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स्वैच्छिक वाहन-आधुनिकीकरण कार्यक्रम (Voluntary Vehicle Modernization Program)

01 Jan 2025
1 min

सुर्ख़ियों में क्यों?

हाल ही में, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने स्वैच्छिक वाहन-आधुनिकीकरण कार्यक्रम या वाहन स्क्रैपिंग नीति शुरू की है। 

अन्य संबंधित तथ्य

  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य 'पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधाओं' (RVSFs) और 'स्वचालित परीक्षण स्टेशनों (ATSs)' के नेटवर्क के माध्यम से देश भर में अनुपयुक्त प्रदूषणकारी वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिए एक इकोसिस्टम का विकास करना है।
  • इसके तहत वाणिज्यिक और यात्री वाहनों के विनिर्माता ग्राहकों द्वारा स्क्रैपेज सर्टिफिकेट उपलब्ध कराने पर क्रमशः दो वर्ष और एक वर्ष की अवधि के लिए डिस्काउंट/ छूट योजना शुरू करेंगे। 
  • इससे पहले, केंद्र सरकार ने 2021 में वाहन स्क्रैपिंग नीति की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य 15-20 साल से अधिक पुराने वाहनों को चरणबद्ध तरीके से सड़कों से हटाना है ताकि वायु प्रदूषण को कम किया जा सके, सड़क सुरक्षा में सुधार किया जा सके और नए वाहनों की बिक्री को बढ़ावा दिया जा सके।

स्वैच्छिक वाहन-आधुनिकीकरण कार्यक्रम के मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र

  • सर्कुलर इकोनॉमी: इसका उद्देश्य रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देकर और कच्चे माल की खपत को कम करके ऑटोमोटिव क्षेत्र में सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देना है।
  • फिटनेस टेस्ट में फेल होने वाले वाहनों को स्क्रैप कर दिया जाएगा और वाहन मालिकों को सबूत के तौर पर सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट (स्क्रैपेज सर्टिफिकेट) प्रदान किया जाएगा। इस प्रमाण-पत्र का इस्तेमाल नए वाहन खरीदने पर छूट प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है।
  • स्क्रैपिंग के लिए आर्थिक प्रोत्साहन:
    • वाहन स्क्रैपिंग को प्रोत्साहित करने के लिए विनिर्माताओं ने कई प्रोत्साहनों की घोषणा की है:
      • कमर्शियल/ वाणिज्यिक वाहन विनिर्माता एक्स-शोरूम कीमत पर 3% तक की छूट देते हैं।
      • पैसेंजर/ यात्री वाहन व्हीकल विनिर्माता एक्स-शोरूम कीमत पर 1.5% की छूट देते हैं।
    • ये छूट पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधाओं द्वारा प्रदान किए गए स्क्रैप मूल्य और सरकारी प्रोत्साहनों, जैसे- मोटर वाहन को खरीदने में कर रियायत व पंजीकरण शुल्क पर छूट आदि के अतिरिक्त हैं।

पुराने वाहनों को स्क्रैप करने का महत्त्व

  • पर्यावरण: पुराने वाहनों की तकनीक सामान्यतः पुरानी हो चुकी होती है एवं उनकी ईंधन दक्षता बहुत कम होती है। इस कारण पुराने वाहनों से कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और पार्टिकुलेट मैटर (PM) जैसे प्रदूषकों का उत्सर्जन अधिक होता है।
    • उन्हें स्क्रैप करने से वायु प्रदूषण कम होता है, जिससे जलवायु परिवर्तन से निपटने और शहरी वायु गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिलती है।
  • आर्थिक महत्त्व: यह लोगों को नए वाहन खरीदने के लिए भी प्रोत्साहित करेगा, जिससे ऑटोमोबाइल उद्योग में मांग बढ़ेगी।
  • सर्कुलर इकोनॉमी: पुराने वाहनों को नष्ट करने से स्टील, एल्यूमीनियम, तांबा, रबर जैसी उपयोगी सामग्री प्राप्त होती है, जिससे नए वाहनों के निर्माण में धातुओं के खनन एवं कच्चे माल को तैयार करने की आवश्यकता कम हो जाती है।
  • सड़क सुरक्षा: पुराने वाहन आधुनिक सुरक्षा सुविधाओं से लैस नहीं होते हैं। इसलिए इन्हें सड़कों से हटाकर दुर्घटनाओं को कम किया जा सकेगा और सड़क परिवहन को सुरक्षित बनाने में मदद मिलेगी।
  • नियमों का पालन: पुराने वाहनों को स्क्रैप करके भारत में सड़कों पर चलने वाले वाहनों द्वारा उत्सर्जित प्रदूषण को कम किया जा सकता है और BS-VI उत्सर्जन मानकों का पालन बेहतर तरीके से सुनिश्चित किया जा सकता है।

भारत में वाहन स्क्रैपिंग को प्रभावी तरीके से लागू करने के समक्ष चुनौतियां

  • अपर्याप्त बुनियादी ढांचा: ऑथराइज्ड रीसाइक्लिंग सेंटर्स के सुव्यवस्थित नेटवर्क का अभाव तथा स्क्रैपिंग के कार्य में असंगठित क्षेत्र का प्रभुत्व बड़ी चुनौतियां हैं। असंगठित क्षेत्रों में स्क्रैपिंग के दौरान पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को ध्यान में नहीं रखा जाता है। इस वजह से लोगों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है तथा अपशिष्ट भी सही तरीके से प्रबंधित नहीं हो पाता है।
  • सर्कुलर इकॉनमी पर अधिक ध्यान नहीं देना: मानक रीसाइक्लिंग आपूर्ति श्रृंखलाओं में स्क्रैप किए गए वाहनों से प्राप्त सामग्री को प्रभावी ढंग से नए वाहनों और अन्य वस्तुओं के निर्माण में उपयोग किया जाता है। वहीं, मानक रीसाइक्लिंग आपूर्ति श्रृंखला नहीं होने से स्क्रैपिंग का कार्य दक्षतापूर्ण तरीके से नहीं हो पाता है एवं पुराने वाहनों की उपयोगी सामग्रियों को भी नहीं प्राप्त किया जाता है।  
  • जागरूकता और भागीदारी की कमी: कई वाहन मालिकों को इस बात की जानकारी ही नहीं है कि पुराने वाहनों को स्क्रैप करने से पर्यावरण और आर्थिक लाभ प्राप्त होते हैं। इसके अलावा, वाहन मालिकों का अपने पुराने वाहनों के प्रति भावनात्मक लगाव जैसी चुनौतियां भी स्वैच्छिक रूप से वाहन स्क्रैपिंग को हतोत्साहित करती हैं।
  • आर्थिक बाधाएं: पुराने वाहनों को बेचने पर कम मूल्य मिलते हैं। साथ ही, नए और फ्यूल एफिशिएंट वाहन की कीमत काफी अधिक है। ऐसे में विशेष आर्थिक प्रोत्साहन नहीं मिलने से लोग नए वाहन खरीदने से बचते हैं।
  • नियमों को सही से लागू नहीं करना: स्थानीय स्तर पर अधिक जांच नहीं होने और भ्रष्टाचार के कारण अक्सर पुराने वाहनों के लिए फर्जी प्रमाण-पत्र जारी कर दिए जाते हैं। इस वजह से ये वाहन नियमों को धत्ता बताते हुए सड़कों पर दिखाई देते हैं।

आगे की राह

  • स्क्रैपिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण: स्क्रैपिंग सुविधाएं स्थापित करने में सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, स्क्रैप किए गए वाहनों से रीसाइकल्ड सामग्री प्राप्त करने के लिए एक एकीकृत आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण पर बल देना चाहिए, आदि।
  • वाहन स्क्रैपिंग प्रक्रिया को आसान बनाना: स्क्रैपिंग केंद्रों को वाहन-मालिकों के लिए वन-स्टॉप सेवा केंद्र के रूप में स्थापित करना चाहिए। पुराने वाहनों के पंजीकरण रद्द करने से लेकर सामग्रियों की रीसाइक्लिंग तक की प्रक्रियाओं को आसान बनाकर प्रशासनिक बाधाओं को दूर करना चाहिए। इससे स्क्रैपिंग की प्रक्रिया अधिक दक्ष बनेगी।
  • स्क्रैपिंग संबंधी कानूनों को सख्ती से लागू करना: पुराने वाहनों के लिए नियमित और सख्त उत्सर्जन परीक्षण लागू करना चाहिए, अधिक पुराने वाहनों को ट्रैक करने के लिए एक केंद्रीकृत प्रणाली विकसित की जानी चाहिए, आदि।
    • संधारणीयता, सुरक्षा और पर्यावरणीय जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए शुरू से ही इलेक्ट्रिक एंड-ऑफ-लाइफ व्हीकल (ELVs) और बैटरियों के प्रबंधन को एकीकृत करना चाहिए।
  • जन जागरूकता: स्क्रैपिंग के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने एवं स्क्रैपिंग प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए स्थानीय समुदायों, गैर-सरकारी संगठनों और वाहन संघों के साथ सहयोग करने की आवश्यकता है।

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