वैश्विक स्तर पर AI का गवर्नेंस (Global AI Governance) | Current Affairs | Vision IAS
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    वैश्विक स्तर पर AI का गवर्नेंस (Global AI Governance)

    Posted 01 Jan 2025

    Updated 12 Nov 2025

    1 min read

    सुर्ख़ियों में क्यों?

    "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मानवाधिकार, लोकतंत्र एवं कानून के शासन पर यूरोपीय परिषद (COE) का फ्रेमवर्क कन्वेंशन" AI पर कानूनी रूप से बाध्यकारी पहली अंतर्राष्ट्रीय संधि है। इसे हाल ही में, हस्ताक्षर के लिए देशों के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। 

    अन्य संबंधित तथ्य 

    • यूरोपीय परिषद (COE) 1949 में स्थापित एक अंतर-सरकारी संगठन है। इसमें यूरोपीय संघ के देशों के साथ-साथ अन्य सदस्य देश भी शामिल हैं। इसकी सदस्य संख्या 46 है। इसमें जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका भी शामिल हैं।
    • COE फ्रेमवर्क कन्वेंशन 2019 में तब शुरू हुआ, जब यूरोपीय परिषद ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर एक तदर्थ समिति (CAHAI) का गठन किया था। इसका कार्य एक ऐसे कानूनी उपकरण की व्यवहार्यता की जांच करना था, जो AI के विकास और उपयोग को विनियमित कर सके।
    • यह कन्वेंशन नए नियमों और अंतर्राष्ट्रीय समझौतों के अनुरूप है, जैसे- G7 AI समझौता, यूरोपीय संघ का (EU) का AI कानून, बैलेचली घोषणा-पत्र, इत्यादि।

    COE फ्रेमवर्क कन्वेंशन के प्रमुख प्रावधान

    • कवरेज: इसके तहत सार्वजनिक प्राधिकरणों और निजी अभिकर्ताओं, दोनों द्वारा उपयोग की जाने वाली AI प्रणालियों को शामिल किया गया है। साथ ही, सार्वजनिक प्राधिकरणों की ओर से कार्य करने वाले निजी अभिकर्ताओं द्वारा उपयोग की जाने वाली AI प्रणालियों को भी इसमें कवर किया गया है।
    • हस्ताक्षरकर्ताओं के दायित्व: पक्षकार देशों को यह सुनिश्चित करने के लिए उचित विधायी, प्रशासनिक या अन्य उपाय अपनाने या बनाए रखने होंगे कि AI प्रणालियों की उपयोग अवधि के भीतर गतिविधियां- 
      • लागू अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू कानून में निहित मानवाधिकारों की रक्षा के दायित्वों के अनुरूप हों;
      • लोकतांत्रिक संस्थानों और प्रक्रियाओं की अखंडता, स्वतंत्रता एवं प्रभावशीलता को कमजोर करने वाली न हों; आदि। 
    • इस फ्रेमवर्क कन्वेंशन की एक खास विशेषता यह है कि यह प्रौद्योगिकी को सीधे तौर पर विनियमित नहीं करता और साथ ही यह टेक्नोलॉजी न्यूट्रल भी है। 
    • इसके तहत वैश्विक स्तर पर AI प्रणालियों के डिजाइन, विकास और डीकमीशनिंग (समाप्ति) के लिए जोखिम-आधारित दृष्टिकोण अपनाया गया है।
    • अपवाद: यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हुए मामलों और अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों पर लागू नहीं होता है। हालांकि, यदि इन क्षेत्रकों में AI प्रणालियों का परीक्षण मानवाधिकारों, लोकतंत्र, या कानून के शासन में हस्तक्षेप करने की क्षमता रखता है, तो वह इस फ्रेमवर्क के दायरे में आ जाएगा।
    • फ्रेमवर्क के तहत "AI प्रणालियों की उपयोग अवधि के भीतर विभिन्न गतिविधियों से संबंधित मूलभूत सिद्धांतों" को रेखांकित किया गया है (इन्फोग्राफिक देखें)। 

    वैश्विक स्तर पर AI के गवर्नेंस की आवश्यकता क्यों है?

    • जोखिम न्यूनीकरण: AI प्रणालियों का वैश्विक स्तर पर विनियमन, AI प्रणालियों से जुड़े वैश्विक जोखिमों जैसे कि रोजगार की क्षति, भेदभाव, निगरानी व सैन्य कार्यों में दुरुपयोग, AI हथियारों के लिए स्पर्धा आदि को कम करने हेतु मानक निर्धारित कर सकता है।
    • लोकतांत्रिक काम-काज के लिए खतरा: उदाहरण के लिए- दुष्प्रचार और फेक न्यूज़ जैसे तत्व लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की प्रामाणिकता को प्रभावित कर सकते हैं।
    • असमानताओं से निपटना: AI के वैश्विक गवर्नेंस संबंधी वर्तमान व्यवस्था में असमानता व्याप्त है। उदाहरण के लिए- कई विकासशील देश, विशेषकर ग्लोबल साउथ के देश, इस प्रक्रिया में शामिल नहीं हो पा रहे हैं और उनके विचारों को महत्त्व नहीं दिया जा रहा है।
    • सीमा-पार प्रकृति: डेटा गोपनीयता और सुरक्षा जैसे AI प्रणालियों से जुड़े मुद्दे एक साथ कई देशों को प्रभावित कर सकते हैं।
    • AI का अनुचित तरीके से समायोजन: ऐसा तब होता है, जब AI प्रणालियां ऐसे तरीकों से कार्य करती हैं, जो मानवीय इच्छाओं को नहीं दिखाते हैं। इसके प्रमुख उदाहरणों में- चिकित्सा संबंधी अव्यवहार्य सिफारिशें, पक्षपाती एल्गोरिदम, कंटेंट मॉडरेशन आदि शामिल हैं।
    • व्यापक पैमाने पर उपयोग: स्वास्थ्य देखभाल, वित्त और कानून प्रवर्तन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में निर्णय लेने में AI प्रणालियों को तेजी से अपनाया जा रहा है।

    वैश्विक स्तर पर AI के गवर्नेंस के समक्ष क्या चुनौतियां हैं?

    • प्रतिनिधित्व की कमी: AI गवर्नेंस से संबंधित पहलों में विविधतापूर्ण प्रतिनिधित्व का अभाव है, अर्थात् AI के विकास से जुड़ी हुई संस्थाओं में निम्न-आय वाले देशों विशेषकर ग्लोबल साउथ के देशों की प्रतिनिधित्व की कमी देखी गई है । इससे राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर AI के मूल्यांकन और वित्त-पोषण में भारी असमानताएं उत्पन्न हो रही हैं।
      • उदाहरण के लिए- AI से जुड़ी कई चर्चाओं या पहलों में केवल सात देशों द्वारा ही भाग लिया जा रहा है। ग्लोबल साउथ के ज्यादातर देशों (118) को इन पहलों में शामिल नहीं किया गया है।
    • समन्वय संबंधी अंतराल: अंतर्राष्ट्रीय मानकों और अनुसंधान संबंधी पहलों के लिए एक वैश्विक तंत्र का अभाव कई तरह की समस्याओं को जन्म देता है, जैसे-
      • अलग-अलग देशों और क्षेत्रों में AI के नियमों में भिन्नता के कारण, AI प्रणालियों को एक देश से दूसरे देश में स्थानांतरित करना या एक-दूसरे के साथ जोड़ना मुश्किल हो जाता है। इससे वैश्विक स्तर पर AI का विकास और उपयोग सीमित हो जाता है।  
      • विविध देशों द्वारा AI चुनौतियों पर अस्थायी प्रतिक्रियाएं दी जाती हैं। ये प्रतिक्रियाएं अक्सर दीर्घकालिक समाधानों की बजाय तात्कालिक होती हैं। 
      • संकीर्ण दृष्टिकोण: AI के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण इसके जटिल वैश्विक प्रभावों से निपटने में देशों की क्षमता को बाधित करता है। 
    • कार्यान्वयन में कमी: 
      • AI गवर्नेंस के संबंध में सरकारों और निजी कंपनियों को उनकी प्रतिबद्धताओं के प्रति जवाबदेह बनाए रखने के लिए मजबूत प्रणालियों का अभाव है।
      • AI के विकास के लिए आवश्यक राष्ट्रीय रणनीतियों को बेहतर ढंग से लागू करने में संसाधन और सहयोग की कमी के कारण, ये रणनीतियां अक्सर सैद्धांतिक ही रह जाती हैं और व्यावहारिक रूप से लागू नहीं हो पाती हैं।
      • AI क्षमता निर्माण के लिए समर्पित वित्त-पोषण तंत्र का अभाव, देश को वैश्विक AI प्रतिस्पर्धा में पीछे छोड़ सकता है।

    AI को विनियमित करने के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदम

    • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए राष्ट्रीय रणनीति (NSAI): नीति आयोग ने स्वास्थ्य देखभाल, कृषि और शिक्षा जैसे क्षेत्रकों में AI का उपयोग करने के लिए #AI फॉर ऑल रणनीति की शुरुआत की है।
    • जिम्मेदार AI के लिए सिद्धांत: नीति आयोग ने AI के विकास और कार्यान्वयन में नैतिकता एवं जवाबदेही पर ध्यान केंद्रित करते हुए "जिम्मेदार AI के लिए सिद्धांत" जारी किए हैं। इसके बाद आयोग ने "जिम्मेदार AI के लिए संचालन सिद्धांत" भी जारी किए। ये सिद्धांत सरकार और निजी क्षेत्र दोनों के लिए ठोस कदम उठाने की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं।
    • AI पर राष्ट्रीय कार्यक्रम (इंडिया AI): इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने AI के क्षेत्र में नवाचार एवं कौशल विकास को बढ़ावा देने तथा AI संबंधी नैतिक चिंताओं को दूर करने के लिए इंडिया AI कार्यक्रम की शुरुआत की है।
    • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम: इस कानून का उद्देश्य व्यक्तियों के लिए डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करना और AI से जुड़ी निजता संबंधी चिंताओं का समाधान करना है।
    • ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन AI (GPAI): भारत इसका सदस्य है। भारत जिम्मेदार AI पर वैश्विक चर्चाओं में भाग लेता है और अपनी रणनीतियों को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाने का प्रयास करता है।

    वैश्विक स्तर पर उठाए गए कदम

    • AI पर G7 समझौता: इसका उद्देश्य AI प्रणालियों के जिम्मेदार विकास और उपयोग के लिए एक ग्लोबल फ्रेमवर्क स्थापित करना है। इसमें भागीदारी करना स्वैच्छिक है।
    • यूरोपीय संघ का AI अधिनियम: यह AI पर यूरोप का पहला प्रमुख विनियमन है। इसमें AI के उपयोगों को 3 जोखिम स्तरों- अस्वीकार्य जोखिम; उच्च जोखिम; तथा कम या न्यूनतम जोखिम में वर्गीकृत किया गया है।
    • बैलेचले घोषणा-पत्र: यह फ्रंटियर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) द्वारा उत्पन्न अवसरों और जोखिमों की साझा समझ स्थापित करता है। इस पर 28 देशों और यूरोपीय संघ ने हस्ताक्षर किए हैं।

    आगे की राह

    • 'गवर्निंग AI फॉर ह्यूमैनिटी' शीर्षक वाली संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट की सिफारिशें:
      • AI गवर्नेंस के लिए लचीले और विश्व स्तर पर जुड़े ऐसे दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए, जो साझा समझ एवं लाभों को बढ़ावा देता है। 
      • AI पर एक स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक पैनल का गठन करना चाहिए, जिसमें विविध क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल हों तथा वे स्वैच्छिक रूप से कार्य करने हेतु तैयार हों।
      • AI के विकास को बढ़ावा देने वाली सर्वोत्तम पद्धतियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। साथ ही, सरकार और हितधारकों को शामिल करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की बैठकों में AI गवर्नेंस पर अर्द्धवार्षिक नीतिगत संवाद आयोजित करने की व्यवस्था की जानी चाहिए।
      • एक AI एक्सचेंज सृजित करने की आवश्यकता है, जो AI प्रणालियों के मूल्यांकन के लिए परिभाषाओं और मानकों का एक रजिस्टर विकसित करने तथा उसे बनाए रखने के लिए हितधारकों को एकजुट करता हो।
      • एक AI क्षमता विकास नेटवर्क स्थापित किया जाना चाहिए। इसका मुख्य कार्य प्रमुख हितधारकों को विशेषज्ञता और प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के संबद्ध केंद्रों को जोड़ना होना चाहिए।
      • AI के लिए ग्लोबल फंड होना चाहिए, जो स्वतंत्र रूप से प्रबंधित हो। इसमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक के अंशदान को एकत्र किया जा सकता है तथा इस धन का इस्तेमाल AI उपकरणों तक स्थानीय पहुंच बढ़ाने के लिए किया सकता है।
    • उठाए जा सकने वाले अन्य कदम:
      • AI के विनियमन हेतु कानून बनाना: MeitY संभावित जोखिमों और नुकसानों का समाधान करते हुए AI के आर्थिक लाभों का दोहन करने के लिए इस पर एक नए कानून का मसौदा तैयार कर रहा है।
      • AI प्रणालियों को मानवीय मूल्यों और नैतिकता के अनुरूप बनाना: इससे यह सुनिश्चित होगा कि AI प्रणालियां मानवीय मूल्यों और नैतिकता के अनुसार काम कर रही हैं तथा भेदभाव एवं फेक न्यूज़ जैसे मुद्दों का समाधान कर सकती हैं।
    • Tags :
    • Regulation of AI
    • Al Governance
    • Europe's AI Act
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