क्वाडिलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग/ क्वाड (QUAD) | Current Affairs | Vision IAS
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    क्वाडिलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग/ क्वाड (QUAD)

    Posted 01 Jan 2025

    Updated 28 Nov 2025

    1 min read

    सुर्ख़ियों में क्यों?

    हाल ही में, भारत के प्रधान मंत्री ने संयुक्त राज्य अमेरिका के विलमिंगटन में आयोजित छठे क्वाड लीडर्स समिट में भाग लिया।

    अन्य संबंधित तथ्य

    • पिछले चार वर्षों में, क्वाड देशों के नेताओं ने छ: बार बैठक की है, जिनमें से दो बार इनकी बैठक वर्चुअल रूप में हुई है।
    • इस वर्ष (2024) इस समूह के गठन के 20 वर्ष पूरे हुए हैं। 
    • क्वाड लीडर्स समिट में अपने एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए 'क्वाड विलमिंगटन घोषणा-पत्र' को अपनाया गया है।
    • भारत 2025 में क्वाड लीडर्स समिट की मेजबानी करेगा।

    क्वाड विलमिंगटन-घोषणा पत्र के मुख्य बिंदुओं पर एक नज़र

    • स्वास्थ्य सुरक्षा: 'क्वाड कैंसर मूनशॉट' कार्यक्रम की शुरुआत की गई। यह कार्यक्रम सर्वाइकल कैंसर से निपटने हेतु हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जीवन की रक्षा आधारित साझेदारी है।
    • गुणवत्तापूर्ण अवसंरचना: 'क्वाड पोर्ट्स फॉर द फ्यूचर पार्टनरशिप' की घोषणा की गई। इसके तहत संधारणीय बंदरगाह अवसंरचना के विकास में सहायता के लिए क्वाड की सामूहिक विशेषज्ञता का उपयोग किया जाएगा। 
    • महत्वपूर्ण और उभरती हुई प्रौद्योगिकियां: 'सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला आकस्मिकता नेटवर्क सहयोग ज्ञापन' की घोषणा की गई। इसका उद्देश्य क्वाड देशों में सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करना है।
    • क्वाड इन्वेस्टर्स नेटवर्क (QUIN): इसका उद्देश्य अनुकूल आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ावा देने के साथ-साथ उभरती और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में संयुक्त अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए निवेश को बढ़ावा देना है।
    • जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उच्च दक्षता वाली वहनीय कूलिंग प्रणालियों के निर्माण और उपयोग सहित ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने हेतु क्वाड के सामूहिक प्रयास पर जोर दिया गया है। 
    • अंतरिक्ष सहयोग: भारत, मॉरीशस में अंतरिक्ष-आधारित वेब पोर्टल की स्थापना कर रहा है। यह पोर्टल अंतरिक्ष में स्थित उपग्रहों से चरम मौसम की घटनाओं और जलवायु प्रभाव की निगरानी के लिए ओपन साइंस की अवधारणा का समर्थन करेगा।
    • समुद्री सुरक्षा पहलें:
      • 'मेरीटाइम इनिशिएटिव फॉर ट्रेनिंग इन द इंडो-पैसिफिक (MAITRI)' की घोषणा की गई। यह 2022 में घोषित "समुद्री क्षेत्र जागरूकता के लिए हिंद-प्रशांत साझेदारी'' तथा अन्य क्वाड पहलों के माध्यम से प्रदान किए गए साधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करेगी। 
      • 2025 के लिए 'क्वाड-एट-सी शिप ऑब्जर्वर मिशन' की घोषणा की गई। यह मिशन भागीदार देशों के बीच समन्वय में सुधार करने और समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने पर जोर देगा।

    क्वाडिलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग (QUAD) के बारे में

    • क्वाड विश्व के कुछ अग्रणी लोकतांत्रिक देशों (ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका) का एक बहुपक्षीय मंच है। 
      • क्वाड हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता, समृद्धि और सुरक्षा लाने के लिए एक महत्वपूर्ण वैश्विक पहल है। साथ ही, यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए एक कल्याणकारी वैश्विक शक्ति के रूप में कार्य कर रहा है।
    • सदस्य: क्वाड ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक कूटनीतिक साझेदारी है। यह कोई सैन्य गठबंधन नहीं है।
    • उद्देश्य: यह एक ऐसे खुले, स्थिर और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो समावेशी हो और सभी देशों के लिए समान अवसर प्रदान करे।
    • प्रमुख शिखर सम्मेलन: प्रतिवर्ष क्वाड लीडर्स समिट और विदेश मंत्रियों की बैठकें आयोजित की जाती हैं।
      • क्वाड ने अपने दायरे का विस्तार करते हुए छह वर्किंग ग्रुप्स का गठन किया है, जो स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन, महत्वपूर्ण व उभरती प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, इन्फ्रास्ट्रक्चर और साइबर सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों से संबंधित हैं।

    क्वाड का वैश्विक महत्त्व

    भारत के लिए क्वाड का महत्त्व

    • सामरिक संतुलन: क्वाड विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को प्रतिसंतुलित करने का कार्य करता है। 
    • समुद्री सुरक्षा: यह एक स्वतंत्र, खुला और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने के प्रति प्रतिबद्ध है। इसके अलावा, यह समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNCLOS) जैसे अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के पालन पर भी जोर देता है।
    • आर्थिक सहयोग: बुनियादी ढांचे में निवेश, आपूर्ति श्रृंखला के क्षेत्र में सहयोग, आदि।
    • स्वास्थ्य और मानवता हेतु प्रयास: क्वाड ने कोविड-19 महामारी के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। क्वाड ने वैश्विक स्तर पर एक बिलियन से अधिक टीके उपलब्ध करवाए थे।
      • इसके अतिरिक्त, यह समूह आपदा के दौरान सहायता प्रदान करने में भी सक्रिय भूमिका निभाता है। यह प्राकृतिक आपदाओं के दौरान हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों की मदद करता है।

     

    • चीन के खिलाफ सामरिक संतुलन: क्वाड भारत को समान विचारधारा वाले देशों के साथ जुड़ने के लिए एक मंच प्रदान करता है। इससे उसकी सुरक्षा स्थिति में सुधार होता है और चीनी घेराबंदी का खतरा कम होता है।
    • एक्ट ईस्ट को बढ़ावा: क्वाड गठबंधन ने भारत को पूर्वी एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
    • भारत की सैन्य क्षमता में वृद्धि: ऑस्ट्रेलिया, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ भारत की रक्षा एवं सुरक्षा साझेदारियां विशेष रूप से समुद्री क्षेत्र में देश की सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने में सहायक हैं।
      • उदाहरण के लिए- मालाबार युद्धाभ्यास 2024 ने संयुक्त रूप से प्रशिक्षण और संचालन की क्षमता को बेहतर किया है।
    • तकनीकी और आर्थिक सहयोग: सेमीकंडक्टर जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रकों में सुरक्षित आपूर्ति श्रृंखला बनाने के उद्देश्य से भारत को क्वाड मंच से लाभ हुआ है। उल्लेखनीय है कि ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान ने चीन पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए "आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन पहल (SCRI)" शुरू की है।
      • यह पहल प्रमुख मदों के आयात के लिए चीन पर भारत की निर्भरता को कम करेगा। साथ ही, यह भारत की व्यापक आत्मनिर्भर भारत पहल के अनुरूप भी है।

    क्वाड के समक्ष मौजूद चुनौतियां

    • पूरी तरह से संस्थागत नहीं: अपने वर्तमान स्वरूप में, क्वाड अपेक्षाकृत कम संस्थागत बना हुआ है। इस मंच का ज्यादातर काम-काज नियमित बैठकों, अर्ध-नियमित शिखर सम्मेलनों, सूचनाओं के आदान-प्रदान आदि के माध्यम से ही होता है।
    • शीत-युद्ध की मानसिकता: चीन ने क्वाड कूटनीति की आलोचना करते हुए इसे "शीत-युद्ध की मानसिकता" का प्रतिबिंब और "एशियाई नाटो" स्थापित करने का प्रयास बताया है।
    • अलग-अलग देशों के अलग-अलग राष्ट्रीय हित: उदाहरण के लिए- विशेष रूप से चीन के संबंध में भारत मुख्य रूप से क्षेत्रीय सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करता है, जबकि अमेरिका के व्यापक वैश्विक रणनीतिक हित हैं।
      • ऑस्ट्रेलिया की चीन पर आर्थिक निर्भरता तथा जापान की अमेरिका पर सुरक्षा निर्भरता इस गठबंधन को और जटिल बनाती है।
    • अनूठा चरित्र: क्वाड के उद्देश्य को आसियान (ASEAN), पैसिफिक आइलैंड फोरम और इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA) जैसे अन्य क्षेत्रीय समूहों से अलग परिभाषित करना कठिन साबित हुआ है।
    • हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर अमेरिका का सीमित फोकस: अंतर्राष्ट्रीय नीतिगत मंचों पर यह धारणा विद्यमान है कि, यूरोप और मध्य-पूर्व में युद्धों का अर्थ है कि एशिया पर अमेरिका का ध्यान सीमित हो जाएगा।

    क्वाड से जुड़ी भारत की चिंताएं

    • सैन्य गठबंधन के प्रति अनिच्छा: भारत क्वाड को एक औपचारिक सैन्य गठबंधन बनने से दूर रखना चाहता है।
      • हालांकि, भारत गैर-परंपरागत सुरक्षा के क्षेत्र में क्वाड के साथ सहयोग पर बल देता है। भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को बनाए रखना चाहता है और किसी भी तरह के सैन्य गठबंधन में शामिल होने से बचता है।
    • विभिन्न मोर्चों पर चीन के साथ फिर से तनाव बढ़ने की संभावना: क्वाड सदस्यों में भारत एकमात्र देश है जो चीन के साथ अपनी भूमि सीमा साझा करता है। इससे भारत के लिए यह सुनिश्चित करना अनिवार्य हो जाता है कि क्वाड केवल एक चीन-विरोधी समूह बनकर न रह जाए।
    • अन्य समूह जैसे कि SQUAD (जिसमें ऑस्ट्रेलिया, जापान, फिलीपींस और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं) क्वाड से ध्यान हटा सकते हैं।
    • भारत का संतुलित दृष्टिकोण: भारत ने ऐसे देशों या संगठनों के साथ भी साझेदारी को बढ़ावा देना जारी रखा है, जो तथाकथित क्वाड विरोधी हैं, जैसे कि SCO (शंघाई सहयोग संगठन) और ब्रिक्स।
    • अन्य भागीदारों पर प्रभाव: क्वाड में भारत की भागीदारी बढ़ने से अन्य महत्त्वपूर्ण भागीदार, जैसे- रूस और ईरान भारत से दूर हो सकते हैं।

    आगे की राह

    • क्वाड को संस्थागत बनाना: एक औपचारिक संरचना या सचिवालय की स्थापना इसकी प्रभावशीलता को बढ़ा सकती है। इसके परिणामस्वरूप, यह संगठन क्षेत्रीय सुरक्षा और कूटनीतिक गतिविधियों में अधिक प्रभावी तरीके से अपनी भूमिका को निभा सकेगा।
    • क्षेत्र में मौजूदा संगठनों को बढ़ाना: क्वाड को अन्य संगठनों को खत्म या प्रतिस्थापित करने की बजाय, अलग-अलग बहुपक्षीय या क्षेत्रीय संगठनों को बढ़ावा देने और आपसी सहयोग के लिए एक समावेशी दृष्टिकोण प्रदान करने का प्रयास करना चाहिए।
    • अन्य भागीदारों को शामिल करना: क्वाड को क्षेत्रीय साझेदारों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने की आवश्यकता है। इसके लिए क्वाड को क्षेत्रीय साझेदारों के हितों एवं प्राथमिकताओं को भी ध्यान में रखना चाहिए।
    • स्पष्टता और अस्पष्टता को संतुलित करना: क्वाड को पारंपरिक सुरक्षा चिंताओं (जैसे- संभावित चीनी सैन्य कार्रवाई) पर विशेष ध्यान देने की बजाय चीन के साथ सीधे टकराव के जोखिम को कम करने पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए क्वाड साझा हितों के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।

    संबंधित सुर्ख़ियां

    क्वाड 'प्रिंसिपल फॉर डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI)'

    डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) के लिए क्वाड के सिद्धांत वस्तुतः समाज में बदलाव लाने और सतत विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंडा 2030 को प्राप्त करने हेतु डिजिटलीकरण के महत्त्व को स्वीकार करते हुए जारी किए गए हैं।

    डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) के बारे में

    • DPI एक ऐसा डिजिटल नेटवर्क होता है, जो देशों को अपने सभी निवासियों को सुरक्षित तरीके से और दक्षतापूर्वक आर्थिक अवसर एवं सामाजिक सेवाएं उपलब्ध कराने में मदद करता है।
      • डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को सरल शब्दों में समझें तो यह एक ऐसा डिजिटल ढांचा है जो सभी के लिए खुला होता है और इसका उपयोग विभिन्न डिजिटल सेवाएं प्रदान करने के लिए किया जाता है। 
      • DPI की तुलना एक तरह से सड़कों से की जा सकती है। DPI की तरह सड़कें भी एक भौतिक नेटवर्क का निर्माण करती हैं, जो लोगों को जोड़ती हैं तथा वस्तुओं एवं सेवाओं की एक विशाल श्रृंखला तक पहुंच प्रदान करती हैं।
      • इंडिया स्टैक, भारत का अपना पहला DPI है।

    DPI के लिए क्वाड के प्रमुख सिद्धांत

    • समावेशिता: आर्थिक, तकनीकी और सामाजिक बाधाओं को खत्म करना; अंतिम उपयोगकर्ताओं का सशक्तीकरण करना तथा एल्गोरिदम संबंधी गलत पूर्वाग्रह से बचना।
    • सहयोग: उपयोगकर्ता-केंद्रित समाधानों के विकास को सक्षम करना और निरंतर अपनाने की सुविधा प्रदान करना तथा नवोन्मेषकों को नई सेवाएं विकसित करने की अनुमति देना।
    • मॉड्यूलैरिटी और एक्स्टेंसिबिलिटी: बिना किसी व्यवधान के परिवर्तनों/ संशोधनों को समायोजित करने के लिए एक मॉड्यूलर आर्किटेक्चर निर्मित करना।
    • मापनीयता: मांग में किसी भी अप्रत्याशित वृद्धि को आसानी से समायोजित करने के लिए लचीले डिजाइन का उपयोग करना।
    • संधारणीयता: पर्याप्त वित्त-पोषण और तकनीकी सहायता के माध्यम से संधारणीयता सुनिश्चित करना।
    • अन्य सिद्धांत: अंतर-संचालनीयता; मानवाधिकारों के प्रति सम्मान; शिकायत निवारण; सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) में योगदान; बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा; सार्वजनिक लाभ, विश्वास एवं पारदर्शिता के लिए गवर्नेंस; सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करना आदि।

     

     

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