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विश्वस्य: राष्ट्रीय ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी स्टैक (Vishvasya: National Blockchain Technology Stack)

01 Jan 2025
1 min

सुर्ख़ियों में क्यों? 

हाल ही में, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने "विश्वस्य: राष्ट्रीय ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी स्टैक" लॉन्च किया है। 

अन्य संबंधित तथ्य

इसके साथ ही MeitY ने निम्नलिखित परियोजनाएँ भी शुरू की हैं:

  • NBFLite: यह एक ब्लॉकचेन सैंडबॉक्स प्लेटफॉर्म है। इसे विशेष रूप से ब्लॉकचेन अनुप्रयोगों का तेजी से प्रोटो टाइपिंग करने तथा अनुसंधान एवं क्षमता निर्माण हेतु स्टार्टअप्स/ शिक्षाविदों के लिए विकसित किया गया है। 
  • प्रामाणिक (Praamaanik): यह राष्ट्रीय ब्लॉकचेन फ्रेमवर्क द्वारा संचालित होता है। यह ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी का उपयोग कर मोबाइल ऐप के विकास के स्रोत को सत्यापित करता है।
  • राष्ट्रीय ब्लॉकचेन पोर्टल (National Blockchain Portal): इसे राष्ट्रीय ब्लॉकचेन फ्रेमवर्क पहल से संबंधित कंटेंट के प्रबंधन के लिए कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम थीम पर विकसित किया गया है। 

विश्वस्य के बारे में: राष्ट्रीय ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी स्टैक

  • इसे ब्लॉकचेन-एज-ए-सर्विस (BaaS) प्रदान करने के लिए शुरू किया गया है। इसमें ऐसा नेटवर्क इस्तेमाल किया जाता है, जो अलग-अलग भौगोलिक स्थानों में फैला होता है। इसके तहत अधिकृत लोग (Permissioned) ब्लॉकचेन आधारित एप्लिकेशंस का अलग-अलग उपयोग कर सकते हैं। 
    • BaaS एक तृतीय पक्ष क्लाउड-आधारित अवसंरचना और प्रबंधन सेवा है। संगठन और व्यवसाय ब्लॉकचेन एप्लीकेशन के विकास और प्रबंधन के लिए इसका उपयोग करते हैं।
  • यह राष्ट्रीय ब्लॉकचेन रणनीति के तहत प्रदान किए गए व्यापक राष्ट्रीय ब्लॉकचेन फ्रेमवर्क (NBF) का एक हिस्सा है।
    • NBF का उद्देश्य स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा, वित्त जैसे विविध क्षेत्रकों में ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी का प्रभावी ढंग से उपयोग करना है।
  • BaaS का महत्व
    • यह नए प्रकार के डिस्ट्रिब्यूटेड सॉफ्टवेयर आर्किटेक्चर विकसित करके विश्वास निर्माण को सक्षम बनाने में सहायक होता है। ये सॉफ्टवेयर आर्किटेक्चर उनकी साझा स्थितियों पर आम सहमति बनाने में सक्षम होते हैं और सत्य का एकमात्र स्रोत प्रदान करते हैं।
    • यह बुनियादी ढांचा प्रदाताओं, स्मार्ट अनुबंध डेवलपर्स और एप्लिकेशन डेवलपर्स सहित विभिन्न हितधारकों के बीच ब्लॉकचेन के व्यापक उपयोग में आने वाली चुनौतियों का समाधान करता है।  
    • यह स्टैक में विभिन्न ब्लॉकचेन घटकों के लिए सुरक्षा आश्वासन प्रदान करता है। 

ब्लॉकचेन तकनीक क्या है?

  • ब्लॉकचेन तकनीक एक डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी है। इसका मूल उद्देश्य किसी भी प्रकार की डिजिटल जानकारी को सुरक्षित, पारदर्शी और छेड़छाड़ से मुक्त तरीके से संग्रहित करना है। यह पहली बार 2009 में सातोशी नाकामोतो द्वारा क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन के डिजाइन और विकास के साथ शुरू की गई थी। 
  • यह विभिन्न प्रौद्योगिकियों, जैसे- डिस्ट्रिब्यूटेड सिस्टम, क्रिप्टोग्राफी आदि का समावेशन है।
  • यह एक एक्सचेंज प्रणाली है, जो डेटा ब्लॉक्स का उपयोग करके काम करती है। इसमें एक ब्लॉक दूसरे ब्लॉक से जुड़ा होता है। 

कार्यप्रणाली 

  • ब्लॉकचेन में पीयर-टू-पीयर नेटवर्क पर डेटा और लेन-देन को विकेन्द्रीकृत तरीके से खाता बही (लेजर) में संग्रहीत किया जाता है। 
  • इस प्रणाली में, नेटवर्क के विभिन्न नोड्स सर्वसम्मति प्रोटोकॉल के माध्यम से लेन-देन को मान्य और सत्यापित करते हैं। 

ब्लॉक चेन की विशेषताएं

  • स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स: डिजिटल कॉन्ट्रेक्ट्स निर्धारित शर्तों के पूरा हो जाने पर स्वचालित रूप से आगे के कार्यों को करते हैं।
  • डिस्ट्रिब्यूटेड: सभी विश्वसनीय प्रतिभागियों के पास पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए खाता बही की एक प्रति होती है। 
  • इम्युटेबल: इसके तहत दर्ज कोई भी मान्य रिकॉर्ड अपरिवर्तनीय होता है और उसे बदला नहीं जा सकता है। 
  • टाइम-स्टैम्प्ड: यह हर लेनदेन को एक विशिष्ट समय और तारीख के साथ रिकॉर्ड करता है। 
  • सर्वसम्मति: नेटवर्क के सभी प्रतिभागी प्रत्येक रिकॉर्ड की वैधता पर सहमत होते हैं।
  • विश्वसनीय डेटा: यह विकेन्द्रीकृत होता है और कई प्रतिभागियों द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
  • सुरक्षित: सभी रिकॉर्ड एन्क्रिप्टेड होते हैं।

ब्लॉकचेन के प्रकार

  • पब्लिक ब्लॉकचेन: यह एक विकेन्द्रीकृत ओपन सिस्टम में संचालित होता है, जहां नेटवर्क में शामिल होने वाले लोगों की संख्या (पियर या सत्यापनकर्ताओं के रूप में) पर कोई प्रतिबंध नहीं होता है। 
    • उदाहरण के लिए, बिटकॉइन और एथेरियम।
  • कंसोर्टियम ब्लॉकचेन: यह एक ऐसा सिस्टम है, जिसमें कुछ ज्ञात संस्थाओं के समूह के पास ही यह निर्धारित करने का अधिकार होता है कि कौन नेटवर्क में भाग ले सकता है और खाता-बही (लेजर) में क्या दर्ज किया जाएगा। 
  • प्राइवेट ब्लॉकचेन: यह एक ऐसा नेटवर्क है, जिसमें एक ही नियंत्रक इकाई होती है, जो यह तय करती है कि नेटवर्क में कौन सी संस्थाएं भाग लेंगी और खाता-बही (लेजर) में जानकारी जोड़ने के उनके अधिकार क्या होंगे।

ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के संभावित उपयोग

  • क्रिप्टोकरेंसी: क्रिप्टोकरेंसी (जैसे- बिटकॉइन, एथेरियम, लिटकॉइन, रिपल आदि) लेन-देन का रिकॉर्ड रखने और सत्यापित करने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करती हैं। इससे ये लेन-देन सुरक्षित और पारदर्शी होते हैं।
  • आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन: यह आपूर्तिकर्ताओं, विनिर्माताओं, वितरकों और ग्राहकों के बीच अधिक कुशल संचार एवं सहयोग को सक्षम बनाती है, जिससे समग्र संचालन सुचारू एवं विश्वसनीय बनता है। 
  • मतदान प्रणाली: इसमें मतदाता पहचान, पात्रता जांच और मतपत्र ट्रैकिंग जैसी विशेषताएं शामिल हो सकती हैं, जो पहचान सत्यापन को सक्षम बनाती हैं। इससे मतदान प्रक्रिया अधिक सुरक्षित और पारदर्शी हो सकती है।
  • बौद्धिक संपदा संरक्षण: उदाहरण के लिए, कंपनियां ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी का उपयोग अपने ट्रेडमार्क और पेटेंट के प्रबंधन में कर सकती हैं। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि उनकी बौद्धिक संपदा सुरक्षित रहे और बिना उनकी अनुमति के उसका दुरुपयोग न हो।
  • रिकॉर्ड प्रबंधन: ब्लॉकचेन-आधारित स्वास्थ्य देखभाल रिकॉर्ड प्रबंधन, रोगी के डेटा को सुरक्षित और भरोसेमंद स्रोत के रूप में भंडारित करके उसकी सटीकता एवं निजता में सुधार करने में मदद कर सकती है।
  • अन्य उपयोग: इसमें कानून प्रवर्तन, बैंकिंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, क्राउडफंडिंग, आदि शामिल हैं। 

ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी कार्यान्वयन में चुनौतियां 

  • प्रदर्शन: प्रत्येक नोड पर डेटा की प्रतिकृति बनाने से इसके प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। साथ ही, इससे पारंपरिक केंद्रीकृत प्रणालियों की तुलना में प्रदर्शन धीमा हो जाता है। 
  • स्केलेबिलिटी: ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म का जटिल ताना-बाना और कॉन्फ़िगरेशन, प्रोसेसिंग पॉवर, नेटवर्क बैंडविड्थ आदि के लिए आवश्यकता के अनुसार बदलती अनिवार्यताओं जैसे कारकों की वजह से इसकी स्केलेबिलिटी पर नकारात्मक असर पड़ता है। 
  • स्टोरेज: इसके लिए बहुत अधिक स्टोरेज की आवश्यकता होती है, क्योंकि सभी नोड्स पर एक ही डेटा (या  लेन-देन) की कई प्रतियां होती हैं और यह स्थायी रूप से भंडारित रहता है। 
  • ऊर्जा की खपत: ब्लॉकचेन नेटवर्क को प्रायः काफी अधिक कम्प्यूटेशनल पॉवर की आवश्यकता होती है, जिसके परिणामस्वरूप ऊर्जा की खपत काफी अधिक होती है। 
  • इंटरऑपरेबिलिटी: विभिन्न ब्लॉकचेन प्लेटफार्मों के बीच इंटरऑपरेबिलिटी एक चुनौती हो सकती है, विशेष रूप से ऐसी प्रणाली में जहां कई नेटवर्क एक साथ मौजूद हों। 
  • कानूनी: सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 43A में ब्लॉकचेन के संदर्भ में गोपनीयता और सुरक्षा के लिए आवश्यक नियमों का अभाव है। 
    • स्थानीयकरण से जुड़ी अनिवार्यताएं: पब्लिक ब्लॉकचेन सभी नोड्स पर स्वचालित रूप से डेटा की प्रतियां स्टोर करता है। इससे स्थानीयकरण से जुड़ी अनिवार्ताओं को पूरा करने में समस्या पैदा हो सकती है।

ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए अन्य कदम

भारत में 

  • MeitY ने ब्लॉकचेन पर राष्ट्रीय रणनीति जारी की है।
  • ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की जा रही है।
  • फ्यूचर स्किल्स प्राइम (PRIME): इसे नैसकॉम और MeitY द्वारा ब्लॉकचेन के साथ-साथ अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों में अपस्किलिंग और रीस्किलिंग के लिए शुरू किया गया है। 

वैश्विक स्तर पर 

  • विश्व आर्थिक मंच के प्रेसिडियो सिद्धांत: यह विश्व आर्थिक मंच की वैश्विक ब्लॉकचेन परिषद द्वारा जारी ब्लॉकचेन अधिकार विधेयक है। 
  • IBM का ब्लॉकचेन वर्ल्ड वायर: यह सीमा-पार लेनदेन को सुगम बनाने के लिए ब्लॉकचेन का उपयोग करने वाला एक ग्लोबल पेमेंट नेटवर्क है। 
  • ग्लोबल ब्लॉकचेन बिजनेस काउंसिल (GBBC): यह एक उद्योग संघ है, जो विभिन्न क्षेत्रों में ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देता है। 

निष्कर्ष

भारत में ब्लॉकचेन के उपयोग को बढ़ाने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इस दृष्टिकोण में कौशल विकास, नियामक स्पष्टता, व्यावहारिक कार्यान्वयन, और मजबूत सुरक्षा उपायों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, ताकि इसे मजबूत सुरक्षा उपायों के साथ व्यावहारिक रूप से लागू किया जा सके। इन महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करके, भारत ब्लॉकचेन नवाचार और इस प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए एक अनुकूल व्यवस्था बना सकता है, जिससे वह इस क्रांतिकारी तकनीक में वैश्विक रूप अग्रणी बन सके। 

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