भारत का अनुसंधान एवं विकास इकोसिस्टम (India’s R&D Ecosystem) | Current Affairs | Vision IAS
Monthly Magazine Logo

Table of Content

    भारत का अनुसंधान एवं विकास इकोसिस्टम (India’s R&D Ecosystem)

    Posted 01 Jan 2025

    Updated 28 Nov 2025

    1 min read

    सुर्ख़ियों में क्यों? 

    हाल ही में, केंद्र सरकार ने तीन प्रमुख योजनाओं को एकीकृत करते हुए 'विज्ञान धारा' नामक योजना को मंजूरी दी है। इसका उद्देश्य भारत के अनुसंधान और विकास (R&D) इकोसिस्टम को सशक्त बनाना है। 

    विज्ञान धारा योजना के बारे में

    • नोडल मंत्रालय: विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय। 
    • मुख्य उद्देश्य: देश में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्षमता निर्माण के साथ-साथ अनुसंधान, नवाचार एवं प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा देना।
    • योजना का प्रकार: केंद्रीय क्षेत्रक की योजना
    • क्रियान्वयन अवधि: 2021-22 से 2025-26 तक (15वें वित्त आयोग की अवधि)
    • संभावित लाभ:
      • विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्रक को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण मानव संसाधन का निर्माण होगा।
      • देश के अनुसंधान आधार का विस्तार कर फुल-टाइम इक्विवेलेंट (FTE) शोधकर्ताओं की संख्या में वृद्धि होगी।
      • लक्षित प्रयासों के माध्यम से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाकर लैंगिक समानता सुनिश्चित हो सकेगी।

    भारत के अनुसंधान एवं विकास इकोसिस्टम के बारे में 

    अनुसंधान और विकास संबंधी गतिविधियों को किसी भी व्यवस्थित और रचनात्मक काम के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसका उद्देश्य ज्ञान के भंडार को बढ़ाना और इस ज्ञान के आधार पर नई चीजों का अविष्कार करना होता है।

    • 2020 में, भारत वैज्ञानिक रिसर्च पेपर के प्रकाशन और स्कॉलर आउटपुट की संख्या के मामले में दुनिया भर में तीसरे स्थान पर था।
    • 2022 के डेटा के अनुसार, दायर किए गए पेटेंट की संख्या के मामले में भारत छठे स्थान पर है।
    • भारत ने वैश्विक नवाचार सूचकांक (GII) 2024 में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए 133 देशों में से 39वां स्थान हासिल किया है।

    भारत के अनुसंधान एवं विकास इकोसिस्टम के समक्ष मौजूद चुनौतियां:

    • कम बजट: भारत अनुसंधान एवं विकास के लिए अपनी GDP के प्रतिशत (0.6-0.7%) के मामले में दुनिया में सबसे कम खर्च करने वाले देशों में शामिल है।
      • यह अमेरिका (2.8), चीन (2.1), इजरायल (4.3) और कोरिया (4.2) जैसे प्रमुख देशों से काफी कम है।
    • बड़े पैमाने पर प्रतिभा पलायन: भारत के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की एक बड़ी संख्या बेहतर अवसरों की तलाश में विदेश पलायन कर जाती है, जिसके कारण कुशल मानव संसाधन की कमी हो जाती है।
      • 2020 में, भारत में प्रति मिलियन जनसंख्या पर शोधकर्ताओं की संख्या केवल 260 थी, जबकि चीन में यह 1,602 थी (PRS द्वारा बजट 2024-25 का विश्लेषण के अनुसार)। 
    • समावेशिता का अभाव: सामाजिक-सांस्कृतिक मानदंड और बाधाएं महिलाओं सहित समाज के कई वर्गों को अनुसंधान एवं विकास संबंधी गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेने से रोकती हैं, जिससे प्रतिभावान मानव संसाधन की कमी होती जा रही है।
    • अनुसंधान को सफल प्रौद्योगिकियों में परिवर्तित करने में मौजूद चुनौतियां: उद्योग-अकादमिक जगत के मध्य अपर्याप्त सहयोग जैसे कारकों के कारण उपयोग-केंद्रित अनुसंधान एवं विकास की तुलना में बुनियादी अनुसंधान पर कम ध्यान दिया जाता है।
    • भारत की शिक्षा प्रणाली में मौजूद समस्याएं:
      • उच्चतर शिक्षण में छात्रों का कम नामांकन: उच्चतर शिक्षा पर किए गए अखिल भारतीय सर्वेक्षण के अनुसार, 2021-22 में Ph.D. में कुल नामांकन 2.12 लाख था।
      • अनुसंधान के अवसर प्रदान करने वाले संस्थानों की कमी: केवल 2.7% कॉलेज में ही Ph.D. प्रोग्राम उपलब्ध हैं और 35.04% कॉलेज स्नातकोत्तर स्तर के प्रोग्राम संचालित करते हैं।
      • शैक्षिक संस्थानों में अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं की पर्याप्त निगरानी या मूल्यांकन का अभाव होता  है। 

    भारत में अनुसंधान एवं विकास इकोसिस्टम में सुधार हेतु आगे की राह 

    इसके लिए वित्त-पोषण, अवसंरचना, नीतियों और सहयोग जैसे विभिन्न पहलुओं पर विचार करते हुए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। 

    • वित्त 
      • वित्तीय सहायता में वृद्धि: एक राष्ट्र के रूप में भारत को 2030 तक अनुसंधान एवं विकास में सकल घरेलू उत्पाद का कम-से-कम 2% निवेश करना चाहिए। 
      • निजी क्षेत्रक द्वारा निवेश: इसके लिए उद्योग और सरकार द्वारा संयुक्त निवेश के माध्यम से PPP आधारित इन्क्यूबेटर्स की स्थापना करना, कर में रियायत जैसे प्रोत्साहनों का प्रावधान, पेटेंट संबंधी प्रोत्साहन, आदि कार्य किए जाने चाहिए। 
      • अवसंरचना और सहयोग: अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं और अनुसंधान केंद्रों की स्थापना अनुसंधान संबंधी अवसंरचना को आगे बढ़ाने और प्रगति को तीव्र करने के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है।
    • नवाचार
      • बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) संरक्षण: यद्यपि भारत ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1,00,000 से अधिक पेटेंट प्रदान किए, फिर भी कई पेटेंट का उपयोग कम ही हुआ है।
        • यह अनुसंधान संस्थानों, उद्योग संघों और सरकारी एजेंसियों के बीच सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता को उजागर करता है।
      • विश्वविद्यालयों में अनुसंधान एवं विकास की संस्कृति को बढ़ावा देना: इसमें विश्वविद्यालयों को वित्तीय और निर्णय लेने की स्वायत्तता प्रदान करना; वैश्विक/ क्षेत्रीय चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए अनुसंधान के प्रमुख क्षेत्रकों को बढ़ावा देना; आदि शामिल है।
        • विश्वविद्यालयों में अनुसंधान एवं विकास समिति/ प्रकोष्ठ की स्थापना की जा सकती है; विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों में विश्वविद्यालयों/ संस्थानों को विशेष दर्जा दिया जा सकता है; आदि।
    • अनुसंधान को प्रौद्योगिकियों में रूपांतरित करने के लिए सहयोग: उद्योग जगत, अनुसंधान संगठनों, संस्थानों, संघों, गैर-सरकारी संगठनों, सरकारी निकायों सहित कई हितधारकों के साथ रणनीतिक साझेदारी और नवाचार क्लस्टर विकसित किए जा सकते हैं। 
    • शिक्षा और कौशल विकास में निवेश: प्रमुख शैक्षिक संस्थानों में बुनियादी और एप्लाइड रिसर्च के लिए सरकारी निधि का व्यय बढ़ाया जाना चाहिए। वर्तमान में, केवल 10% निधि ही इस दिशा में आवंटित की जाती है।
      • राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 का प्रभावी रूप से क्रियान्वयन किया जाना चाहिए। इसका उद्देश्य उच्चतर शिक्षा संस्थानों में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने तथा उसे उत्प्रेरित करने के लिए एक अनुकूल इकोसिस्टम  बनाना है। इससे समग्र अनुसंधान एवं विकास इकोसिस्टम में भी सुधार होगा।
    • Tags :
    • Vigyan Dhara
    • Vigyan Dhara Scheme
    • India's R&D Ecosystem
    Download Current Article
    Subscribe for Premium Features