क्वांटम नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (Quantum Natural Language Processing: QNLP) | Current Affairs | Vision IAS
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    संक्षिप्त समाचार

    Posted 01 Jan 2025

    Updated 03 Dec 2025

    15 min read

    क्वांटम नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (Quantum Natural Language Processing: QNLP)

    क्वांटम नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (QNLP) लार्ज लैंग्वेज मॉडलिंग (LLM) के लिए संभावित रूप से गहन निहितार्थों वाला एक उभरता हुआ अनुसंधान क्षेत्र है।

    QNLP के बारे में

    • यह नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP) के लिए क्वांटम कंप्यूटिंग का अनुप्रयोग है।
      • NLP कंप्यूटर को मानव भाषा की व्याख्या, हेरफेर और समझने की क्षमता प्रदान करता है।
    • QNLP की आवश्यकता: इसकी आवश्यकता इसलिए उत्पन्न हुई, क्योंकि पारंपरिक LLMs नेचुरल लैंग्वेज के सिमेंटिक (शब्दों और वाक्यों के अर्थ से संबंधित) पहलुओं को प्रॉसेस करने में तो उत्कृष्ट हैं, लेकिन अक्सर सिंटेक्स के साथ संघर्ष करते हैं।
      • सिंटेक्स एक वाक्य में शब्दों और वाक्यांशों की संरचनात्मक व्यवस्था है।
    • पारंपरिक प्रणालियों के विपरीत, QNLP व्याकरण (सिंटेक्स) और अर्थ (सिमेंटिक) पर एक साथ ध्यान केंद्रित करने में सक्षम है।
    • QNLP के लाभ: 
      • पारंपरिक LLMs की तुलना में कम ऊर्जा लागत; 
    • पारंपरिक समकक्षों की तुलना में QNLP में कम मापदंडों की आवश्यकता होती है आदि।

    वैश्विक परिदृश्य

    • ग्राफीन अनुसंधान में अग्रणी देश चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, दक्षिण कोरिया, रूस और सिंगापुर हैं।
    • चीन और ब्राजील ग्राफीन के वाणिज्यिक उत्पादन में वैश्विक स्तर पर अग्रणी देश हैं। 
    • भारत की तुलना में चीन लगभग 20 गुना अधिक ग्राफीन का उत्पादन करता है।
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    • Quantum Natural Language Processing (QNLP)
    • Large Language Modeling (LLM)
    • Natural Language Processing (NLP)

    सिलिकॉन कार्बाइड (Silicon Carbide)

    भारत का पहला सिलिकॉन कार्बाइड विनिर्माण संयंत्र ओडिशा में स्थापित किया जाएगा।

    सिलिकॉन कार्बाइड (SiC) के बारे में  

    • इसे कार्बोरंडम के नाम से भी जाना जाता है। यह सिलिकॉन और कार्बन का कृत्रिम रूप से निर्मित अत्यंत कठोर क्रिस्टलीय यौगिक होता है।
    • गुण: इसमें उत्कृष्ट ताप-यांत्रिक विशेषताएं होती है। इन विशेषताओं में उच्च तापीय चालकता, उत्कृष्ट यांत्रिक गुण, क्षरण और ऑक्सीकरण के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधकता आदि शामिल हैं।
    • उपयोग: इसका उपयोग अर्धचालक उपकरणों, मैकेनिकल सील, स्ट्रक्चरल सिरेमिक, हीट एक्सचेंजर्स, ऑप्टिकल मिरर, बैलिस्टिक आर्मर आदि के निर्माण में किया जाता है।
    • Tags :
    • Silicon Carbide
    • Carborundum

    पोलारिस डॉन मिशन के तहत विश्व का पहला निजी स्पेसवॉक सफलतापूर्वक पूरा किया गया (Polaris Dawn Mission Successfully Completes World's First Private Spacewalk)

    पोलारिस डॉन मिशन निजी रूप से वित्त-पोषित और संचालित एक स्पेस मिशन है। जेरेड आईजैकमैन ने स्पेसएक्स के साथ मिलकर इसकी योजना बनाई है।

    • हाल ही में, पोलारिस डॉन ने पृथ्वी के उच्च विकिरण वाले क्षेत्रों, यानी साउथ अटलांटिक एनॉमेली और वैन एलेन रेडिएशन बेल्ट की यात्रा की है। इसका उद्देश्य मानव स्वास्थ्य पर अंतरिक्ष विकिरण के प्रभाव का अध्ययन करना था। 

    वैन एलेन रेडिएशन बेल्ट के बारे में 

    • इसे तारा-भौतिकविद् जेम्स वैन एलेन ने 1958 में खोजा था। 
    • पृथ्वी का चुंबकमंडल उच्च ऊर्जा वाले विकिरण कणों को बांध कर रखता है तथा पृथ्वी को सौर तूफानों और सौर पवनों से बचाता है। ज्ञातव्य है कि सौर तूफान व सौर पवनें प्रौद्योगिकी के साथ-साथ पृथ्वी पर रहने वाले लोगों को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं।
      • ये अवरुद्ध कण विकिरण की दो बेल्ट्स (आंतरिक और बाहरी) बनाते हैं, जिन्हें वैन एलेन बेल्ट्स के रूप में जाना जाता है। ये बेल्ट्स पृथ्वी को घेरे हुए हैं।
        • आंतरिक बेल्ट ब्रह्मांडीय किरणों की पृथ्वी के वायुमंडल के साथ परस्पर अंतर्क्रियाओं से उत्पन्न होती है। बाहरी बेल्ट सूर्य से उत्पन्न उच्च ऊर्जा वाले अरबों कणों से बनी होती है। 
    • अंतरिक्ष यात्रियों और अंतरिक्ष यान को बाह्य अंतरिक्ष तक पहुंचने के लिए वैन एलेन बेल्ट से होकर गुजरना पड़ता है। इस कारण उनके विकिरण जोखिम को सीमित करने के लिए इस क्षेत्र से तेजी से उड़ान भरना बहुत जरूरी हो जाता है।
    • नासा अपने आगामी आर्टेमिस मिशनों के जरिये अंतरिक्ष यात्रियों को वैन एलेन विकिरण बेल्ट से आगे 2025 के अंत तक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर और अंततः मंगल ग्रह पर भेजने की योजना बना रहा है।

    दक्षिण अटलांटिक विसंगति (South Atlantic Anomaly: SAA) के बारे में 

    • यह दक्षिण अटलांटिक महासागर के ऊपर एक भौगोलिक क्षेत्र है। यहां आंतरिक वैन एलेन विकिरण बेल्ट विशेष रूप से पृथ्वी के निकट तक फैली हुई है।
    • इससे आयनकारी विकिरण के स्तर में अत्यधिक वृद्धि होती है और पृथ्वी की निचली कक्षाओं में अंतरिक्ष यान पर प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर अंतरिक्ष यात्रियों और इलेक्ट्रॉनिक घटकों के लिए विकिरण का जोखिम भी बढ़ जाता है।
    • Tags :
    • Polaris Dawn Mission
    • Van Allen Radiation Belt
    • South Atlantic Anomaly
    • James Van Allen

    वीनस ऑर्बिटर मिशन {Venus Orbiter Mission (VOM)}

    केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वीनस ऑर्बिटर मिशन (VOM) के विकास को मंजूरी दी है। 

    • भारत के वीनस ऑर्बिटर मिशन का उद्देश्य शुक्र (Venus) ग्रह की कक्षा में एक वैज्ञानिक अंतरिक्ष यान को भेजना है। यह यान शुक्र ग्रह की परिक्रमा करेगा। इस मिशन को पूरा करने की जिम्मेदारी अंतरिक्ष विभाग को सौंपी गई है। 
    • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) इस अंतरिक्ष यान के विकास और प्रक्षेपण के लिए जिम्मेदार होगा। इसका प्रक्षेपण मार्च 2028 में निर्धारित है।
    • बजट: वीनस ऑर्बिटर मिशन का बजट 1,236 करोड़ रुपये है। इसमें से 824 करोड़ रुपये अंतरिक्ष यान पर खर्च किए जाएंगे।
    • वीनस ऑर्बिटर मिशन (VOM) का महत्त्व:
      • यह मिशन शुक्र ग्रह की सतह व उपसतह, वायुमंडलीय प्रक्रियाओं तथा इसके वायुमंडल पर सूर्य के प्रभाव की बेहतर समझ प्रदान करेगा।
      • इस मिशन से शुक्र और पृथ्वी, दोनों सिस्टर प्लैनेट्स यानी जुड़वा ग्रह के विकास-क्रम को समझने में मदद मिलेगी।
      • यह बड़े पेलोड ले जाने में सक्षम भविष्य के ग्रहीय मिशनों के प्रक्षेपण तथा ग्रहों की कक्षाओं में प्रवेश करने के सबसे बेहतर तरीकों को जानने में मदद करेगा।
      • रोजगार के बड़े अवसर उत्पन्न होंगे तथा अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रकों में प्रौद्योगिकी के वाणिज्यिक उपयोग को बढ़ावा मिलेगा।

    शुक्र ग्रह के बारे मे

    • शुक्र पृथ्वी का निकटतम पड़ोसी ग्रह है। समान आकार एवं आकृति के कारण शुक्र को ‘पृथ्वी का जुड़वां ग्रह’ माना जाता है।
      • यह 6,052 कि.मी. के त्रिज्या वाला ग्रह है, जिसकी कक्षीय अवधि 224.7 पृथ्वी दिवस है। यह सूर्य से 108.2 मिलियन कि.मी. (0.72 खगोलीय यूनिट) की दूरी पर स्थित है।
    • शुक्र का सघन वायुमंडल ऊष्मा को भीतर ही रोककर रखता है। इससे ग्रीनहाउस प्रभाव अनियंत्रित हो जाता है यानी रनअवे ग्रीनहाउस इफेक्ट की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इस कारण यह हमारे सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है।
    • शुक्र ग्रह हमेशा सल्फ्यूरिक एसिड के घने और विषाक्त बादलों से घिरा रहता है।
      • इस ग्रह के वायुमंडल में फास्फीन गैस पाई गई है। गौरतलब है कि फास्फीन गैस सूक्ष्मजीवों की मौजूदगी का संभावित संकेतक है।  
    • यूरेनस की तरह शुक्र ग्रह भी पूर्व से पश्चिम की ओर घूर्णन करता है, जबकि अन्य सभी ग्रह पश्चिम से पूर्व की ओर घूर्णन करते हैं।

    शुक्र ग्रह के लिए मिशन

     

    मिशन (वर्ष)

                          प्रमुख तथ्य

    पिछले मिशन

    मैरिनर 2 (1962, संयुक्त राज्य अमेरिका)

    यह शुक्र पर भेजा गया पहला अंतरिक्ष यान था। इस मिशन को शुक्र ग्रह पर कोई चुंबकीय क्षेत्र नहीं मिला। 

    वेनेरा-7 (1970, सोवियत संघ) 

    यह किसी अन्य ग्रह (शुक्र) पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला मानव निर्मित अंतरिक्ष यान था। 

    मैगेलन 1990, संयुक्त राज्य अमेरिका

    इस अंतरिक्ष यान ने शुक्र ग्रह की सतह की पहली नियर-ग्लोबल रडार मैपिंग की थी। 

    अकात्सुकी (2015, जापान)

    इसने शुक्र के वायुमंडल का अध्ययन किया था। 

    भविष्य के मिशन 

    • नासा का दा-विंची- वीनस फ्लाई बाई और प्रोब (2029); 
    • वेरिटास- ऑर्बिटर (2031); तथा 
    • एनविज़न- यूरोपियन स्पेस एजेंसी का वीनस ऑर्बिटर (2031)।
    • Tags :
    • ISRO
    • Venus Orbiter Mission (VOM)
    • Venus

    चंद्रयान-4 (Chandrayaan-4)

    केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी प्रदान की है। यह चंद्रयान-3 का परवर्ती मिशन है। ज्ञातव्य है कि चंद्रयान-3 ने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी। 

    चंद्रयान-4 के बारे में 

    • इसका उद्देश्य चंद्रमा पर लैंडिंग करना, चंद्र नमूने एकत्र करना और सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लौटना है। इसके लिए यह प्रमुख तकनीकों को विकसित और प्रदर्शित करेगा। 
    • इस मिशन के पश्चात अंततः भारत को 2040 तक भारतीय चालक दल युक्त चंद्र मिशन तथा सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लौटने के लिए आधारभूत प्रौद्योगिकी क्षमताएं प्राप्त हो जाएंगी।
    • इसरो अंतरिक्ष यान का विकास और प्रक्षेपण करेगा। 
    • समय-सीमा: 36 महीनों के भीतर पूरा होने की उम्मीद है।
    • बजट: 2104.06 करोड़ रुपए।
    • Tags :
    • Chandrayaan-3
    • Chandrayaan-4
    • Moon

    स्क्वायर किलोमीटर ऐरे (Square Kilometer Array)

    स्क्वायर किलोमीटर ऐरे (SKA) ने पहला पर्यवेक्षण पूर्ण कर लिया है। इस प्रकार इसने आंशिक रूप से काम करना आरंभ कर दिया है। गौरतलब है कि यह निर्माणाधीन प्रक्रिया विश्व का सबसे बड़ा रेडियो टेलीस्कोप है। 

    स्क्वायर किलोमीटर ऐरे (SKA) के बारे में

    • SKA प्रोजेक्ट का लक्ष्य विश्व का सबसे बड़ा रेडियो टेलीस्कोप बनाना है। इसका अधिग्रहण क्षेत्र एक वर्ग किलोमीटर से अधिक होगा।
    • SKA में एक वैश्विक वेधशाला सम्मिलित होगी। इसके तहत दो बड़े टेलीस्कोप होंगे। इनमें से एक दक्षिण अफ्रीका में और एक ऑस्ट्रेलिया में स्थापित किया जाएगा।\
    • SKA टेलीस्कोप्स के उद्देश्य:
      • ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति को समझना;
      • गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाना;
      • आकाशगंगाओं, डार्क मैटर और ब्रह्मांडीय चुंबकत्व के विकास को समझना।
    • भारत 2012 में SKA संगठन में एसोसिएट सदस्य के रूप में शामिल हुआ था। इसने SKA टेलीस्कोप्स के निर्माण-पूर्व चरण में सक्रिय रूप से भाग लिया है।
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    • Dark matter
    • Square Kilometer Array
    • Cosmic Magnetism

    क्वासर (Quasars)

    खगोलविदों ने यूरोपीय दक्षिणी वेधशाला (ESO) के अति विशाल टेलीस्कोप (VLT) का उपयोग करके अब तक देखे गए सबसे चमकीले क्वासर की खोज की है। इसका नाम J0529-4351 है। 

    क्वासर के बारे में 

    • क्वासर शब्द “अर्ध-तारकीय रेडियो स्रोत” (Quasi-stellar radio sources: Quasars) का संक्षिप्त रूप है। 
    • क्वासर बहुत ही चमकीले और ऊर्जावान पिंड होते हैं जो कुछ दूर स्थित आकाशगंगाओं के केंद्र में पाए जाते हैं। विशालकाय ब्लैक होल इनके ऊर्जा का स्रोत होता है।
    • वे ज्ञात ब्रह्मांड में सबसे अधिक चमकदार वस्तुओं में से हैं। 
    • अत्यधिक चमकदार होने के बावजूद, पृथ्वी से उनकी अधिक दूरी के कारण, किसी भी क्वासर को बिना उपकरण के नहीं देखा जा सकता। 
    • वे रेडियो तरंगें, दृश्य प्रकाश, UV किरणें, अवरक्त तरंगें, एक्स किरणें और गामा किरणें उत्सर्जित करते हैं। 
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    • Black Holes
    • Quasars
    • Quasi-Stellar Radio Source

    शनि के वलय (Saturn’s Rings)

    2025 में शनि ग्रह के वलय कुछ समय के लिए पृथ्वी पर मौजूद पर्यवेक्षकों को नहीं दिखाई देंगे।

    • इस अस्थायी परिघटना की वजह शनि का झुकाव और ऑप्टिकल भ्रम है।

    शनि ग्रह के वलयों के बारे में

    • ये वलय आमतौर पर लगभग 30 फीट चौड़े हैं।
    • ये लगभग पूरी तरह से जलीय बर्फ और चट्टानों के टुकड़ों से बने हुए हैं। इनका आकार रेत के कण से लेकर एक पहाड़ के बराबर हो सकता है।
    • इनका नामकरण इनकी खोज के क्रम के अनुसार वर्णमाला के क्रम में किया गया है। उदाहरण के लिए, मुख्य वलयों का नाम A, B और C है। 
    • कुछ अन्य ग्रह जिनमें वलय पाए जाते हैं: बृहस्पति और यूरेनस।
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    • Saturn’s Rings

    नीति आयोग ने “भविष्य की महामारी से निपटने की तैयारियों पर विशेषज्ञ समूह” की रिपोर्ट जारी की (NITI Aayog releases Expert Group Report on Future Pandemic Preparedness)

    विशेषज्ञ समूह की रिपोर्ट में कोविड-19 महामारी के दौरान सामने आई चुनौतियों पर विचार किया गया है। साथ ही, इसमें भविष्य की महामारी से निपटने की तैयारियों के लिए एक व्यापक रणनीति भी प्रस्तावित की गई है।

    • रिपोर्ट में जानवरों से फैलने वाले यानी जूनोटिक रोगों के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए "वन हेल्थ" एप्रोच अपनाने पर जोर दिया गया है।

    कोविड-19 के दौरान उत्पन्न समस्याएं

    • कानूनी समस्याएं: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और महामारी रोग अधिनियम (EDA) के प्रावधान लोक स्वास्थ्य संबंधी आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए पूरी तरह से उपयुक्त नहीं हैं।
    • निगरानी और डेटा प्रबंधन: कई डेटा स्रोतों को अच्छी तरह से एकीकृत नहीं किया गया था, जिससे निर्णय लेने में समस्या उत्पन्न हो रही थी।
    • अनुसंधान और नवाचार: अनुसंधान संस्थानों को औषधि उद्योगों से नहीं जोड़ा गया था। इस वजह से जांच और टीकों के तेजी से विकास में समस्या आई थी। 

    रिपोर्ट में की गई मुख्य सिफारिशें

    • गवर्नेंस: 
      • लोक स्वास्थ्य आपातकालीन प्रबंधन अधिनियम (PHEMA) बनाने की जरूरत है। इससे महामारी के अलावा गैर-संचारी रोगों, आपदाओं और जैव-आतंकवाद जैसी लोक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में भी मदद मिलेगी। 
      • महामारी से निपटने की तैयारी और आपातकालीन प्रतिक्रिया (PPER) पर सचिवों के एक अधिकार प्राप्त समूह का गठन किया जाना चाहिए। कैबिनेट सचिव इसके अध्यक्ष होंगे। 
      • एक विशेष PPER कोष की भी स्थापना की जानी चाहिए। 
    • डेटा प्रबंधन, निगरानी और प्रारंभिक पूर्वानुमान चेतावनी:
      • अच्छी तरह से एकीकृत मजबूत निगरानी नेटवर्क बनाने की आवश्यकता है। 
      • प्रारंभिक पूर्वानुमान के लिए एक ठोस मॉडलिंग और पूर्वानुमान नेटवर्क स्थापित किया जाना चाहिए। 
    • अनुसंधान और नवाचार: 
      • नई प्लेटफॉर्म प्रौद्योगिकियों और वैक्सीन विकास के लिए एक नवाचार संस्थान की स्थापना की जानी चाहिए। 
      • “मानव संसाधन कौशल विकास पर उत्कृष्टता केंद्र” स्थापित किए जाने चाहिए। इससे जिन क्षेत्रों में कमियों की पहचान की गई है, उन्हें दूर किया जा सकेगा। 
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    • NITI Aayog
    • One Health
    • Epidemic Diseases Act (EDA)

    विषाणु युद्ध अभ्यास (Vishanu Yuddh Abhyas)

    विषाणु युद्ध अभ्यास, वैश्विक महामारी (Pandemic) से निपटने की तैयारी के संबंध में एक मॉक ड्रिल है। इसका आयोजन 'नेशनल वन हेल्थ मिशन (NOHM)' के तहत किया गया था।

    • NOHM के तहत "वन हेल्थ" अप्रोच पर फोकस किया जाता है, ताकि एकीकृत रोग नियंत्रण को सुनिश्चित किया जा सके और वैश्विक महामारी से बेहतर तरीके से निपटा जा सके।

    विषाणु युद्ध अभ्यास के बारे में

    • उद्देश्यः मानव स्वास्थ्य, पशुपालन और वन्यजीव क्षेत्त्रों के विशेषज्ञों से युक्त नेशनल ज्वाइंट आउटब्रेक रिस्पांस टीम (NJORT) की किसी भी आपदा के प्रति तैयार रहने की क्षमता और प्रभावी प्रतिक्रिया का मूल्यांकन करना।
      • इसके तहत जूनोटिक रोगों के प्रकोप का परिदृश्य तैयार किया गया, जिससे यह समझा जा सके कि अगर ऐसा प्रकोप असल में हो तो किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा और उस स्थिति में कैसे प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया की जा सकती है।
      • हितधारकः इस युद्ध अभ्यास में ICMR; एम्स (जोधपुर) BSL-3 लैब; राज्य प्रशासन आदि सहित कई राष्ट्रीय और राज्य एजेंसियां शामिल थीं।
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    • One Health
    • Vishanu Yuddh Abhyas
    • National One Health Mission (NOHM)

    मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट टी.बी. (MDR-टी.बी.) के लिए नई उपचार पद्धति {New Treatment Regimen for Multi-Drug Resistant-Tuberculosis (MDR-TB)}

    यह नई उपचार पद्धति चार दवाओं यथा बेडाक्विलाइन (Bedaquiline), प्रीटोमेनिड (Pretomanid), लाइनज़ोलिड (Linezolid) और मोक्सीफ्लोक्सासिन (Moxifloxacinसे युक्त नई BPaLM चिकित्सा पद्धति है। यह पिछली पद्धतियों की तुलना में एक सुरक्षित, अधिक प्रभावी और त्वरित उपचार का विकल्प साबित हुई है।

    • इससे पहले, प्रीटोमेनिड को भारत में उपयोग के लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा अनुमोदित और लाइसेंस प्रदान किया जा चुका है।
    • इससे टी.बी. के उपचार की अवधि 20 महीने से घटकर 6 महीने हो गई है। 
    • BPaLM चिकित्सा पद्धति को राष्ट्रीय टी.बी. उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत शुरू किया गया था। इस चिकित्सा पद्धति की मदद से 2025 तक भारत में टी.बी. को समाप्त करने के राष्ट्रीय लक्ष्य को हासिल करने में देश की प्रगति को बढ़ावा मिलेगा।

    टी.बी./ तपेदिक/ क्षय रोग के बारे में

    • यह एक संक्रामक रोग है। इससे प्रायः फेफड़े प्रभावित होते हैं। यह रोग बैसिलस माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। 
      • बैसिली कैलमेट-ग्युरिन (BCG) का टीका टी.बी. के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रदान करता है।
    • भारत टी.बी. रिपोर्ट 2024 के अनुसार , 2023 में 25.52 लाख टी.बी. के मरीज थे।

    टी.बी. उन्मूलन के समक्ष चुनौतियां

    • लोग इस बीमारी को सामाजिक कलंक मानते हैं, इस कारण इसे प्रकट करने से बचते हैं। इससे इसके निदान में देरी होती है;
    • इसके उपचार की लागत अधिक है;
    • इसके साथ HIV, मधुमेह आदि रोग होने की संभावना रहती है; 
    • ग्रामीण क्षेत्रों में डायग्नोस्टिक्स फैसिलिटी का अभाव है आदि।
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    • Tuberculosis
    • MDR-TB
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    • Pretomanid
    • XDR-TB
    • TDR-TB

    सोनोल्यूमिनसेंस (Sonoluminescence)

    पिस्टल श्रिम्प (एल्फिडे परिवार से संबंधित) अपने पंजों को तेजी से स्नैप करके (चटकाकर) सोनोल्यूमिनसेंस नामक एक अद्वितीय घटना को उत्पन्न करते हैं।

    सोनोल्यूमिनसेंस के बारे में:

    • यह अल्ट्रासोनिक तरंगों के साथ तरल पदार्थों के विकिरण के माध्यम से प्रकाश उत्पन्न करने की घटना है। 
      • यह प्रकाश तब बनता है, जब तरल पदार्थों में केविटेशन द्वारा निर्मित बुलबुले शक्तिशाली ध्वनि तरंगों के साथ क्रिया करते हैं। 
    • ध्वनि तरंगों के क्रमशः उच्च और निम्न दाब के कारण बुलबुलों का तेजी से विस्तार एवं संकुचन होता है। 
    • इसके परिणामस्वरूप तापमान में तीव्र वृद्धि होती है, बुलबुलों के भीतर गैसों का आयनीकरण होता है और प्रकाश ऊर्जा निकलती है। 
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    • Sonoluminescence
    • Pistol shrimp
    • Alpheidae

    सरकमन्यूटेशन (Circumnutation)

    एक नए अध्ययन में पादपों की वृद्धि के पैटर्न में सरकमन्यूटेशन की भूमिका पर प्रकाश डाला गया है। 

    सरकमन्यूटेशन के बारे में:  

    • यह पादपों द्वारा अपने आस-पास की पर्यावरणीय परिस्थितियों का पता लगाने के लिए उनके द्वारा निरंतर की जाने वाली छोटी-मोटी गतिविधियों हेतु प्रयुक्त पद है।  
      • ये गतिविधियां सर्पिल या ज़िगज़ैग के रूप में दिखाई देती हैं।
    • महत्त्व: यह पादपों की प्रजातियों में एक अंतर्निहित व्यवहार है। यह पादपों को पर्यावरणीय परिस्थितियों के अनुकूल होने और अपनी वृद्धि क्षमता को अधिकतम करने में सक्षम बनाता है। 
      • उदाहरण के लिए सूरजमुखी का स्व-संगठन: सूरजमुखी का पौधा घनी पंक्तियों में उगने पर एक ज़िगज़ैग पैटर्न बनाता है। इससे सूरजमुखी एक दूसरे से दूर झुक कर अपनी छाया से बचाव करते हैं और सूरज का अधिकतम प्रकाश प्राप्त करते हैं। 
    • शोधकर्ताओं ने पाया कि सरकमन्यूटेशन अक्सर यादृच्छिक प्रक्रिया की तरह दिखाई देता है। इसमें पादप अप्रत्याशित तरीके से गतिविधि करते हैं।
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    • Circumnutations
    • Sunflower

    वुड वाइड वेब (Wood Wide Web)

    जिस तरह हम एक-दूसरे से संवाद करने और सामानों का ऑर्डर देने के लिए इंटरनेट का उपयोग करते हैं, वैसे ही पेड़ों और अन्य पादपों का अपना नेटवर्क होता है। यह नेटवर्क है ‘कवक’ (Fungi)। 

    • वैज्ञानिक पेड़ों के इस नेटवर्क को "वुड वाइड वेब" कहते हैं। 
    • ये भूमिगत कवक के स्ट्रिंग्स हैं, जिन्हें माइसीलियम के रूप में जाना जाता है। ये कवक पादपों की जड़ों को जोड़ते हैं, जिससे उन्हें आपस में पोषक तत्वों को साझा करने और रासायनिक संकेतों के माध्यम से संवाद करने में मदद मिलती है।
    • Tags :
    • Fungi
    • Wood Wide Web

    AVGC-XR सेक्टर (AVGC-XR Sector)

    एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग, कॉमिक्स और एक्सटेंडेड रियलिटी (AVGC-XR) के लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (NCoE) की स्थापना को मंजूरी दी गई है। इसे मुंबई में स्थापित किया जाएगा। 

    • NCoE की स्थापना कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत एक गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में की जाएगी। 
    • NCoE विशेषीकृत प्रशिक्षण-सह-शिक्षण कार्यक्रम प्रदान करेगा; अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देगा तथा इनक्यूबेशन केंद्र के रूप में कार्य करेगा। 

    AVGC-XR सेक्टर के बारे में

    • इस उद्योग में वर्तमान में 2.6 लाख लोग कार्यरत हैं और 2032 तक इसमें 23 लाख प्रत्यक्ष रोजगार पैदा होने की उम्मीद है। 
    • इस क्षेत्रक द्वारा 26 बिलियन डॉलर से अधिक राजस्व प्राप्त करने की उम्मीद है, जो वर्तमान में 3 बिलियन डॉलर है।
    • चुनौतियां: मानकीकरण का अभाव; कौशल एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों की कमी आदि।
    • Tags :
    • AVGC-XR
    • Animation
    • Extended Reality
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