भारत ने इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) के तहत विशेष समझौतों पर हस्ताक्षर किए (India Signed first-of-its-kind Agreements Under IPEF)
हाल ही में, भारत ने IPEF के तहत क्लीन इकोनॉमी, फेयर इकोनॉमी और IPEF ओवर-रीचिंग व्यवस्था पर केंद्रित अपनी तरह के पहले समझौतों पर हस्ताक्षर किए और उनका आदान-प्रदान किया।
- IPEF व्यवस्था के निम्नलिखित चार पिलर्स हैं (इन्फोग्राफिक देखें):
IPEF क्लीन इकोनॉमी समझौता (पिलर-3)

- स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों का विकास और उपयोग: इसका उद्देश्य IPEF भागीदारों के बीच ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु लचीलेपन और उत्सर्जन में कमी में तेजी लाना है।
- निवेश और क्षमता निर्माण: यह उद्योगों, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए है। साथ ही, इसका उद्देश्य IPEF कैटेलिटिक कैपिटल फंड, IPEF एक्सेलेरेटर जैसे सहयोगी कार्यक्रमों के माध्यम से भारतीय कंपनियों को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में एकीकृत करना भी है।
IPEF फेयर इकोनॉमी समझौता (पिलर-4)
- पारदर्शी और पूर्वानुमानित व्यापार एवं निवेश व्यवस्था: इसके तहत भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने, कर व्यवस्था में पारदर्शिता लाने, घरेलू संसाधन जुटाने तथा कर प्रशासन में सुधार लाने हेतु पहलों को समर्थन दिया जाएगा।
- सूचनाओं को साझा करने को बढ़ावा, एसेट रिकवरी में मदद तथा सीमा-पार जांच और अभियोजन प्रक्रिया को मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा।
ओवर-रीचिंग IPEF समझौता
- उद्देश्य: IPEF से जुड़े अलग-अलग समझौतों पर मंत्रिस्तरीय लेवल पर उच्च-स्तरीय राजनीतिक निगरानी फ्रेमवर्क स्थापित करना है।
- महत्त्व: यह एक औपचारिक तंत्र के जरिए IPEF समूह को पहचान दिलाता है और IPEF साझेदारी को दीर्घकालिक बनाता है।
- साथ ही, इसमें भारत की आर्थिक उत्पादक क्षमता को बढ़ाने और उसे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं से जोड़ने की भी क्षमता है आदि।
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- IPEF
- Indo-Pacific Economic Framework (IPEF)
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पैसिफिक आइलैंड्स फोरम (Pacific Islands Forum: PIF)
पैसिफिक आइलैंड्स फोरम (PIF) ने ऑस्ट्रेलिया द्वारा वित्त-पोषित पैसिफिक पुलिसिंग इनिशिएटिव (PPI) का समर्थन किया
- पैसिफिक पुलिसिंग इनिशिएटिव (PPI) को प्रशांत देशों की कानून प्रवर्तन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि वे कानून और व्यवस्था संबंधी चुनौतियों एवं आंतरिक सुरक्षा संबंधी खतरों से निपटने के लिए बेहतर ढंग से तैयार हैं।
- PPI पैसिफिक आइलैंड्स फोरम की “2050 स्ट्रेटेजी फॉर ब्लू पैसिफिक कॉन्टिनेंट” के अनुरूप है।
- विश्लेषक इसे प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा पर चीन के प्रभाव को सीमित करने के कदम के रूप में देखते हैं।
पैसिफिक आइलैंड्स फोरम (PIF) के बारे में

- यह क्षेत्र का प्रमुख राजनीतिक और आर्थिक नीति संगठन है। यह शांति, सद्भाव और समृद्धि के पैसिफिक विज़न की दिशा में काम करता है।
- इसे 1971 में स्थापित किया गया था। PIF में प्रशांत क्षेत्र के 18 देश शामिल हैं। (इन्फोग्राफिक देखिये)
प्रशांत क्षेत्र के देशों के समक्ष मौजूद मुद्दे
- जलवायु परिवर्तन: PIF के सदस्य समुद्र के जलस्तर में वृद्धि, महासागर के गर्म होने, अम्लीकरण आदि के कारण सबसे अधिक प्रभावित हैं।
- भू-राजनीतिक शक्ति संघर्ष: इस क्षेत्र पर प्रभाव बनाए रखने के लिए चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच संघर्ष जारी है।
- मादक पदार्थों की अंतर्राष्ट्रीय तस्करी: प्रशांत द्वीप समूहों का एशिया और अमेरिका महाद्वीपों से मादक पदार्थों की अंतर्राष्ट्रीय तस्करी के मार्गों पर शरण स्थल के रूप में उपयोग किया जाता है।
प्रशांत क्षेत्र के साथ भारत का जुड़ाव
- महत्त्व: प्रशांत द्वीप समूह भारत की ऊर्जा सुरक्षा और समुद्री हितों के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन द्वीप समूहों के साथ संलग्नता स्वतंत्र, खुला और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने की व्यापक रणनीति के अनुरूप है।
- शुरू की गई पहलें: इंडो-पैसिफिक ओशन्स इनिशिएटिव (2019), फोरम फॉर इंडिया-पैसिफिक आइलैंड्स को-ऑपरेशन (2014) आदि।
- Tags :
- Pacific Islands forum
- Pacific Policing Initiative (PPI)
संयुक्त राष्ट्र ने भविष्य के लिए संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन में “पैक्ट फॉर द फ्यूचर” को अपनाया (UN Adopts Pact for the Future at the UN Summit for the Future)
इस पैक्ट के साथ-साथ इसके अनुलग्नकों (Annexes) “ग्लोबल डिजिटल कॉम्पैक्ट” और “ए डिक्लेरेशन ऑन फ्यूचर जनरेशन्स” को भी अपनाया गया है। यह पैक्ट और साथ ही ये अनुलग्नक 21वीं सदी की चुनौतियों (जैसे जलवायु परिवर्तन, संघर्ष, मानवाधिकार आदि) का समाधान करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
- इस पैक्ट को सदस्य देशों ने सर्वसम्मति से अपनाया है। हालांकि, इसमें रूस के नेतृत्व में सात देशों का एक छोटा समूह शामिल नहीं है।
पैक्ट के मुख्य प्रावधान निम्नलिखित हैं:

- संधारणीय विकास और विकास के लिए वित्त-पोषण
- इसमें विकासशील देशों को अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में अधिक अधिकार देना शामिल है;
- अत्यधिक निर्धन लोगों की सुरक्षा के लिए वैश्विक वित्तीय सुरक्षा जाल को मजबूत किया जाना चाहिए।
- अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा
- परमाणु हथियारों को पूरी तरह से समाप्त करने के लक्ष्य के साथ परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए पुनः प्रतिबद्धता प्रकट की गई है।
- घातक स्वचालित हथियार जैसी नई तकनीकों के शस्त्रीकरण और दुरुपयोग से बचना चाहिए।
- विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार और डिजिटल सहयोग
- मानवाधिकारों की रक्षा करते हुए जिम्मेदार और नैतिक तरीके से वैज्ञानिक अनुसंधान किए जाने चाहिए।
- इसमें स्थानीय और पारंपरिक ज्ञान की रक्षा करना, महिलाओं को सशक्त बनाना तथा उभरती प्रौद्योगिकियों से उत्पन्न होने वाले लैंगिक-जोखिमों को दूर करना शामिल है।
- युवा और भावी पीढ़ी: निर्णय लेने के दौरान भावी पीढ़ियों को भी ध्यान में रखना चाहिए।
- वैश्विक गवर्नेंस में बदलाव
- बाह्य अंतरिक्ष के गवर्नेंस संबंधी अंतर्राष्ट्रीय फ्रेमवर्क्स को मजबूत करना चाहिए। साथ ही, बाह्य अंतरिक्ष में हथियारों की होड़ को रोकना चाहिए।
- अफ्रीका के अधिक प्रतिनिधित्व को प्राथमिकता देते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की प्रभावशीलता और प्रतिनिधित्व में सुधार करना चाहिए।
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- Global Digital Compact
- UN Summit for the Future
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भारत और खाड़ी सहयोग परिषद ने संयुक्त गतिविधियों के लिए कार्य योजना अपनाई (India, GCC adopt Action Plan for Joint Activities)
हाल ही में आयोजित पहली भारत-खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) संयुक्त मंत्रिस्तरीय बैठक में रणनीतिक वार्ता के लिए संयुक्त कार्य योजना 2024-2028 को अपनाया गया।
मंत्रिस्तरीय बैठक के मुख्य निष्कर्षों पर एक नज़र

- संयुक्त कार्य योजना 2024-2028: स्वास्थ्य, व्यापार, सुरक्षा, कृषि एवं खाद्य सुरक्षा, परिवहन, ऊर्जा, संस्कृति आदि सहित विविध क्षेत्रकों में अलग-अलग संयुक्त गतिविधियों का संचालन किया जाएगा।
- बाद में आपसी सहमति के आधार पर संयुक्त कार्य योजना में सहयोग के अन्य क्षेत्रों को शामिल किया जा सकता है।
- 3P फ्रेमवर्क: भारत ने भारत और GCC के बीच साझेदारी बढ़ाने के लिए 3Ps (पीपल्स, प्रॉस्पेरिटी और प्रोग्रेस) फ्रेमवर्क की पुष्टि की।
- गाजा में मानवीय संकट: विदेश मंत्री ने कहा कि मानवीय संकट के मामले में भारत का रुख सैद्धांतिक और तर्कयुक्त रहा है तथा किसी भी प्रतिक्रिया में मानवीय कानून के सिद्धांतों को हमेशा ध्यान में रखा गया है।
भारत-GCC संबंध
- राजनीतिक: पहला भारत-GCC राजनीतिक संवाद 2003 में आयोजित किया गया था। वर्तमान में, भारत की सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और ओमान के साथ रणनीतिक साझेदारी है।
- व्यापार और निवेश: वित्त वर्ष 2023-24 में भारत व GCC के सदस्य देशों के बीच 161.59 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था।
- ज्ञातव्य है कि संयुक्त अरब अमीरात भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का 7वां सबसे बड़ा स्रोत है।
- प्रवासी: लगभग 8.9 मिलियन भारतीय प्रवासी GCC देशों में रहते हैं। यह कुल अनिवासी भारतीयों (NRIs) का 66% है।
- 2020-21 में भारत को कुल विप्रेषण (Remittance) का लगभग 30% हिस्सा GCC सदस्य देशों से प्राप्त हुआ था।
- ऊर्जा: GCC देश भारत के तेल आयात में 35% और गैस आयात में 70% का योगदान करते हैं।
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- India–Gulf Cooperation Council (GCC)
- Joint Action Plan 2024-2028
- 3P Framework
भारत-ब्रुनेई दारुस्सलाम ने द्विपक्षीय संबंधों को ‘विस्तृत साझेदारी’ तक बढ़ाया (India-Brunei Darussalam Elevate Bilateral Ties to ‘Enhanced Partnership’)
‘विस्तृत साझेदारी’ (Enhanced Partnership) भारत-ब्रुनेई संबंधों में एक नए चरण का प्रतीक है। इसमें आपसी सहयोग और साझा रणनीतिक हितों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- यह किसी भारतीय प्रधान मंत्री द्वारा ब्रुनेई की पहली द्विपक्षीय यात्रा थी।
- दोनों देशों ने 1984 में राजनयिक संबंध स्थापित किए थे।
यात्रा के मुख्य परिणामों पर एक नज़र

- संयुक्त अभ्यासों, प्रशिक्षण कार्यक्रमों आदि के माध्यम से रक्षा सहयोग का विस्तार करने की बात स्वीकार की गई।
- दक्षिण-पूर्व एशिया में विस्तारवाद की बजाय विकास की नीति को आगे बढ़ाने के महत्त्व पर सहमति व्यक्त की गई।
- विशेषज्ञ इसे चीनी प्रभाव को प्रतिसंतुलित करने के कदम के रूप में देखते हैं।
- समकालीन वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने वाले बहुपक्षवाद को बढ़ावा देने के लिए मिलकर कार्य करने पर सहमति प्रकट की गई।
- उपग्रह और प्रक्षेपण यानों के लिए टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और टेलीकमांड स्टेशन के संचालन में सहयोग किया जाएगा।
- प्रौद्योगिकी, वित्त, विनिर्माण और प्रसंस्करण सहित संबंधित क्षमताओं का लाभ उठाया जाएगा।
भारत के लिए ब्रुनेई दारुस्सलाम का सामरिक महत्त्व
- सामरिक महत्त्व: यह भारत की एक्ट ईस्ट नीति और इंडो-पैसिफिक विज़न में महत्वपूर्ण भागीदार है।
- ब्रुनेई आसियान का सदस्य भी है।
- भारतीय प्रवासी: ब्रुनेई में लगभग 14,000 भारतीय रह रहे हैं।
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- Enhanced Partnership
- Telemetry, Tracking, and Telecommand Station
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भारत-डेनमार्क हरित रणनीतिक साझेदारी (India-Denmark Green Strategic Partnership)
हाल ही में, भारत-डेनमार्क के समुद्री संबंधों को मजबूत करने के लिए हरित रणनीतिक साझेदारी के तहत दोनों देशों ने समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए हैं।
हरित रणनीतिक साझेदारी (GSP) के बारे में:
- इस पर 2020 में हस्ताक्षर किए गए थे। यह आर्थिक संबंधों और हरित विकास को बढ़ावा देती है, रोजगार सृजित करती है और वैश्विक चुनौतियों से निपटने में सहयोग को मजबूत करती है।
- GSP का फोकस: इसका फोकस पेरिस समझौते और संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन पर केंद्रित है।
- GSP को आगे बढ़ाने के लिए हरित रणनीतिक साझेदारी पर संयुक्त कार्य योजना (2021-2026) भी तैयार की गई है।
- GSP के अंतर्गत गुणवत्तापूर्ण शिपिंग, पोर्ट स्टेट कंट्रोल पर सहयोग, समुद्री प्रशिक्षण और शिक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रकों में सहयोग का विस्तार हुआ है।
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- Green Strategic Partnership
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G4 राष्ट्र (G4 Nations)
भारत के विदेश मंत्री ने न्यूयॉर्क में G4 देशों के विदेश मंत्रियों से भेंट की।
- समूह ने टेक्स्ट-आधारित वार्ताओं के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में तत्काल सुधार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि की।
G4 नेशन के बारे में
- इसमें ब्राज़ील, जर्मनी, भारत और जापान शामिल हैं।
- G4 राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीटों के लिए एक-दूसरे की दावेदारी का समर्थन करते हैं।
- समूह ने प्रस्ताव प्रस्तुत किया कि सुरक्षा परिषद की सदस्य संख्या 15 से बढ़ाकर 25-26 कर दी जाए, जिसमें 6 स्थायी और 4 या 5 अस्थायी नए सदस्य शामिल किए जाने चाहिए।
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भारत की सैन्य कूटनीति (India's Military Diplomacy)
हालिया महीनों में भारत की तीनों सेनाओं के विश्व के अलग-अलग देशों की सेनाओं के साथ लगातार सैन्य अभ्यास हो रहे हैं या होने वाले हैं। यह भारत की सैन्य कूटनीति में तेजी से हो रही प्रगति को दर्शाता है।
सैन्य कूटनीति क्या होती है?
- इसे ‘रक्षा कूटनीति’ के नाम से भी जाना जाता है। इसका तात्पर्य रक्षा संसाधनों और क्षमताओं के शांतिपूर्ण उपयोग के जरिए विदेश नीति के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने से है।
- भारत की सैन्य कूटनीति में संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मिशनों में योगदान देना, मानवीय सहायता प्रदान करना, संयुक्त युद्ध अभ्यास आयोजित करना आदि शामिल हैं।
सैन्य कूटनीति का क्या महत्त्व है?
- विश्वास और आत्मविश्वास का निर्माण: नियमित तौर पर वार्ता और सैन्य संबंधी आदान-प्रदान से अविश्वास एवं संघर्ष की संभावना को कम करने में मदद मिल सकती है।
- गठबंधनों और साझेदारियों को मजबूत करना: रक्षा सहयोग संबंधी समझौते, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, संयुक्त सैन्य अभ्यास आदि के परिणामस्वरूप क्षेत्रीय सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने में काफी सहयोग मिल सकता है। उदाहरण के लिए, क्वाड सुरक्षा वार्ता।
- रक्षा आधुनिकीकरण और क्षमताएं: यह प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, ज्ञान साझाकरण और प्रशिक्षण के माध्यम से संभव हो सकता है। उदाहरण के लिए, भारत और रूस द्वारा ब्रह्मोस मिसाइलों का संयुक्त रूप से विकास करना।
- अन्य: भू-राजनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में सामरिक संतुलन सुनिश्चित करने में; मानवीय सहायता के माध्यम से सॉफ्ट पावर को बढ़ावा देने में आदि।
भारत की सैन्य कूटनीति के समक्ष निम्नलिखित चुनौतियां मौजूद हैं:
- संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस जैसी प्रमुख वैश्विक शक्तियों के साथ रणनीतिक साझेदारी को संतुलित करना,
- भारत को लेकर दक्षिण एशियाई देशों के बीच 'बिग ब्रदर' की धारणा, और
- घरेलू विनिर्माण क्षमताओं के संदर्भ में क्षमता संबंधी कमी आदि।
सैन्य अभ्यासों, क्षमता-निर्माण और शांति अभियानों के माध्यम से भारत की सक्रिय भागीदारी सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने तथा हिंद-प्रशांत व उससे परे भावी सुरक्षा संरचना को आकार देने के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है।
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हालिया सैन्य अभ्यास (Recent Military Exercises)
- वरुण नौ-सैन्य अभ्यास (Exercise Varuna): भारतीय नौसेना का P8I पोसिडॉन विमान 2024 में होने वाले ‘वरुण नौ-सैन्य अभ्यास’ में भाग लेने के लिए यूरोप में पहली बार तैनात किया गया है।
- यह भारत और फ्रांस के बीच आयोजित होने वाला एक द्विपक्षीय नौ सैन्य अभ्यास है। 2024 में यह भूमध्य सागर में आयोजित किया जाएगा।
- अभ्यास ईस्टर्न ब्रिज VII: भारतीय वायु सेना (IAF) और रॉयल एयर फोर्स ऑफ ओमान (RAFO) के बीच अभ्यास ईस्टर्न ब्रिज का 7वां संस्करण संपन्न हुआ।
- इसका आयोजन मसीरा (ओमान) में किया गया था।
- अल नजाह-V अभ्यास: भारतीय थल सेना की एक टुकड़ी भारत-ओमान संयुक्त सैन्य अभ्यास “अल नजाह” के 5वें संस्करण में भाग ले रही है। अल-नजाह-V ओमान के सलालाह के रबकूट प्रशिक्षण क्षेत्र में आयोजित हो रहा है।
- युद्ध अभ्यास: यह भारत-संयुक्त राज्य अमेरिका द्विपक्षीय थल सेना अभ्यास है।
- तरंग शक्ति: यह भारत, ऑस्ट्रेलिया, ग्रीस, श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात, जापान, सिंगापुर, संयुक्त राज्य अमेरिका आदि देशों की वायु सेनाओं के मध्य होने वाला बहुपक्षीय वायु सेना अभ्यास है।
- मालाबार नौ सैन्य अभ्यास: यह अक्टूबर माह में विशाखापत्तनम तट पर भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच आयोजित किया जाएगा।
- इंद्र: भारतीय और रूसी थल सेना के बीच होने वाला द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास है।
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- Yudh Abhyas
- Military Exercises
- Exercise Varuna
ऑपरेशन सद्भाव (Operation Sadbhav)
भारत ने लाओस, म्यांमार और वियतनाम को मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (HADR) प्रदान करने के लिए ऑपरेशन सद्भाव लॉन्च किया है।
- यह ऑपरेशन टाइफून यागी के कारण आई आपदाओं से बचाव के लिए शुरू किया गया है।
- ऑपरेशन सद्भाव आसियान (ASEAN) क्षेत्र में HADR में योगदान करने के भारत के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है। यह ऑपरेशन भारत की 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' के अनुरूप है।
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- Humanitarian Assistance and Disaster Rrelief (HADR)
- Operation Sadbhav
नॉर्दर्न यूनाइटेड-2024 (Northern United-2024)
हाल ही में, चीन और रूस ने संयुक्त नौसेना व वायु सेना अभ्यास 'नॉर्दर्न यूनाइटेड-2024' की घोषणा की है। इसे जापान सागर एवं ओखोटस्क सागर में आयोजित किया जाएगा।
नॉर्दर्न यूनाइटेड-2024 के बारे में
- इसका उद्देश्य चीन और रूस के बीच सामरिक सहयोग में सुधार करना है। साथ ही, “सुरक्षा संबंधी खतरों से संयुक्त रूप से निपटने की दोनों देशों की क्षमताओं को मजबूत करना” है।
जापान सागर और ओखोटस्क सागर के बारे में
- जापान सागर: यह पश्चिमी प्रशांत महासागर का सीमांत सागर है। यह पूर्व में जापान और सखालिन द्वीप तथा पश्चिम में रूस एवं कोरिया से घिरा हुआ है।
- ओखोटस्क सागर: यह पूर्व व दक्षिण-पूर्व में कामचटका प्रायद्वीप और कुरील द्वीप समूह, दक्षिण में जापान के होक्काइडो द्वीप के उत्तरी तट तथा दक्षिण-पश्चिम में सखालिन द्वीप से घिरा हुआ है।

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- Northern United-2024
- Sea of Okhotsk
एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस (Axis of Resistance)
एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस के बारे में
- यह ईरान के नेतृत्व में स्वायत्त उग्रवादी इस्लामी समूहों का एक नेटवर्क है। इनका इतिहास 1979 की ईरानी क्रांति से जुड़ा हुआ है।
- इस नेटवर्क में निम्नलिखित शामिल हैं:
- हिज़्बुल्लाह (लेबनानी शिया उग्रवादी संगठन);
- हमास (फिलिस्तीनी सुन्नी उग्रवादी समूह);
- फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद;
- हूती (यमन का उग्रवादी समूह); आदि।
- हिजबुल्लाह का अर्थ है 'ईश्वर का संगठन’। इसकी स्थापना 1980 के दशक के प्रारंभ में लेबनान में की गई थी। यह “एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस” का सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली सदस्य है।
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- Axis of Resistance
- Iranian Revolution
फास्ट ट्रैक इमिग्रेशन- ट्रस्टेड ट्रैवलर्स प्रोग्राम {‘Fast Track Immigration - Trusted Travellers’ Programme (FTI-TTP)}
FTI-TTP की पहली सूची में 18,000 से अधिक व्यक्ति पंजीकृत थे।
- जून 2024 में इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, नई दिल्ली में FTI-TTP का उद्घाटन किया गया था।
FTI-TTP के बारे में
- नोडल मंत्रालय: गृह मंत्रालय
- उद्देश्य: इलेक्ट्रॉनिक गेट्स या स्वचालित बॉर्डर गेट्स के माध्यम से चुनिंदा प्रमुख हवाई अड्डों पर पात्र व्यक्तियों के लिए इमिग्रेशन मंजूरी प्रक्रिया में तेजी लाना।
- दो चरण: पहले चरण में, भारतीय नागरिकों और ओवरसीज सिटीजन ऑफ़ इंडिया (OCI) कार्डधारकों को सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। दूसरे चरण में, विदेशी यात्रियों को यह सुविधा दी जाएगी।
- कवर किए गए हवाई अड्डे: यह सुविधा देश के 21 प्रमुख हवाई अड्डों पर शुरू की जाएगी।
- नोडल एजेंसी: इमिग्रेशन ब्यूरो।
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- Immigration
- Fast Track Immigration - Trusted Travellers' Programme