सैन्य क्षेत्र में AI के जिम्मेदारीपूर्वक उपयोग हेतु ब्लूप्रिंट (Blueprint for Action on Responsible AI in Military) | Current Affairs | Vision IAS
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संक्षिप्त समाचार

01 Jan 2025
4 min

रिस्पॉन्सिबल AI इन मिलिट्री डोमेन (REAIM) शिखर सम्मेलन, 2024 दक्षिण कोरिया के सियोल में आयोजित किया गया था। इसमें मिलिट्री डोमेन यानी सैन्य क्षेत्र में AI के जिम्मेदारीपूर्वक उपयोग को नियंत्रित करने के लिए कानूनी रूप से गैर-बाध्यकारी एक "ब्लूप्रिंट फॉर एक्शन" की घोषणा की गई है। 

  • REAIM को 2023 के इसके प्रथम शिखर सम्मेलन के साथ शुरू किया गया था। यह सैन्य क्षेत्र में AI के जिम्मेदारीपूर्वक उपयोग को सुनिश्चित करने के तरीकों पर सभी हितधारकों के साथ वैश्विक चर्चा का मंच है। 

'ब्लूप्रिंट फॉर एक्शन' की मुख्य विशेषताओं पर एक नज़र

  • अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा पर AI का प्रभाव: सैन्य क्षेत्र में AI का इस तरह से विकास और उसे इस तरीके से तैनात व उपयोग किया जाना चाहिए, जिससे अंतर्राष्ट्रीय शांति, सुरक्षा एवं स्थिरता बनी रहे तथा उसमें कोई कमी न आए। 
    • इस तथ्य पर ध्यान देना होगा कि AI के उपयोग से प्रत्याशित और अप्रत्याशित दोनों प्रकार के जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं। इनमें हथियारों की होड़, गलत अनुमान, तनाव में वृद्धि और संघर्ष का बढ़ जाना शामिल है। 
    • सभी कार्यों (विशेषकर उन कार्यों में जो परमाणु हथियारों के उपयोग के लिए संप्रभु निर्णय से संबंधित हैं) में मानव नियंत्रण और भागीदारी होनी चाहिए। इस संदर्भ में, यह लक्ष्य भी है कि एक ऐसा विश्व बने, जहां परमाणु हथियारों का अस्तित्व ही न हो।
  • सैन्य क्षेत्र में AI का जिम्मेदारीपूर्वक उपयोग: AI का उपयोग नैतिक और मानव-केंद्रित होना चाहिए। साथ ही, इसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार लागू किया जाना चाहिए। इसके अलावा, कठोर परीक्षण और मूल्यांकन (T&E) प्रोटोकॉल पर संवाद को भी बढ़ावा देना चाहिए। 
  • सैन्य क्षेत्र में AI का भावी गवर्नेंस: इसके गवर्नेंस पर की जाने वाली चर्चा खुली और समावेशी तरीके से होनी चाहिए, ताकि सभी दृष्टिकोणों का पूरा ध्यान रखा जा सके। साथ ही, AI के जिम्मेदारीपूर्वक विकास और तैनाती के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए क्षमता निर्माण पर ध्यान देना होगा, ताकि ज्ञान के अंतर को कम किया जा सके। 

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने ऑपरेशन चक्र III (चरण-3) के माध्यम से एक वर्चुअल संपत्ति और बुलियन-समर्थित साइबर अपराध नेटवर्क को सफलतापूर्वक ध्वस्त कर दिया है। 

  • यह ऑपरेशन संयुक्त राज्य अमेरिका के संघीय जांच ब्यूरो (FBI) के साथ समन्वय में किया गया था।

ऑपरेशन चक्र के बारे में 

  • इसे 2022 में CBI द्वारा शुरू किया गया था। यह इंटरपोल द्वारा सहायता प्राप्त एक वैश्विक कार्रवाई है।  इसका उद्देश्य संगठित साइबर सक्षम वित्तीय अपराध नेटवर्क से निपटना और उसे नष्ट करना है। 
  • 2023 में इसका चरण-2, जबकि 2022 में चरण-1 शुरू किया गया था।

इस अतिरिक्त पनडुब्बी के साथ, भारतीय नौसेना के पास अब दो SSBN (शिप, सबमर्सीबल, बैलिस्टिक और न्यूक्लियर) पनडुब्बियां (INS अरिहंत एवं INS अरिघात) हो गई हैं।

भारत की परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियां

  • अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बियों का विकास और निर्माण उन्नत प्रौद्योगिकी पोत (ATV) परियोजना के तहत स्वदेशी रूप से किया जा रहा है।
    • ATV परियोजना के तहत भारत की पहली स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी INS अरिहंत को 2016 में नौसेना में शामिल किया गया था।
      • INS अरिहंत ने 2022 में एक पनडुब्बी से प्रक्षेपित की जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) का सफल प्रक्षेपण किया था।
      • यह चार परमाणु-सक्षम K-4 SLBMs (रेंज 3,500 कि.मी. से अधिक) या बारह K-15 SLBMs (रेंज लगभग 750 कि.मी.) ले जा सकती है।
  • वर्ष 2019 में भारत ने 10 वर्षों के लिए अकुला-श्रेणी की परमाणु ऊर्जा चालित हमलावर पनडुब्बी को लीज़ पर लेने हेतु रूस के साथ 3 बिलियन डॉलर का सौदा किया था।

भारत के लिए इन पनडुब्बियों का महत्त्व

  • परमाणु प्रतिरोधक क्षमता:
    • परमाणु त्रयी (Nuclear triad) को मजबूती मिलती है। इस त्रयी में भूमि-आधारित इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल, पनडुब्बी से प्रक्षेपित होने वाली बैलिस्टिक मिसाइल और स्ट्रेटेजिक बॉम्बर्स शामिल हैं।
    • विश्वसनीय सेकंड-स्ट्राइक की क्षमता: ये भारत की 'नो फर्स्ट यूज की नीति' के अनुरूप हैं। 
  • सामरिक महत्त्व: SSBN पनडुब्बियां दक्षिण एशिया, विशेष रूप से भारत के परमाणु-सशस्त्र सम्पन्न पड़ोसियों (चीन और पाकिस्तान) के संदर्भ में सामरिक स्थिरता बनाए रखने में मदद करेगा।
  • भारत की नौसेना शक्ति में वृद्धि: ब्लू वॉटर नौसैनिक क्षमता (गहरे समुद्र में ऑपरेशन करने वाली नौसेना) में और बढ़ोतरी होगी।  
  • अन्य महत्त्व: आत्मनिर्भर भारत की दिशा में योगदान मिलेगा। साथ ही, महत्वपूर्ण रक्षा और आक्रमण क्षमताओं को बेहतर किया जा सकेगा।

हाल ही में, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारतीय नौसेना द्वारा ओडिशा के चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) से VL-SRSAM का उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक आयोजित किया गया है।

  • यह उड़ान परीक्षण भूमि-आधारित ऊर्ध्वाधर लॉन्चर से किया गया था।

कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली वर्टिकल लॉन्च मिसाइल (VL-SRSAM) के बारे में

  • यह भारतीय नौसेना द्वारा उपयोग की जाने वाली सभी मौसमों के लिए सक्षम मिसाइल है। यह ऊर्ध्वाधर रूप से लॉन्च की जाने वाली सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। 
  • VL-SRSAM पोत पर तैनात की जाने वाली हथियार प्रणाली है। यह सी-स्किमिंग करने वाले लक्ष्यों सहित सीमित दूरी के विभिन्न हवाई खतरों को निष्प्रभावी कर सकती है।
  • विशेषताएं: स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) सीकर आदि। 
  • इसका विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने किया है। 
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