है।
      • जहां 'पोर्ट ब्लेयर' नाम औपनिवेशिक विरासत से जुड़ा हुआ है, वहीं श्री विजय पुरम नाम भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हासिल की गई जीत तथा इसमें अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की विशिष्ट भूमिका का प्रतीक है।

    श्री विजय पुरम और इसका सांस्कृतिक महत्त्व

    • श्रीविजय एक साम्राज्य का प्राचीन नाम था, जिसका केंद्र सुमात्रा में था। इस साम्राज्य का प्रभाव संपूर्ण दक्षिण-पूर्व एशिया में था। 
    • बौद्ध धर्म के विस्तार में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान था। 
    • ऐसा माना जाता है कि चोल शासकों द्वारा इसके बंदरगाहों पर नौसैनिक हमलों के बाद 11वीं शताब्दी ईस्वी के आस-पास इस साम्राज्य का पतन हो गया था। 
      • श्रीविजय पर चोल आक्रमण भारत के इतिहास की एक अनोखी घटना थी क्योंकि "इसके पहले दक्षिण-पूर्व एशियाई साम्राज्यों के साथ भारत के शांतिपूर्ण संबंध थे, जो लगभग एक सहस्राब्दी तक भारत के मजबूत सांस्कृतिक प्रभाव में रहे थे।"

    पोर्ट ब्लेयर की औपनिवेशिक विरासत 

    • पोर्ट ब्लेयर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का प्रवेश बिंदु है। इस जगह का पोर्ट ब्लेयर नाम ब्रिटिश नौसैनिक सर्वेक्षक और बॉम्बे मरीन में लेफ्टिनेंट आर्चीबाल्ड ब्लेयर के नाम पर रखा गया था। 
    • पोर्ट ब्लेयर में ही सेलुलर जेल स्थित है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कई स्वतंत्रता सेनानियों को यहां कैद में रखा गया था।  
    • वर्तमान में, सेलुलर जेल को राष्ट्रीय स्मारक और संग्रहालय में बदल दिया गया है। वर्तमान में यह जेल इसमें कैद रहे वीर नायकों की कहानियों और उनके द्वारा सहन की गई यातनाओं को प्रदर्शित करती है। सेलुलर जेल से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण प्रमुख घटनाएं इस प्रकार हैं:
      • शौर्यपूर्ण स्वतंत्रता संग्राम की गाथा: बटुकेश्वर दत्त, बरीन्द्र कुमार घोष, सचिन्द्र नाथ सान्याल और विनायक दामोदर सावरकर जैसे कई स्वतंत्रता सेनानियों को सेलुलर जेल में कैद करके रखा गया था।
        • विनायक दामोदर सावरकर ने सेल्युलर जेल में ही 'द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस, 1857' लिखी थी।
      • महावीर सिंह, मोहन किशोर नामदास और मोहित मोइत्रा ने जेल के भीतर की बदतर जीवन स्थितियों में सुधार की मांग को लेकर 1933 में जेल के भीतर भूख हड़ताल शुरू कर दी थी।  
      • लॉर्ड मेयो की हत्या: शेर अली ने 1872 में इसी जेल में वायसराय लॉर्ड मेयो की हत्या कर दी थी। इस अपराध के लिए शेर अली को फांसी की सजा दी गई थी। 
    • नेता जी सुभाष चंद्र बोस द्वारा राष्ट्रीय तिरंगा फहराना: द्वितीय विश्व युद्ध (1942 से 1945) के दौरान पोर्ट ब्लेयर पर जापान का नियंत्रण हो गया था। इसके बाद जापानियों ने इसे सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाली भारत की अस्थाई सरकार को सौंप दिया था। 
      • 30 दिसंबर, 1943 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सेल्युलर जेल के पास भारत की धरती पर पहली बार भारतीय तिरंगा फहराकर स्वतंत्रता की घोषणा की थी। 

    अंडमान व निकोबार द्वीप समूह

    • देशज जनजातियों की भूमि: इस द्वीप समूह पर ग्रेट अंडमानी, ओंगे, जारवा, सेंटिनलीज, निकोबारी और शोम्पेन जैसे "विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTGs)" रहते हैं।
    • अंडमान व निकोबार द्वीप के नाम का इतिहास
      • हंडुमान: मलय व्यापारी आस-पास के द्वीपों से दासों के व्यापार हेतु मूल आदिवासियों को पकड़ने के लिए अपने पश्चिम के द्वीपों पर जाते थे। उन्होंने भगवान हनुमान के नाम पर इन द्वीपों का नाम 'हंडुमान' रखा था। 
      • मा-नक्कवरम: 11वीं सदी की शुरुआत में, चोल शासकों ने इसके दक्षिणी द्वीपों को सामरिक नौसैनिक अड्डे के रूप में इस्तेमाल किया था। चोल शासकों ने इन द्वीपों को 'मा-नक्कवरम' कहा था, जिसका तमिल भाषा में अर्थ है 'खुली/ नंगी जमीन'। 
      • नेकुवेरन: 13वीं शताब्दी के वेनिस यात्री मार्को पोलो ने इन द्वीपों को 'नेकुवेरन' नाम से संबोधित किया था। 
      • अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह: यह नाम ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन द्वारा दिया गया था। ब्रिटिश भी इन द्वीपों का नौसैनिक अड्डे के रूप में उपयोग करते थे।
    • रॉस, नील और हैवलॉक द्वीपों का नाम बदला गया: 2018 में, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के तीन द्वीपों का नाम बदल दिया गया था। रॉस द्वीप का नाम बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप, नील द्वीप का नाम शहीद द्वीप और हैवलॉक द्वीप का नाम बदलकर स्वराज द्वीप कर दिया गया।
    • कभी चोल साम्राज्य का नौसैनिक अड्डा रहे ये द्वीप अब भारत के रणनीतिक और विकासात्मक भविष्य की कुंजी हैं, जो इन द्वीपों के विशिष्ट ऐतिहासिक एवं समकालीन महत्त्व को दर्शाता है।

     

     

     

     

     

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    • Colonial legacy of Port Blair
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