ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस (Brain Computer Interfaces: BCIs) | Current Affairs | Vision IAS
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    ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस (Brain Computer Interfaces: BCIs)

    Posted 01 Jan 2025

    Updated 28 Nov 2025

    1 min read

    सुर्ख़ियों में क्यों? 

    हाल ही में, न्यूरालिंक के एक ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) इम्प्लांट 'ब्लाइंडसाइट' को संयुक्त राज्य अमेरिका के फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) से "ब्रेकथ्रू डिवाइस" का दर्जा प्राप्त हुआ है। 

    अन्य संबंधित तथ्य

    • 'ब्लाइंडसाइट' चिप का उद्देश्य उन दृष्टिहीन मरीजों की मदद करना है जिन्होंने अपनी दोनों आंखें और ऑप्टिक नर्व खो दी हैं या जो व्यक्ति जन्म से ही दृष्टिहीन हैं। इस चिप की मदद से वे अपनी देखने की क्षमता को वापस पा सकेंगे।
      • हालांकि, पुनः देखने की क्षमता केवल तभी संभव हो सकेगी, जब मरीज का विजुअल कॉर्टेक्स सुरक्षित हो। 
    • FDA का ब्रेकथ्रू डिवाइस डेजिग्नेशन (BDD) प्रोग्राम ऐसे चिकित्सा उपकरणों के विकास, समीक्षा और मूल्यांकन में तेजी लाने में मदद करता है, जो जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाले या शरीर या मस्तिष्क को दुर्बल करने वाले रोगों के निदान या उपचार में मदद कर सकते हैं।

    ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) इम्प्लांट के बारे में 

    • BCI एक कंप्यूटर-आधारित प्रणाली है। यह मस्तिष्क के संकेतों को प्राप्त करती है, उनका विश्लेषण करती है और उन्हें किसी डिवाइस में भेजे जाने वाले कमांड में तब्दील करती है, ताकि इच्छित कार्य किया जा सके। (नीचे दिए गए इन्फोग्राफिक को देखें)।
    • इस प्रकार, BCI के तीन मुख्य भाग हैं:
      • मस्तिष्क की गतिविधि को डिटेक्ट करने वाला उपकरण: यह आमतौर पर हेडसेट के रूप में होता है, जिसमें विशेषीकृत सेंसर लगे होते हैं
      • डिटेक्ट की गई मस्तिष्क की गतिविधि को प्रोसेस करने और उसका विश्लेषण करने वाला कंप्यूटर।
      • कमांड को निष्पादित करने हेतु एक डिवाइस या एप्लीकेशन। 
        • एक बार जब कंप्यूटर यह 'निर्धारित' कर लेता है कि उपयोगकर्ता क्या करना चाहता है, तो वह आदेश को पूरा करने के लिए एप्लीकेशन/ डिवाइस को संकेत भेजता है। 
    • BCI का एक अन्य महत्वपूर्ण भाग फीडबैक: फीडबैक से उपयोगकर्ता को BCI प्रणाली के अनुकूल होने में मदद मिलती है।
    • उपयोगकर्ता और BCI मिलकर काम करते हैं। उपयोगकर्ता, प्रायः प्रशिक्षण के के बाद, मस्तिष्क के संकेत उत्पन्न करता है जो उसके इरादे को व्यक्त करते हैं।
      • BCI भी प्रशिक्षण के बाद मस्तिष्क के संकेतों को डिकोड करके आउटपुट डिवाइस को आदेश भेजता है, जो उपयोगकर्ता के इरादे को पूरा करता है। 
    • अतः BCI मस्तिष्क के सामान्य निर्देश मार्गों जैसे नर्व और मांसपेशियों के जाल का उपयोग नहीं करता है।
      • इसलिए BCI प्रणाली केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) द्वारा उत्पन्न संकेतों को मापती और उपयोग करती है। 
    • ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस किसी व्यक्ति के मस्तिष्क से बिना उस व्यक्ति की अनुमति के जानकारी या संकेतों को डिटेक्ट करता  है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि उपयोगकर्ता अपनी मांसपेशियों के बजाय मस्तिष्क के संकेतों के माध्यम से कार्यों को अंजाम दे सकें।

    BCI के प्रकार

    • इनवेसिव BCI (ब्रेन इम्प्लांट्स): इनवेसिव BCI को न्यूरोसर्जरी के जरिए सीधे मस्तिष्क के ग्रे मैटर में प्रत्यारोपित किया जाता है। ये मस्तिष्क गतिविधि को बेहतर रूप में रिकॉर्ड करते हैं। 
      • उदाहरण के लिए, न्यूरालिंक का इम्प्लांट।
    • नॉन-इनवेसिव BCI (सरफेस डिटेक्टर): यह इलेक्ट्रोड्स का सेट होता है, जिसे इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफ (EEG) के रूप में जाना जाता है। यह कपाल पर लगाया जाता है। इलेक्ट्रोड्स मस्तिष्क के संकेतों को पढ़ सकते हैं।
      • उदाहरण के लिए, इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी (EEG), फंक्शनल मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (fMRI) आदि।
    • पार्शियली इनवेसिव BCI (ड्यूरा मेटर इम्प्लांट): ये उपकरण कपाल के अंदर लेकिन मस्तिष्क के ग्रे मैटर के बाहर प्रत्यारोपित किए जाते हैं। ये नॉन-इनवेसिव BCI की तुलना में बेहतर रिज़ोलुशन वाले सिग्नल उत्पन्न करते हैं। 
      • उदाहरण के लिए, इलेक्ट्रोकॉर्टिकोग्राफी (ECoG), यह इलेक्ट्रोड्स के माध्यम से मस्तिष्क की सतह या सेरेब्रल कॉर्टेक्स के साथ सीधे संपर्क के जरिए मस्तिष्क की गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है।

    ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस के समक्ष चुनौतियां:

    • तकनीकी चुनौतियां: इसमें जटिल न्यूरल या तंत्रिका पैटर्न की व्याख्या करने में असमर्थता, कमजोर ब्रेन संकेत और पर्यावरणीय हस्तक्षेप आदि शामिल हैं। 
      • इनवेसिव BCI से तंत्रिका या नर्व कोशिकाओं और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुँच सकता है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। 
    • ब्रेन टैपिंग: मस्तिष्क के संकेतों को इंटरसेप्ट करने से निजता का उल्लंघन हो सकता है, जिससे किसी व्यक्ति की भावनाएं, प्राथमिकताएं और विश्वास को उजागर किया जा सकता है। 
    • भ्रामक उत्तेजना हमले: संकेतों या फीडबैक में हेरफेर करके मस्तिष्क को हाईजैक किया जा सकता है, जिससे व्यक्ति का व्यवहार प्रभावित हो सकता है।  
    • कानूनी बाधाएं: वर्तमान में, BCI के उपयोग से संबंधित सुरक्षा, प्रभावशीलता और डेटा सुरक्षा के संदर्भ में कोई व्यापक कानूनी फ्रेमवर्क मौजूद नहीं है।  
    • नैतिक चिंताएं:
      • इसमें तथ्य और साक्ष्य के आधार पर सहमति, सामाजिक कलंक की भावना और भेदभाव की संभावनाएं, अनुसंधान से जुड़ी नैतिकता, स्वायत्तता से समझौता आदि शामिल हैं। 
      • मस्तिष्क और मशीनों के बीच सीधे संपर्क से इंसान के साइबॉर्ग बनने का खतरा हो सकता है। (साइबॉर्ग का अर्थ होता है, वह जीव जिसके शरीर में जैविक और इलेक्ट्रॉनिक दोनों तरह के अंग होते हैं)
        • इसमें शक्तिशाली क्षमताएं, जैसे- अत्यधिक ताकत, पैनी इंद्रियां, कंप्यूटर से सहायता प्राप्त मस्तिष्क और शरीर में हथियार का समावेश करना आदि शामिल हो सकते हैं। 

    आगे की राह 

    • पारदर्शिता और सहमति: BCI के उपयोग के संबंध में निजता से जुड़े नियमों का पालन करना चाहिए और उपयोगकर्ता से  तथ्य और साक्ष्य के आधार पर सहमति सुनिश्चित करनी चाहिए।
    • विनियामकीय निगरानी: कानूनी फ्रेमवर्क के तहत BCI के हानिकारक उपयोग को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। 
    • सुरक्षा उपायों को बेहतर करना: क्रिप्टोग्राफिक सुरक्षा सहित उन्नत सुरक्षा उपायों के लिए और अधिक रिसर्च करने की आवश्यकता है। 
    • जन जागरूकता: BCI के जोखिमों और सुरक्षा उपायों के बारे में लोगों को शिक्षित करना आवश्यक है। 

    मुख्य शब्दावलियां  

    • न्यूरॉन, नियंत्रण और समन्वय: 
      • मस्तिष्क लाखों कोशिकाओं से बना होता है जिन्हें न्यूरॉन कहा जाता है। ये न्यूरॉन एक बड़े नेटवर्क में मिलकर शरीर की प्रक्रियाओं को समन्वित करते हैं, जैसे सुनना, स्वाद महसूस करना, हृदय गति को नियंत्रित करना आदि। इसके अलावा, ये न्यूरॉन शरीर की विभिन्न गतिविधियों को भी संचालित करते हैं।
      • न्यूरॉन्स एक-दूसरे से विद्युत-रासायनिक संकेतों के माध्यम से कम्युनिकेट करते हैं। जब एक न्यूरॉन सक्रिय होता है, तो वह एक विद्युत संकेत उत्पन्न करता है, जो नेटवर्क के अगले न्यूरॉन तक पहुंचता है। फिर वह न्यूरॉन इस संकेत को आगे के न्यूरॉन तक भेजता है, और यह श्रृंखला इसी तरह आगे बढ़ती रहती है।
      • इस तरह जानकारी मस्तिष्क के अंदर तेजी से फैलती है, जो कई हिस्सों को आपस में जोड़ती है, जो अलग-अलग प्रक्रियाओं और शरीर के अंगों को नियंत्रित करते हैं।
    • मस्तिष्क गतिविधि और उसका मापन या उसे रिकॉर्ड करना: 
      • मस्तिष्क की गतिविधि का मतलब मस्तिष्क में उत्पन्न होने वाले विद्युत संकेतों और रासायनिक प्रक्रियाओं से है, जो अलग-अलग संज्ञानात्मक कार्यों, भावनाओं, अनुभवों और व्यवहारों को नियंत्रित करती हैं।
      • एक अकेला न्यूरॉन अपने आप में ज्यादा विद्युत संकेत नहीं पैदा करता, लेकिन कई न्यूरॉन्स की संयुक्त गतिविधि इतने विद्युत संकेत उत्पन्न करती है, जिसे मापा या रिकॉर्ड किया जा सकता है। 
      • इस मस्तिष्क के विद्युत संकेतों को विशेष प्रकार सेंसर को कपाल पर या कपाल के अंदर लगाकर मापा या रिकॉर्ड किया जा सकता है।
    • इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी (EEG) आधारित BCI: EEG का उपयोग हंस बर्जर के काम और खोज के कारण संभव हुआ है। हंस बर्जर ने 1924 में पाया था कि मानव मस्तिष्क के विद्युत संकेतों को कपाल से मापा जा सकता है। मस्तिष्क की गतिविधि को बाहरी डिटेक्टरों या इलेक्ट्रोड्स से मापने को इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी (EEG) कहा जाता है।
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    • Neurons
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    • Invasive BCI
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